कांग्रेस पार्टी भारत के दक्षिण छोर कन्याकुमारी से आज से भारत जोड़ो यात्रा शुरू करने जा रही है. यात्रा की अगुवाई कर रहे राहुल गांधी ने आज सुबह तमिलनाडु के श्रीपेरंबदुर स्थित अपने पिता और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की स्मृति स्थल जाकर उनको नमन किया. 150 दिनों के दौरान 12 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों से गुजरते हुए 3,570 किमी की इस यात्रा के दौरान लोगों के बीच कांग्रेस की पकड़ को मजबूत करने के साथ पार्टी को भी एकजुट करने का है.

इस यात्रा को शुरू करने से पहले राहुल गांधी कन्याकुमारी में विवेकानंद रॉक मेमोरियल, तिरुवल्लुवर स्टैच्यू और कामराज मेमोरियल भी जाएंगे. पांच महीने तक चलने वाली इस यात्रा के पड़ाव तिरुवनंतपुरम, कोच्चि, नीलांबुर, मैसुरु, बेल्लारी, रायचूर, विकाराबाद, नांदेड़, जलगांव जामोद, इंदौर, कोटा, दौसा, अलवर, बुलंदशहर, दिल्ली, अम्बाला, पठानकोट और जम्मू में होंगे. पड़ाव से ही अंदाजा हो जाता है कि कांग्रेस का फोकस दक्षिण भारत के राज्यों में है.

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस यात्रा के जरिए कांग्रेस की तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में लोकसभा की 129 सीटों पर ध्यान होगा. दक्षिण भारत के पांच राज्यों में फैले 129 लोकसभा सीटों में से पिछले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस को महज 28 सीट मिली थी, जबकि बीजेपी ने 29 सीटों पर कब्जा किया था. इनमें भी केवल कर्नाटक में बीजेपी ने 25 सीटें जीती थीं. कांग्रेस इन पांच राज्यों में पार्टी को मजबूत करने के लिए पूरा जोर लगाएगी. यदि यहाँ कांग्रेस बेहतर प्रदर्शन करती है तो उसे सत्ता की चाभी मिलने में अधिक कठिनाई नहीं होगी.

दक्षिण भारत ने मुश्किल समय में दिया साथ

दक्षिण भारत कांग्रेस पार्टी के लिए कई मौकों पर साथ रहा है. इमरजेन्सी के बाद एक तरफ उत्तर भारत में जहां तेज कांग्रेस विरोधी हवा बह रही थी, तब 1977 के आम चुनाव में भी पार्टी की हालत खराब थी. इसके बाद 1978 में कर्नाटक की चिकमंगलूर सीट पर उपचुनावों में इंदिरा गांधी को जीत मिली और वो संसद पहुंची. इसी दक्षिण भारत के बल पर 1980 के आम चुनाव में कांग्रेस फिर सत्ता में आई थी. अब एक बार जब कांग्रेस फिर से राजनीतिक झंझावत से जूझ रही है, तब दक्षिण भारत के जरिए फिर से खुद को मजबूती से खड़ा करने के लिए प्रयासरत है.

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