Mehul Choksi Extradition: भगोड़े हीरा कारोबारी मेहुल चोकसी का भाग्य अब बेल्जियम की अदालत तय करेगी. पंजाब नेशनल बैंक (PNB) के ₹13,850 करोड़ के घोटाले का मुख्य आरोपी चोकसी 12 अप्रैल को बेल्जियम में गिरफ्तार हुआ था. अब 15 सितंबर से उसके प्रत्यर्पण (एक्सट्राडिशन) की कार्यवाही शुरू हो रही है. यह सुनवाई बेल्जियम के फेडरल कोर्ट में होगी, जहां भारत की ओर से CBI और विदेश मंत्रालय के वकील सबूतों के साथ पेश होंगे.
भारत ने 8 सितंबर को बेल्जियम को लिखित गारंटी दी थी कि चोकसी को भारत लाने पर मुंबई की आर्थर रोड जेल के बैरक नंबर-12 में रखा जाएगा. सरकार ने कोर्ट को आश्वासन दिया है कि उसके साथ मानवीय व्यवहार होगा और उसे 24 घंटे मेडिकल केयर, साफ पानी, पोषणयुक्त भोजन और स्पेशलिस्ट डॉक्टर की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी.
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रिहाई का भी खतरा, अगर सबूत कमजोर पड़े (Mehul Choksi Extradition)
हालांकि मामला इतना आसान नहीं है. चोकसी की कानूनी टीम लगातार प्रत्यर्पण का विरोध कर रही है. वकीलों ने उसकी गिरफ्तारी को अवैध बताया है और मेडिकल ग्राउंड पर दलील दी है कि उसे कैंसर जैसी गंभीर बीमारी है, ऐसे में उसके भागने का खतरा नहीं है.
सबसे बड़ी चुनौती भारत के सामने यही है कि अगर CBI और विदेश मंत्रालय मजबूत व ठोस सबूत पेश नहीं कर पाए, तो बेल्जियम की अदालत प्रत्यर्पण रोक सकती है. इस स्थिति में चोकसी की रिहाई का रास्ता खुल सकता है.
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बेल्जियम कोर्ट के सामने तीन बड़े सवाल (Mehul Choksi Extradition)
- मेडिकल कंडीशन – क्या कैंसर से पीड़ित चोकसी भारत में सुरक्षित रह पाएगा?
- सबूतों की मजबूती – क्या भारत धोखाधड़ी और फर्जीवाड़े के ठोस सबूत रख पाएगा?
- मानवाधिकार और जेल की स्थिति – क्या भारतीय जेलें अंतरराष्ट्रीय मानकों पर खरी उतरती हैं?
यदि इन सवालों के जवाब बेल्जियम कोर्ट को संतोषजनक नहीं मिले, तो प्रत्यर्पण की प्रक्रिया रुक सकती है.
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भारत की ओर से कड़ा रुख (Mehul Choksi Extradition)
भारतीय एजेंसियों का दावा है कि चोकसी ने जानबूझकर देश छोड़कर भागने की साजिश रची थी. CBI का कहना है कि उसका इलाज भारत में भी संभव है. भारत सरकार ने यह भी साफ किया है कि उसे किसी भी तरह की प्रताड़ना नहीं दी जाएगी, बल्कि सभी जरूरी सुविधाएं दी जाएंगी.
नीरव मोदी भी जांच के घेरे में (Mehul Choksi Extradition)
चोकसी के साथ उसका भतीजा नीरव मोदी भी इस धोखाधड़ी का बड़ा चेहरा है. नीरव फिलहाल लंदन में है और वहां भी भारत उसकी प्रत्यर्पण प्रक्रिया लड़ रहा है. दोनों ही आरोपी 2018 में भारत छोड़कर भाग गए थे और तब से इंटरपोल नोटिस व कानूनी दबाव में विदेशों में छिपे हुए हैं.
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