वैशाली। जिले के गौसपुर बरियारपुर गांव का माहौल बुधवार की सुबह भारी हो गया। फूलों से सजी सेना की गाड़ी जब गांव की गलियों में दाखिल हुई तो हर कोई नम आंखों से खड़ा था। गाड़ी में अरुणाचल प्रदेश में शहीद हुए गांव के सपूत कुंदन कुमार का पार्थिव शरीर था। शहीद जवान को देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी। महिलाएं भी बड़ी संख्या में पहुंचीं। घरों की छतों से लोग ‘भारत माता की जय’ और ‘शहीद कुंदन अमर रहें’ के नारे लगा रहे थे।

जीडी नायक के पद पर तैनात थे

कुंदन कुमार भारतीय सेना में जीडी नायक के पद पर तैनात थे। 18 अगस्त को आतंकियों से भिड़ते हुए उन्होंने अपनी जान देश के नाम कर दी। अभी कुछ ही महीने पहले यानी 3 अप्रैल को उनकी पोस्टिंग सियाचिन से अरुणाचल प्रदेश के मेचुका सेक्टर में हुई थी। यहां उनकी ड्यूटी 10 हजार फीट की ऊंचाई पर थी। अक्टूबर में उनका अयोध्या ट्रांसफर होना तय था। लेकिन उससे पहले ही वे मातृभूमि के लिए शहीद हो गए।

शायद अब घर न आ पाऊं

शहीद के छोटे भाई अमन ने बताया कि मई महीने में जब भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा था, उस दौरान भइया ने रात 11 बजे फोन किया था। उस कॉल पर उन्होंने कहा था लगता है अब घर नहीं आ पाऊंगा। यहां तक कि उन्होंने अपने ऊपर लिए गए लोन और LIC की भी बात की थी। हालांकि इसके बाद उन्होंने कभी दोबारा इस विषय पर कुछ नहीं कहा।

जरूरत पड़ी तो और बेटे भी सेना में भेजूंगा

पिता नंदकिशोर सिंह किसान हैं। उन्होंने बताया कि सेना के अधिकारियों ने फोन पर कहा था कि कुंदन चाहते थे उनका छोटा भाई भी सेना में भर्ती हो। पिता की आंखें भरी हुई थीं लेकिन उन्होंने गर्व से कहा मेरा बेटा देश के लिए शहीद हुआ है। मौका मिला तो मैं अपने दूसरे बेटों को भी सेना में भेजूंगा।

45 दिन की छुट्टी पर आ रहा हूं

कुंदन की पत्नी प्रियंका के लिए यह खबर किसी सदमे से कम नहीं। उन्होंने बताया कि पति ने कहा था चिंता मत करना, मैं 25 अगस्त को 45 दिनों की छुट्टी पर घर आ रहा हूं, लेकिन घर वापसी तिरंगे में लिपटे पार्थिव शरीर के रूप में हुई। प्रियंका के आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे।

गांव की आंखें नम, लेकिन गर्व भी

गांव के लोग बता रहे हैं कि कुंदन जब भी फोन करते, परिवार को बस यही कहते चिंता मत करना, मैं ठीक हूं। आज वही कुंदन गांव लौटे, लेकिन इस बार खामोशी और तिरंगे में लिपटकर। हर कोई उनकी शहादत पर गर्व कर रहा है, लेकिन आंखें नम हैं।
कुंदन की शहादत ने यह साबित कर दिया कि भारत के गांव-गांव से ऐसे वीर बेटे निकलते हैं जो मातृभूमि के लिए अपने प्राण न्यौछावर करने से पीछे नहीं हटते। आज पूरे गांव में सिर्फ एक ही बात गूंज रही है – शहीद कुंदन अमर रहें।

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