शहडोल। तमिलनाडु के कुन्नूर के जंगलों में बुधवार को सेना का एक एमआई-17वी5 हेलीकॉप्टर क्रैश हो गया. इस हादसे के बाद हेलीकॉप्टर में आग लग गई. इसमें चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी मधुलिका सहित सेना के 14 अधिकारी सवार थे. जिसमें से 11 शव बरामद कर लिए गए हैं. बिपिन रावत गंभीर रूप से जख्मी बताए जा रहे हैं.

मध्य प्रदेश के शहडोल जिले के सोहागपुर में जनरल बिपिन रावत की मधुलिका सिंह से 1985 में शादी हुई थी. उनकी पत्नी मधुलिका सिंह रावत सोहागपुर राजपरिवार स्व. कुंअर मृगेंद्र सिंह की बेटी है. जनरल रावत और मधुलिका सिंह की दो बेटी है. बड़ी बेटी कृतिका रावत की शादी मुंबई में हुई है, जबकि छोटी तारिणी रावत अभी पढ़ाई कर रही है.

विपिन रावत के ससुर मृगेंद्र सिह शहडोल सोहागपुर सीट से 1967 व 1972 में कांग्रेस के 2 बार विधायक रहे हैं. साल 2012 में मधुलिका शहडोल आई थी. घटना के संबंध में उनके चचेरे भाई विश्ववर्धन सिंह से बात हुई. उन्होंने कहा कि जो भी खबर मिली है, वह मीडिया के माध्यम से ही मिली है. उन्होंने कहा कि दुआ करते है कि सब ठीक रहे.

बिपिन रावत का जन्म उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में हुआ था. वे 1978 से भारतीय सेना में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. उन्हें दिसंबर 1978 में भारतीय सैन्य अकादमी, देहरादून से ग्यारह गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में नियुक्त किया गया था, जहां उन्हें ‘स्वॉर्ड ऑफ़ ऑनर ‘से सम्मानित किया गया था. 

हेलीकॉप्टर क्रैश की घटना में बिपिन रावत गंभीर रूप जख्मी बताए जा रहे हैं. उनके गांव का माहौल एक दम बदल चुका है. लोग बाबा केदारनाथ से उनकी सलामती की दुआएं कर रहे हैं. लोग टक टकी लगाकर टेलीविजन देख रहे हैं. लोग एक दूसरे के घर जाकर भी उनकी हालात की जानकारी ले रहे हैं. जनरल रावत पौड़ी जिले के द्वारीखाल ब्लाक के सैंण गांव के मूल निवासी हैं.

बिपिन रावत के पिताजी एलएस रावत भी फ़ौज में थे और उन्हें लेफ्टिनेंट जनरल एलएस रावत के नाम से पहचाना जाता था. इनका बचपन फौजियों के बीच ही बीता और इनकी शुरूआती पढ़ाई सेंट एडवर्ड स्कूल शिमला में हुई. उसके बाद उन्होंने इंडियन मिलट्री एकेडमी में एडमिशन लिया और देहरादून चले आये. यहां उनकी परफोर्मेंस को देखते हुए उन्हें पहला सम्मान पत्र मिला जो SWORD OF HONOUR से सम्मानित किया गया था. उसके बाद उन्होंने अमेरिका में पढ़ाई करने का मन बनाया और वो अमेरिका चले गये यहाँ उन्होंने सर्विस स्टाफ कॉलेज में ग्रेजुएट किया. साथ में उन्होंने हाई कमांड कोर्स भी किया.

बिपिन रावत अमेरिका से लौट आये और उसके बाद उन्होंने आर्मी में शामिल होने का मन बनाया. उन्हें अपने प्रयासों में सफलता 16 दिसंबर 1978 में मिली. उन्हें गोरखा 11 राइफल्स की 5वीं बटालियन में शामिल किया गया. यहीं से उनका सैन्य सफर शुरू हुआ. यहाँ बिपिन रावत को सेना के अनेक नियमों को सिखने का मौका मिला और उन्हें कैसे एक टीम वर्क करना चाहिए यह भी उनके समझ में आया.

बिपिन रावत ने एक इंटरव्यू में  बताया था कि उनकी जिंदगी में उन्होंने गोरखा में रहते हुए जो सिखा वो कहीं और सिखने को नहीं मिला है. यहां उन्होंने आर्मी नीतियों को समझा और नीतियों के निर्माण में कार्य किया. गोरखा में रहते हुए उन्होंने आर्मी की अनेक जैसे Crops , GOC-C , SOUTHERN  COMMAND, IMA DEHRADUN , MILLTERY OPREATIONS DIRECTORET में LOGISTICS STAFF OFFICER के पद पर भी काम किया.

बिपिन रावत ने भारत में ही नहीं अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी सेवायें दी है. वे कांगो के UN Mission के भागीदार थे और उसी वक्त उन्हें अंतराष्ट्रीय स्तर पर सेवायें देने का मौका मिला था. यहां उन्होंने 7000 लोगों की जान बचाई थी. बिपिन रावत को सेना में रहते हुए सेना में अनेक तरह के पुरस्कार भी मिले हैं. उन्हें युद्ध नीति को सीखते हुए अपने कौशल का सही इस्तेमाल करते हुए आर्मी में अनेक मैडल प्राप्त किये है.

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