सुप्रिया पाण्डेय, रायपुर। निलंबित आईपीएस मुकेश गुप्ता से जुड़े एमजीएम अस्पताल की जांच करने पहुंची जिला प्रशासन की टीम को एक बार फिर बगैर किसी जांच के बैरंग वापस लौटना पड़ गया. जिला प्रशासन द्वारा एमजीएम हास्पिटल की जांच के लिए 4 फरवरी को नोटिस दिया गया था, जिसमें 6 फरवरी को जांच किये जाने के लिए कहा गया था.

नोटिस के बाद गुरुवार को पहुंची जांच टीम का सामना एक बार फिर एमजीएम हास्पिटल के वकीलों से हुआ. वकीलों ने पिछली दफा  बगैर एफआईआर और सर्च वारंट के पहुंचने आपत्ति करते हुए टीम को वापस लौटा दिया था. इस दफे वकीलों ने जांच टीम से इस मामले से जुड़े कागजातों की मांग की और नोटिस के पीरियेड को लेकर जांच टीम के सामने अपनी आपत्ति दर्ज कराई और कहा कि 24 घंटे या 48 घंटे का शार्ट नोटिस नहीं बल्कि 20 से 25 दिन का नोटिस समय दें. भर्ती मरीजों का हवाला देते हुए वकील ने कहा कि अस्पताल में गंभीर किस्म के मरीज भर्ती रहते हैं जिनका ऑपरेशन करना है, उन्हें शिफ्ट करना पड़ेगा.

लल्लूराम डॉट कॉम की टीम से बातचीत में एमजीएम हॉस्पिटल के वकील नवीन आहूजा ने कहा, “इस मामले में सबूत के तौर पर हमने कागजात मांगे हैं लेकिन उन्होंने दिया नहीं है. पत्रों का हवाला देते रहते हैं लेकिन हमने कभी अनियमितता की हो, प्रथम दृष्टया किसी भी प्रकार के कागजात इन्होंने हमें नहीं दिया है. ये हमेशा जांच के लिए आते है जिसका हमने सहयोग भी किया है. अभी पंजीयक सार्वजनिक न्यास की तरफ से पत्र पहुंचा है पीडब्ल्यूडी की टीम को कि वो इस परिसर की जाँच करें. आज जांच थी हमने बताया था कि हॉस्पिटल चलता है और व्यवस्थाएं करनी होती है, ऐसा नहीं होता कि आप 24 या 48 घंटे का नोटिस दें. गंभीर मरीज रहते हैं ऑपरेशन करना होता है उन्हें शिफ्ट करना पड़ता है. हमने लिखा है कि हमें समय तो दें लेकिन पीडब्ल्यूडी की टीम ने दस्तावेज मांगे. हमने कहा ये बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज का मामला है हमने ये भी पूछा कि जांच के लिए आपके पास पुराने पेपर तो होंगे. वो जांच करने आए थे हमारे ऊपर कोई गंभीर आरोप नहीं मिला. उन्होंने कहा कि हम आपको चिट्ठी देंगे और जांच करेंगे. हमने उन्हें कहा कि कर लीजिएगा. पीडब्ल्यूडी की टीम लेआउट और दूसरे नक्शे के लिए बोल रहे थी. हमने 20, 25 दिन का समय मांगा था. पीडब्ल्यूडी के पत्र में नक्शे वाली कोई बात ही नहीं लिखी थी. लगभग 10 लोग की टीम थी, जिसमें से 6 से 7 लोग पहुंचे थे. टीम ने कहा कि पत्र देकर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी लेकिन टीम के द्वारा पुलिस क्यों लाया गया? इसमें हम कुछ नहीं कह सकते, हम जांच में पूरी तरह से सहयोग करेंगे.”

उधर इस मामले में एसडीएम प्रणव सिंह ने कहा कि एमजीएम के ट्रस्ट के जमीन का मूल्यांकन कराने के लिए पीडब्लूडी की टीम को लेटर भेजा था लेकिन पीडब्ल्यूडी से रिटर्न में मेरे पास अभी कोई जानकारी नहीं आई है.

आपको बता दें इससे पहले 18 सितंबर साल 2019 को पीडब्ल्यूडी की टीम एमजीएम अस्पताल पहुंची थी, जहां हॉस्पिटल के वकीलों ने बगैर एफआईआर और सर्च वारंट लिए पहुंचने पर सवाल उठाया था और उनसे कागजातों की मांग की थी. जिसके बाद टीम को वहां बैरंग लौटना पड़ा था.

गौरतलब है कि मुकेश गुप्ता के खिलाफ चल रहे जांच में सरकार को मिकी मेमोरियल ट्रस्ट में कई गंभीर खामियां मिली थी. मुकेश गुप्ता की दिवंगत पत्नी के नाम पर चल रहे ट्रस्ट मिकी मेमोरियल ट्रस्ट को लेकर पंजीयक कार्यालय ने गंभीर टिप्पणी की थी.

पंजीयक सार्वजनिक न्यास रायपुर ने ट्रस्ट के प्रबंधक को नोटिस भेजकर ट्रस्ट की समस्त चल अचल संपत्तियां के क्रय विक्रय, दान वसीयत के दस्तावेज और विवरण उपलब्ध कराने के साथ ही आयकर रिटर्नस एवं स्टेटमेंट, आय-व्यय का लेखा-जोखा, सभी ट्रस्टी एवं लोक न्यास से संबंधित सभी व्यक्तियों के विवरण, ब्योरा, लेखा एवं रिपोर्ट, उनकी चल अचल संपत्तियों का समस्त विवरण प्रस्तुत करने के निर्देश दिये थे. उधर इस मामले में चल रही जांच में 97 खातों का भी पता चला था.