सत्यपाल सिंह राजपूत, रायपुर। संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन तीन कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए लाए गए विधेयक के पारित होने पर खुशी जताते हुए खाद्य मंत्री अमरजीत भगत ने इसे किसानों और कांग्रेस की जीत करार दिया. उन्होंने कहा कि यह केंद्र सरकार की तानाशाही और आकड़ का हार है. इसके साथ साबित हो गया कि यह केंद्र सरकार का किसान विरोधी क़ानून था.

मंत्री अमरजीत भगत ने लल्लूराम डॉट कॉम से चर्चा में कहा कि ये किसानों के संघर्ष का नतीजा है, ये किसानों की जीत है, कांग्रेस की जीत है. इतना लंबा आंदोलन मैंने अपने जीवन में कभी नहीं देखा था. आंदोलन में इतने सारे किसान मारे गए. एक साल तक आंदोलन चला, उसके बाद पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव है, इसको देखते हुए हार के डर से केंद्र सरकार ने तीनों कृषि क़ानून वापस लिया है.

उन्होंने कहा कि किसान अभी आंदोलन में है, क्योंकि एमएसपी की माँग कर रहे हैं. केंद्र सरकार पर किसानों का भरोसा नहीं है, इसलिए कमेटी के आश्वासन के बाद भी किसान आंदोलन में हैं. जब ये क़ानून लागू किया गया था तो छत्तीसगढ़ सरकार ने सबसे पहले इसका विरोध किया था, और विधानसभा में लाकर छत्तीसगढ़ में अलग से किसान क़ानून बनाया गया है, और केंद्रीय क़ानून का विरोध किया गया.

मंत्री भगत ने कहा कि आज साबित हो गया कि तीनों के कृषि कानून उद्योगपतियों के लिए लाया गया था, जो केंद्र सरकार के बैकफुट में जाने से स्पष्ट है. उन्होंने कहा कि इस आंदोलन में जितने किसानों की मौत हुई है, उन्हें शहीद का दर्जा देने के साथ ही उनके परिवार के भरण-पोषण के लिए मुआवज़ा राशि भी दी जाए, क्योंकि केंद्र की गलती की वजह से किसानों को आंदोलन में जाना पड़ा और किसानों की मौत हुई.