पुलवामा हमले में शहीद हुए जवान प्रदीप सिंह रावत की 10 वर्षीय बिटिया सुप्रिया जब परीक्षा देने स्कूल पहुंची तो सामने प्रिंसिपल को देख भावुक हो गई. तबीयत ठीक न होने के कारण सुप्रिया को घर भेज दिया गया. अब बाद में उसका एग्जाम लिया जाएगा.
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शहीद हुए जवान प्रदीप सिंह रावत की 10 वर्षीय बेटी सुप्रिया पढ़-लिखकर सेना में भर्ती होना चाहती है
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पांचवीं क्लॉस में पढ़ने वाली सुप्रिया परीक्षा देने स्कूल पहुंची तो प्रिंसिपल से लिपटकर रोने लगी
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उसकी तबीयत ठीक नहीं थी इसलिए स्कूल ने उसे वापस घर भेज दिया
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सुप्रिया की हालत ठीक होने पर बाद में उसका एग्जाम लिया जाएगा
कानपुर. जम्मू-कश्मीर के पुलवामा हमले में शहीद हुए जवान प्रदीप सिंह रावत की 10 वर्षीय बेटी सुप्रिया पढ़-लिखकर सेना में भर्ती होना चाहती है ताकि वह अपने पिता की शहादत का बदला ले सके. पांचवीं क्लॉस में पढ़ने वाली सुप्रिया मंगलवार को परीक्षा देने स्कूल पहुंची पर उसकी तबीयत इतनी खराब थी कि वह ठीक से बैठ भी नहीं पा रही थी. प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि सुप्रिया स्कूल की प्रिंसिपल से लिपटकर रोने लगी. प्रिंसिपल और अन्य टीचर्स ने उसको ढांढस बंधाया. सुप्रिया को स्कूल प्रबंधन ने घर वापस भेज दिया है. हालत ठीक होने पर बाद में उसका एग्जाम लिया जाएगा.
मूलरूप से कन्नौज की रहने वाली सुप्रिया कानपुर के डॉ. वीरेंद्र स्वरूप एजुकेशन सेंटर में पढ़ती हैं. सोमवार से स्कूल की वार्षिक परीक्षाएं शुरू हो गई थीं. परीक्षा न छूट पाए इसलिए सुप्रिया अपने पैतृक गांव में पिता का अंतिम संस्कार करने के तुरंत बाद ही कानपुर वापस आ गई थीं लेकिन खराब तबीयत के कारण वह पेपर नहीं दे पाईं.
स्कूल स्टाफ और अन्य बच्चों की भी आंखें हुईं नम
स्कूल स्टाफ के मुताबिक, सुप्रिया जब मंगलवार सुबह स्कूल पहुंची तो सामने प्रिंसिपल को देखते ही अपनी भावनाओं पर काबू नहीं पा पाई, वह प्रिंसिपल के गले लगकर रो पड़ी. उसको रोता देखकर स्टाफ व अन्य बच्चों की आंखों में भी आंसू आ गए. सुप्रिया केवल अपने पापा के नाम की रट लगा रही थी. वह इस हालत में नहीं थी कि पेपर दे पाए. इस कारण उसे घर भिजवा दिया. उसकी परीक्षा बाद में ले ली जाएगी.
बेटी की पढ़ाई के बारे में पूछते रहते थे शहीद प्रदीप
बताया जा रहा है कि शहीद प्रदीप सिंह रावत कुछ दिनों पहले जब छुट्टियों में कानपुर आए थे तो स्कूल में भी आए थे. वह बेटी सुप्रिया की पढ़ाई को लेकर चिंतित रहते थे. वह स्कूल स्टाफ से कहते थे कि इसे पढ़ा-लिखाकर एक अच्छा इंसान बना दीजिएगा.