रायपुर। मरवाही विधानसभा उपचुनाव में मिली हार के बाद जेसीसी-जे प्रदेश अध्यक्ष अमित अजीत जोगी ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बयान पर पलटवार करते हुए कहा कि सबने देखा है कि छल किसने और किस के साथ किया है. अमित ने कहा कि भूपेश बघेल ने खुद छलपूर्वक अपने पद का खुला दुरुपयोग कर मेरे परिवार और पार्टी के दो अन्य प्रत्याशियों का नामांकन रद्द करवा कर चुनाव से बाहर कर दिया. उसके बाद मेरी माँ डॉक्टर रेनु जोगी और मुझे प्रचार के दौरान घर में नज़रबंद कर अकेले ही कुश्ती लड़ते रहे और खुद अपनी पीठ थपथपाते रहे.
अमित जोगी ने अकेले कुश्ती लड़के जीतने के लिए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को हार्दिक बधाई देते हुए उनसे दो प्रश्नों का जवाब माँगा है. पहला, चुनाव अकेले लड़ने और सरकार की पूरी ताक़त झोंकने के बावजूद भी वो मेरे परिवार का 20 साल का जीत का रिकार्ड क्यों नहीं तोड़ पाए? दूसरा, लड़ाई तो उन्होंने भाजपा के ख़िलाफ़ लड़ी थी, लेकिन उनके बारे में एक शब्द भी न बोल कर वे मेरे स्वर्गीय पिता अजीत जोगी का लगातार अपमान क्यों कर रहे हैं?
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अमित ने पूछा कि मतगणना के बाद मेरे पिता के पैतृक ‘जोगी निवास’ के ठीक सामने लाखों के फटाके फोड़कर और डीजे डान्स कर बिलासपुर से आए कुछ कांग्रेसी मेरे पिता की मौत का क्या जश्न मना रहे थे? अमित ने उन्हें नसीहत देते हुए कहा कि फटाके तब फोड़ते जब वो जोगी परिवार को चुनाव के मैदान में हराते. खुद से अकेले कुश्ती लड़ने में किसी की जीत नहीं होती. केवल लोकतंत्र की हार होती है.
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उन्होंने कहा कि कांग्रेस प्रत्याशी की चुनावी जीत का एकमात्र कारण मेरे परिवार को चुनाव नहीं लड़ने और प्रचार नहीं करने देना है, नहीं तो परिवार के प्यार के सामने सरकार कुछ नहीं कर पाती. अमित ने कहा कि भाजपा के प्रत्याशी को चुनाव के आख़िरी दिन समर्थन देने का निर्णय नैतिक था न कि राजनीतिक. इसका एकमात्र कारण मुख्यमंत्री द्वारा लगातार मेरे स्वर्गीय पिता का उनके मरणोपरांत अपमान करना है. अमित ने कहा कि मुझे अपने पिता की एक बात सदैव सीख देती है: हिम्मत से हारना पर हिम्मत मत हारना.
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अमित ने शिव मंगल सिंह सुमन की कविता से प्रेरणा लेते हुए कहा कि-
क्या हार में क्या जीत में
किंचित नहीं भयभीत मैं
संघर्ष पथ पर जो मिले
यह भी सही वह भी सही