नई दिल्ली। केजरीवाल सरकार द्वारा उच्च शिक्षा के लिए “मेरिट कम मीन्स लिंक्ड फाइनेंशियल असिस्टेंस स्कीम” सहायता योजना के तहत 6 हजार 820 विद्यार्थियों को 48.14 करोड़ रुपए की आर्थिक सहायता प्रदान की गई. उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने इन छात्रों को सहायता राशि के चेक सौंपे. इस योजना के तहत पिछले 3 सालों में 13 हजार छात्रों को कुल 87 करोड़ रुपए की सहायता दी चुकी है. आर्थिक अभाव के कारण कोई भी विद्यार्थी उच्च शिक्षा से वंचित न रह जाए, इसे देखते हुए केजरीवाल सरकार ने 2017-18 में “मेरिट कम मीन्स लिंक्ड फाइनेंशियल असिस्टेंस स्कीम” नाम की एक नई योजना तैयार की. इसका उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर छात्रों को सहायता देनी है, ताकि उनकी भी गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा तक पहुंच हो. इस मौके पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, दिल्ली के चीफ सेक्रेटरी विजय कुमार देव, उच्च शिक्षा सचिव, उच्च शिक्षा निदेशक सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे.
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दिल्ली सरकार के फीस सहायता योजना के तहत पहली कटैगरी में राशन कार्ड धारक परिवारों के बच्चों को स्नातक में 60% अंक लाने पर 100% फाइनेंशियल असिस्टेंस, दूसरी कटैगरी में वो छात्र शामिल हैं, जिनकी परिवार की सालाना आय 2.50 लाख रुपए से कम है. इन छात्रों को स्नातक में 60% अंक लाने पर 50% फाइनेंशियल असिस्टेंस और तीसरी कटैगरी में उन छात्रों को शामिल किया गया है, जिनकी परिवार की सालाना आय 2.50 लाख से ज्यादा और 6 लाख से कम है. इस कटैगरी में स्नातक में 60% अंक लाने वाले छात्रों को 25% की आर्थिक सहायता दी जाती है. दिल्ली सरकार ने इस योजना के तहत 2018-19 में 2,429 छात्रों को 14.16 करोड़ रुपये, 2019-20 में 3,760 छात्रों को 24 करोड़ और 2020-21 में 6,820 छात्रों को 48.14 करोड़ रुपयों की आर्थिक सहायता दी गई.
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इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का विजन साझा करते हुए कहा कि दिल्ली में कोई भी छात्र जो प्रतिभाशाली है, कड़ी मेहनत करने के लिए तैयार है, उसकी पढ़ाई पैसे की कमी की वजह से न छूटे, ये सरकार की जिम्मेदारी है. उच्च शिक्षा के क्षेत्र में कोई भी बच्चा आगे बढ़ रहा है, उसकी पढ़ाई पैसों की कमी की वजह से न रुके, ये दिल्ली सरकार की जिम्मेदारी है.
उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने साझा किया कि इस स्कीम के शुरुआती साल में लगभग 2500 विद्यार्थियों को इसका लाभ मिला था और इसके लिए 14 करोड़ रुपए का बजट तैयार किया गया था, लेकिन ये बेहद खुशी की बात है कि इस साल 6 हजार 820 विद्यार्थियों को इस स्कीम से लाभ मिल रहा है. इस साल इस योजना के लिए बजट बढ़ाकर 48 करोड़ हो गया है. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने पिछले 4-5 सालों में स्कूलों, उच्च शिक्षा और टेक्निकल एजुकेशन के संस्थानों को बेहतर करने का काम किया है. इसमें उच्च शिक्षा संस्थानों के हमारे उपकुलपति और फैकल्टी ने अपना अहम योगदान दिया है. इसी वजह से 2015 तक दिल्ली के वे उच्च शिक्षा संस्थान, जो टॉप 50 में भी शामिल नहीं थे, आज टॉप 5 और टॉप 10 में पहुंच गए हैं.
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मनीष सिसोदिया ने कहा कि हम देश के टॉप यूनिवर्सिटी में शामिल हो चुके हैं, लेकिन वो दिन दूर नहीं जब दिल्ली के उच्च शिक्षा संस्थान विश्व के टॉप संस्थानों में शामिल होंगे. इसके लिए हमें कड़ी मेहनत करनी होगी.
