Migratory Bird In Chhattisgadh : गर्मी की दस्तक के साथ ही ठंड के मौसम में आने वाले विदेशी पक्षियों की वापसी शुरू हो गई है. कई देशों में ठंड शुरू होने के साथ ही पक्षी भारत का रुख करते हैं. तमाम जगहों के साथ ही इन पक्षियों की पसंदीदा जगहों में छत्तीसगढ़ भी शुमार है.
सितंबर के मध्य से जिले की झीलों में डेरा डालने वाले पक्षियों की वापसी मार्च के मध्य से शुरू होती है. इस बीच पक्षियों के आने से झीलों की रौनक बढ़ने के साथ ही बड़ी संख्या में लोग देखने पहुंचते हैं. छह माह के प्रवास के बाद पक्षियों की रवानगी शुरू हो चुकी है. हर साल बड़ी संख्या में विदेशी पक्षियों के आने से शोधकर्ता भी कारण जानने में जुटे हैं.
छत्तीसगढ़ बना आकर्षण का केंद्र (Migratory Bird In Chhattisgadh)
कई सालों से छत्तीसगढ़ में आने वाले पक्षियों की फोटोग्राफी करने वाले पर्यावरण प्रेमी और वर्ल्ड फोटोग्राफ बताते हैं कि पृथ्वी के उत्तरी गोलार्द्ध में ठंड शुरू होने पर बड़ी संख्या में पक्षी भोजन, प्रजनन व सुरक्षा के मद्देनजर भारत का रुख करते हैं. इनमें काफी छत्तीसगढ़ के अलग-अलग शहरों, कस्बों में आते हैं. इसका प्रमुख कारण कम ठंड और बड़ी संख्या में झीले हैं. छत्तीसगढ़ में छोटी-बड़ी झीलें होने से भोजन के साथ ही रहने लायक परिस्थितियां आकर्षण का केंद्र हैं. यहां की झीलों में यूरोप के साथ ही रूस, जापान, चीन आदि के पक्षी मिल चुके हैं. साइबेरिया में ज्यादा ठंड पड़ती है, इसलिए वे सर्दियों को टाइओवर करने के लिए छत्तीसगढ़ आते हैं. हमारे यहां उनके अनुकूलन के अनुरूप धूप रहती है, जो उनके अंडे से बच्चे निकलने एवं विकसित होने तक के लिए काफी मददगार साबित होती है.
हर साल 67 प्रकार के प्रवासी पक्षी पहुंचते रहे दुर्ग
दुर्ग के वन विभाग के अनुसार जिले में इस समय करीब 70 प्रकार के पक्षियों की प्रजातियां देखी गई हैं. इनमें 31 प्रजातियां ऐसी है, जो प्रवासी हैं. ये पक्षी साइबेरियन, कैस्पियन सागर व तिब्बत जैसे देशों से यहां पहुंची हैं. पाटन के बेलौदी में सबसे अधिक पक्षियों की प्रजातियों को देखा गया है. यह क्षेत्र अब बर्ड वॉचिंग पॉइंट के रूप में विकसित हो रहा है.
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