Microplastics in Salt and Sugar : मंगलवार को आए एक अध्ययन ने सभी को डरा कर रख दिया है. ताजा रिपोर्ट में ये सामने आया है कि भारत में निर्मित नमक और सभी प्रकार के चीनी में माइक्रोप्लास्टिक पाए जाते हैं. ये स्वदेशी अपनाने के अभियान पर भी एक बड़ा प्रश्नचिन्ह लगाते हैं. इसमें चिंता की बात यह भी है कि पूर्व में किए गए अनुसंधानों के मुताबिक औसत भारतीय प्रतिदिन 10.98 ग्राम नमक और लगभग 10 चम्मच चीनी का उपभोग करता है , जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की अनुशंसित सीमा से बहुत अधिक है.
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पर्यावरण अनुसंधान संगठन टॉक्सिक्स लिंक द्वारा किए गए “नमक और चीनी में माइक्रोप्लास्टिक्स” शीर्षक वाले अध्ययन में ऑनलाइन और स्थानीय दोनों बाजारों से 10 प्रकार के नमक और पांच प्रकार की चीनी का परीक्षण किया गया.
अध्ययन में यह आया सामने (Microplastics in Salt and Sugar)
अध्ययन के दौरान नमक और चीनी के सभी नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक की मौजूदगी का पता चला, जो फाइबर, छर्रे, फिल्म और टुकड़ों सहित विभिन्न रूपों में मौजूद थे. इन माइक्रोप्लास्टिक का आकार 0.1 मिलीमीटर (मिमी) से लेकर पांच मिमी तक था. टॉक्सिक्स लिंक’ के संस्थापक-निदेशक रवि अग्रवाल ने कहा- ‘‘हमारे अध्ययन का उद्देश्य माइक्रोप्लास्टिक्स पर मौजूदा वैज्ञानिक डेटाबेस में योगदान देना था ताकि वैश्विक प्लास्टिक संधि इस मुद्दे का ठोस और केंद्रित तरीके से समाधान कर सके.’’ ‘टॉक्सिक्स लिंक’ के एसोसिएट निदेशक सतीश सिन्हा ने इस विषय में कहा, ‘‘हमारे अध्ययन में नमक और चीनी के सभी नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक की अच्छी खासी मात्रा का पाया जाना चिंताजनक है.
मानव स्वास्थ्य पर माइक्रोप्लास्टिक के दीर्घकालिक स्वास्थ्य प्रभावों के बारे में तत्काल और व्यापक अनुसंधान की जरूरत है.’’ अनुसंधान पत्र के अनुसार नमक के नमूनों में माइक्रोप्लास्टिक कीसांद्रता प्रति किलोग्राम नमक में 6.71 से 89.15 टुकड़े तक थी. अध्ययन के अनुसार, आयोडीन युक्त नमक में माइक्रोप्लास्टिक की सांद्रता सबसे अधिक (89.15 टुकड़े प्रति किलोग्राम) थी, जबकि जैविक सेंधा नमक में सबसे कम (6.70 टुकड़े प्रति किलोग्राम) थी. अध्ययन के मुताबिक चीनी के नमूनों में भी माइक्रोप्लास्टिक की सांद्रता 11.85 से 68.25 टुकड़े प्रति किग्रा तक पाई गई. जिसमें सबसे अधिक सांद्रता गैर-कार्बनिक चीनी में पाई गई.
हाल के अनुसंधान में मानव शरीर जैसे फेफड़े, हृदय और यहां तक कि मां के दूध और अजन्मे शिशुओं में भी माइक्रोप्लास्टिक पाया गया है. पूर्व में किए अनुसंधानों के मुताबिक, औसत भारतीय प्रतिदिन 10.98 ग्राम नमक और करीब 10 चम्मच चीनी का उपभोग करता है. जो विश्व स्वास्थ्य संगठन की अनुशंसित सीमा से बहुत अधिक है.
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