उपमुख्यमंत्री ने कहा कि दुनिया ने 3 तरह के देश होते हैं- विकसित देश, विकासशील देश व अविकसित देश. जब हम स्कूल में पढ़ते थे, तब भी भारत विकासशील देशों की श्रेणी में था और आज भी भारत विकासशील देशों की श्रेणी में है. उन्होंने कहा कि कोई भी देश सरकारों की नीतियों से नहीं बल्कि बेहतर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के दम पर विकसित देश बनता है. सिसोदिया ने कहा कि “आज आम भारतीय घरों में जब अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा देने की बात आती है, तो ये चर्चा होती है कि बच्चों को हार्वर्ड भेजे, ऑक्सफ़ोर्ड, कैंब्रिज भेज देते हैं. आइए ये सपना देखते हैं कि आने वाले कुछ सालों के बाद अमेरिका, ब्रिटेन, जापान में बैठा कोई परिवार ये सपना देख रहा हो कि कुछ जुगाड़ लग जाए, ताकि वो अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा देने के लिए भारत के किसी यूनिवर्सिटी में भेज सकें.” जिस दिन हमारी यूनिवर्सिटीज अमेरिका, जापान जैसे देशों के परिवारों के लिए सपना बन जाएगी, उस दिन से शान से हम अपने बच्चों को पढ़ाया करेंगे कि भारत अब विकासशील देश नहीं बल्कि विकसित देश है.
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मनीष सिसोदिया ने लाभार्थियों से अपील करते हुए कहा कि “जब समाज और सरकार की ओर से आपकी शिक्षा के लिए ऐसा कदम उठाया जा रहा है, तो आप सभी की ये जिम्मेदारी है कि आप एक देशभक्त नागरिक के रूप में एक अच्छा बिजनेसमैन, एक अच्छा अफसर, एक अच्छा शिक्षक बनकर देश के प्रति अपना कर्तव्य निभाएं. इसकी शुरुआत “देश का मेंटर’ बनकर करें और दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले उन बच्चों की मदद करें, जिनमें प्रतिभा तो है लेकिन अपनी प्रतिभा को दिशा देने के लिए गाइडेंस की जरूरत है. एक मेंटर के रूप में आज से 5-5 बच्चों की हैण्ड होल्डिंग कर देश के भविष्य को संवारने का काम करें. अपने अनुभवों को, अपनी नॉलेज को उनके साथ साझा करें. उन्होंने कहा कि 9-12 के बच्चों के पास सपने तो हैं, लेकिन उसे ये स्पष्टता नहीं है कि उसे अपने करियर के रूप में किस क्षेत्र में जाना है. उन बच्चों में अपने करियर व उच्च शिक्षा के लिए स्पष्टता लाने में बड़े भाई-बहन के रूप में उनकी मदद करें. फ़ोन पर उनकी मेंटरिंग करें उन्हें गाइडेंस दें, यहीं से असली राष्ट्र का निर्माण होगा.
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मनीष सिसोदिया ने कहा कि आज देश के सामने सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी की है. हर साल दिल्ली के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों से 2.5 लाख बच्चे 12वीं पास करके निकलते हैं और यदि ये सभी ग्रेजुएशन करने के बाद नौकरी करने की लाइन में खड़े होंगे, तो जॉब प्रोवाइडर्स कहां से आएंगे. जब तक भारत के कॉलेजों से नौकरी पाने वाले छात्र निकलते रहेंगे, तब तक भारत विकसित देशों की श्रेणी में नहीं आएगा, इसलिए हमें भारत को जॉब प्रोवाइडर्स का देश बनाना होगा. आज हमें ये सुनकर खुशी होती है कि हमारे छात्र गूगल जैसी कंपनी चला रहे हैं, लेकिन भारत तब विकसित होगा, जब हमारे छात्र गूगल जैसी कंपनी बनाना शुरू कर देंगे. ये देश की इकॉनमी को बढ़ाएगा, इसलिए जॉब प्रोवाइडर बनें और ऐसी कंपनिया बनाएं कि विदेशों में रहने वाले बच्चे भारत की कंपनियों में नौकरी करने का सपना देखने लगें.
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