शैलेष पाठक, बिलासपुर। मिक्की मेमोरियल ट्रस्ट ने बिना सुनवाई का अवसर दिए एमजीएम हॉस्पिटल के निरीक्षण पर आपत्ति जताते हुए बिलासपुर उच्च न्यायालय में शुक्रवार को याचिका दायर की थी. जस्टिस पी सेम कोशी के सिंगल बेंच ने याचिका की सुनवाई करते हुए आपत्ति को दरकिनार करते हुए शासन की कार्रवाई में सहयोग करने के लिए निर्देशित किया.

बता दें कि जिला प्रशासन की टीम एक दिन पहले ही गुरुवार को निलंबित आईपीएस मुकेश गुप्ता से जुड़े एमजीएम अस्पताल को 4 फरवरी को नोटिस जारी कर 6 फरवरी को निरीक्षण के लिए पहुंची थी. इस दौरान मौके पर मौजूद एमजीएम हास्पिटल के वकीलों ने बगैर एफआईआर और सर्च वारंट के पहुंचने आपत्ति करते हुए टीम को वापस लौटा दिया था.

इस मामले में मिक्की मेमोरियल ट्रस्ट ने छत्तीसगढ़ शासन के विरुद्ध जस्टिस पी सेम कोशी के सिंगल बेंच में याचिका प्रस्तुत की. इसमें कहा गया कि शासन द्धारा बिना सुनवाई का अवसर दिए हुए और किसी भी शिकायत की जानकारी देते हुए बार-बार एमजीएम हॉस्पिटल में निरीक्षण के नाम पर परेशान किया जा रहा है. शासन की ओर से जवाब देते हुए बताया गया कि समस्त कार्यवाही रजिस्टार पब्लिक लोक न्यास अधिनियम की परिधि के अंदर किया जा रहा है.

शासन की ओर से कहा गया कि याचिकाकर्ता से मात्र जानकारी मांगी जा रही है, जिसे याचिकाकर्ता द्धारा बिना किसी वजह के छुपाया जा रहा है, जिसे मंगाने की शक्ति अधिनियम के तहत रजिस्ट्रार के पास है. याचिका शासकीय कार्य में व्यवधान के उद्देश्य से दिया गया है, जिससे याचिकाकर्ता द्वारा अपने विधि विरूद्ध कृत्यों का छिपाया जा सके, जिसे बताने का दायित्व किसी भी न्यास को होता है. 

उच्च न्यायालय ने सुनवाई उपरांत शासन के द्वारा की जा रही कार्यवाही में किसी भी प्रकार की कोई अवैधानिकता ना पाते हुए याचिका को निराकृत करते हुए निर्देशित किया कि शासन न्यास अधिनियम के प्रावधानों का पालन करते हुए कार्यवाही करने के लिए स्वतंत्र है, एवं याचिकाकर्ता से उक्त कार्यवाही में अपना पूर्ण योगदान प्रदान करना अपेक्षित है ताकि विधि अनुसार कार्यवाही की जा सके.

इसे भी पढ़ें : एमजीएम हाॅस्पिटल गई टीम को एक बार फिर बगैर जांच के लौटना पड़ा बैरंग, इस बार वकीलों ने इन बातों पर जताई आपत्ति