रायपुर. वर्ष 2022-23 में महात्मा गांधी नरेगा योजना छत्तीसगढ़ में सुर्खियों में रहा है. राज्य को केंद्र से वर्ष 22-23 के लिए श्रमिक बजट में 12 करोड़ मानव दिवस सृजित करने के लक्ष्य मिले थे, जो मंगलवार को लगभग पूर्ण हो गया है. वित्तीय वर्ष के शुरुआती में मनरेगा कर्मियों के हड़ताल से जहां एक ओर ग्रामीण अर्थव्यवस्था चरमरा गई थी, जिसके कारण इन कर्मचारियों की मांगों पर संवेदनशील पूर्वक विचार करने की बजाय सरकार के कैबिनेट मंत्री सीधे तौर पर इन कर्मचारियों पर ग्रामीण मजदूरों को काम नहीं देने का आरोप लगा रहे थे. हालांकि, छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के पदाधिकारी इस आरोप के बीच राज्य को प्राप्त लक्ष्य को पूर्ति करने की बात कहते आए थे. छत्तीसगढ़ के इतिहास में यह पहला वर्ष होगा कि मात्र 6 माह के अल्प अंतराल में छत्तीसगढ़ को केंद्र से प्राप्त मानव दिवस लक्ष्य पूर्ण कर लिया है.


छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के प्रांताध्यक्ष अशोक कुर्रे ने बताया कि, यह प्रदेश में मनरेगा के संकल्प दृढ़ता और एकता से ही संभव हो पाया है. विगत एक साल से हम निरंतर संघर्ष करते आ रहे है, सरकार के वादे अनुसार नियमितिकरण हमारी प्रमुख मांग है. इसके अलावा रोजगार सहायक का अल्प वेतनमान और कर्मचारियों के अनियमित रूप से वेतन भुगतान और 4 साल में वेतन नहीं बढ़ना ये आम समस्या बनी हुई है, जिसके कारण हमें मजबूरन हड़ताल में जाना पड़ा. उसके बाद भी हमारी मांगों को संवेदनशीलता पूर्वक विचार नहीं किया गया है. वर्तमान में हमारी मांगें तो दूर हमारे हड़ताल अवधि का वेतन भुगतान भी नहीं किया गया है.

सरकार से हड़ताल के दौरान हम जो वादा किए थे कि हम हर हाल में मनरेगा मजदूरों को उनके अधिकार का रोजगार देंगे वो हमने कड़ी मेहनत से कर दिया है. हम छत्तीसगढ़ के संवेदनशील मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से निवेदन करते हैं कि हमारी नियमितिकरण के वादे को पूरा कर समस्त मनरेगा कर्मचारियों को नवरात्रि का उपहार दें.