कुशीनगर. जनपद में हर रोज चौक-चौराहों से लेकर नगरपालिका क्षेत्रों और ग्रामीण बजारों में रोजाना मांस-मछली की हजारों दुकानें रोजाना लगती है, लेकिन इतने लंबे समय के बाद भी सरकार के निर्देशों का पालन नहीं किया जाना, विभाग की मनमानी को साफ दर्शाता है. जनपद में मांस विक्रेताओं द्वारा खुलेआम नियमों की धज्जी उड़ाई जा रही है और जिम्मेदार विभाग मूकदर्शक बना हुआ है.

नगरपालिका सहित ग्रामीण क्षेत्र में हजारों की संख्या में मांस की दुकान का संचालन हो रहा है. नियमों को ताक पर सड़क के किनारे खुलेआम दुकान लगाया जा रहा है. सबसे बड़ी बात यह हैं कि कुछ को छोड़कर किसी के पास भी लाइसेंस नहीं है. ऐसे में बिना लाइसेंसी दुकानदारों द्वारा स्वच्छता के मानक का पूरी तरह अनदेखी की जा रही है. दुकान के अंदर व बाहर गंदगी का अंबार लगा रहता है. इन दुकानों से मीट की खरीदारी सेहत के लिए खतरनाक हो सकता है. अवैध रूप से चल रहे दुकानों में बीमार व संक्रमित मांस परोसा जा रहा है. इसका सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. सरकार के आदेश के बाद भी जनपद के नगरपालिका व नगर पंचायतों ने वधशाला के स्थल का चयन नहीं कर पाया जिसके चलतें मांस विक्रेता सड़कों के किनारे जहां तहां मानक के विपरित दुकान लगातें और मांस काट बेचतें हैं और मांस के बचें अवशेष वही नालियों में बहवा देतें जिससे मांस के अवशेषों सें संक्रमित बिमारी फैलाने का भय बना रहता है, लेकिन विभाग मौन बना हुआ है.

मांस दुकान के संचालन में नगर पालिका परिषद, पशुपालन विभाग व स्वास्थ्य विभाग की संयुक्त जवाबदेही है. जब भी किसी अधिकृत बूचड़खाना में किसी पशु को काटा जाता है. उसे वध करने से पहले व बाद में जांच की जाती है कि मांस खाने योग्य है कि नहीं. इसका प्रमाण पत्र पशुपालन विभाग व स्वास्थ्य विभाग को देना है. उनके रिपोर्ट के आधार पर नगर पालिका इसकी स्वीकृति देती है. खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन विभाग द्वारा खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 के विनियम 2011 (2-1-2 (1) (5) के अंतर्गत मांस विक्रय के लिए लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन के लिए नियम व शर्त निर्धारित हैं. संबंधित विभागों की एनओसी के साथ-साथ कारोबारी का मेडिकल सर्टिफिकेट सीएमओ, सीएमएस निर्गत करेंगे. काटे जाने वाले जानवर का स्वास्थ प्रमाणपत्र, पशु चिकित्सा अधिकारी निर्गत करेंगे और मीट की दुकान किसी भी धार्मिक स्थान पर 100 मीटर की दूरी पर होनी चाहिए. मांस बिकने वाली दुकान कैसी हो नियम के अनुसार दुकान में 5 फीट की ऊंचाई तक टाइल्स लगी हो व पक्का फर्श, सफाई जरूरी है. दुकान के सामने गेट पर चिक तथा काले शीशे का दरवाजा लगा हो, दुकान के अंदर पशु, बकरा, या पक्षी, मुर्गा नहीं काटा जाएगा.

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दुकान में डीप रेफ्रिजरेटर होना आवश्यक है. इसमें कटा हुआ तैयार मीट विक्रय के लिए रखा जाएगा. मीट का कपड़े में लपेटकर रखना निषेध है. केवल प्राधिकृत स्लाटर हाउस से ही मीट लेना है. दुकान में वैंटीलेशन लगा हो और एग्जास्ट फैन भी लगा हो. ढक्कन वाले कूड़ेदान की भी व्यवस्था होनी चाहिए. सभी उपकरण औजार एवं दुकान की धुलाई प्रत्येक दिन गर्म पानी से किया जाना चाहिए. लेकिन इस मानक से दूर जनपद में मांस मछलियों की दुकान खुले आसमान के नीचें जमीन पर खुलेआम धज्जियां उड़ती धड़ल्ले से चल रही हैं और जिम्मेदार विभाग हाथ पर हाथ रखे बैठा हैं और यें कारोबारी लोगों को बिमार पशुओं के मांस व विना जांच पड़ताल के काटकर बेच आमजन के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहें और लोग दूषित व बिमार पशुओं के मांस खाकर गंभीर बीमारियों के चपेट में आकर अस्पतालों की भीड़ बन रहे हैं.

वहीं दूषित मांस खाने से कैंसर जैसे भयानक बीमारी के शिकार हो रहे, लेकिन विभाग मौन हैं. वही खाद्य पदार्थों की जांच हेतु मोबाइल वैन केवल अधीकारियो के झंड़ी दिखा रवाना करनें तक ही सीमित रह गई है और यें वैन कागजी आंकड़ों तक सिमटकर रह गई है. जिसके चलतें जनपद में गम्भीर बिमारों की संख्या में दिन प्रतिदिन बढ़ोत्तरी हो रही हैं और आमजन अस्पतालों के चक्कर में पड़ पैसा और समय दोनों बर्बाद कर रहे हैं. अब देखना यह है कि विभाग की कुम्भकर्णी नींद कब खुलती और लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ करने वालों पर अंकुश कब लगता है. या इसी तरह लोग दूषित मांस खाने पर विवश रहते हैं.

सांकेतिक फोटो

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