सुप्रिया पाण्डेय, रायपुर। पाकिस्तान से भारत में प्रवेश करने वाली टिड्डी दलों ने भारत में भी कहर बरपाया है. टिड्डी दलों ने राजस्थान, मध्य प्रदेश, पंजाब के साथ ही कई राज्यों की फसलों को बर्बाद कर दिया है. राजस्थान में टिड्डीयों के हमले से करीब 90 हजार हेक्टेयर फसलें बर्बाद हो चुकी है. हर साल टिड्डीयों की वजह से फसल का नुकसान होता है लेकिन इस बार उनका रूप ज्यादा ही अक्रामक हो चला है टिड्डीयों की अक्रामकता की वजह से चीन के करोड़ों लोगों ने अपनी जान गंवाई थी.

लगभग 60 वर्ष पहले की बात है जब माओ जेडॉन्ग ने एक अभियान की शुरूआत की थी जिस अभियान का नाम फोर पेस्ट कैंपेन रखा गया था जिसके तहत 4 जीवों को मारने का आदेश दिया गया था जेडॉन्ग का कहना था कि मच्छर, मक्खी, चूहा और गौरैया चिड़िया के द्वारा फसलों की बर्बादी होती है. 4 जीवों में सबसे ज्यादा मृत्यु गौरेया की हुई क्योंकि गौरेया चिड़िया को हमेंशा इंसानों के बीच रहना पसंद होता है साथ ही अन्य जीवों को मारना आसान नहीं था क्योंकि अन्य तीन जीवों को ढूंढना काफी मुश्किल है.

पूरे चीन में गौरेया को ढूंढकर मारा जाने लगा और उनके घोंसलों को भी नष्ट कर दिया गया. जहां कहीं भी गौरेया दिखाई देती उसे तुरंत ही मार दिया जाता और इस काम के लिए चीन के लोगों को इनाम भी दिया जाता था. जो जितनी ज्यादा संख्या में गौरेया को मारता उसे उसके अनुरूप ही पुरस्कार से नवाजा जाता.

भारी संख्या में गौरेया को मारे जाने के कुछ महीनों के बाद ही चीन में फसलों की बर्बादी होने लगी. 2 वर्ष बाद चीन के एक पक्षी विज्ञानी शो-शिन चेंग ने माओ जेडॉन्ग को बताया कि गौरेया की वजह से कम फसल बर्बाद होती है बल्की वो अनाज को भारी मात्रा में नुकसान पहुंचाने वाले टिड्डों को खाती है

पक्षी विज्ञानी की सलाह पर माओ जेडॉन्ग ने गौरेया को मारने वाले आदेश पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाई और उसकी जगह उन्होने टिड्डी को मारने का आदेश दिया लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी और टीड्डियों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी हो गई. इस वजह से सारी फसले बर्बाद हो गई और करीब 1.50 करोड़ लोगों की भूखमरी से मौत हो गई. इसे चीन में सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक माना जाता है.