रायपुर. अनुभवी हैं, वरिष्ठ हैं, शिक्षित हैं, सभ्य हैं, शिष्ट हैं. गांव-गंवई से निकले हैं. ओबीसी वर्ग से आते हैं. सौम्य छवि के नेता माने जाते हैं. शायद इसीलिए महापौर भी रहे, विधायक भी रहे और अब मंत्री हैं. लेकिन अब क्या…? क्या जनता की जगह कंपनी के प्रतिनिधि हैं ? ये सवाल मंत्री के उस दुर्व्यवहार से उठ खड़ा हुआ, जो उन्होंने अपने ही क्षेत्र की पीड़ित महिलाओं के साथ किया है. ये सवाल उस वायरल वीडियो से उठ खड़ा हुआ, जिसमें वे पीड़ित महिलाओं को धमकाते हुए नजर आ रहे हैं, जिसमें वे महिलाओं को पुलिस बुलवाकर फेंकवा देने की बात कह रहे हैं. वाह ! मंत्री जी वाह !… महिलाएं न हुई मानों कोई समान हो गया. जिसे आप फेंकवा देने की बात कह रहे हैं. अधिकारियों की मौजूदगी में डरा रहे हैं…धमका रहे हैं…वाह ! मंत्री जी वाह !
वाह ! वाले ये मंत्री लखन लाल देवांगन हैं. साय सरकार में श्रम एवं उद्योग मंत्री हैं. लेकिन मंत्री जी का श्रम कैसे और किस दिशा में लग रहा है इसे देखा और समझा जा सकता है. मंत्री के पास श्रम के साथ ही उद्योग विभाग है. लेकिन छत्तीसगढ़ में ठगी, जालसाज, फर्जीवाड़ा का उद्योग बड़े पैमाने पर फूल-फल रहा है, चल पड़ा है शायद इसकी जानकारी उद्योग को मंत्री को नहीं.
अगर होती तो मंत्री पीड़ितों की पीड़ा से वाकिफ होते. उनकी पीड़ा को अपनी पीड़ा समझते. साथ बैठते, धैर्य से सुनते और न्याय दिलाने की बात कहते. लेकिन मंत्री तो पुलिस बुलाकर फेंकवा देने की बात कह रहे हैं. अब ऐसे में इसे क्या माना जाए…? देवांगन जी आप कंपनी के नहीं जनता के प्रतिनिधि हैं. आपको तो आपके क्षेत्र के लोगों ने ही चुना है. ऐसे में आपको उन्हें सुनाना नहीं, हर क्षण, हर परिस्थिति में सुनना चाहिए.
आपकी धमकी लुटेरों के लिए होनी चाहिए. भ्रष्ट सिस्टम, भ्रष्ट अधिकारियों के लिए होनी चाहिए. आपको उन्हें हटाना, फेंकना, जेल भेजना चाहिए, जिन्होंने इस प्रदेश को लूटा है, लूट रहे हैं, जो सिस्टम में दीमक की तरह घुस गए हैं, घुस रहे हैं, जो जोंक की तरह खून चूस रह रहे हैं.
ये एक वीडियो तो फ्लोरा मैक्स के पीड़ित महिलाओं का है. न जाने ऐसी कितनी महिलाएं ? कितने ही लोग ठगी कंपनियों के शिकार होंगे. जिनके वीडियो नहीं आए होंगे. लेकिन जो सामने आ गए हैं उन्हें तो सुन लीजिए. आप अगर सुनेंगे नहीं, सुनाएंगे, धमकाएंगे तो इससे ठगी करने वालों का दुस्साहस और बढ़ेगा. जिन्होंने लाखों, करोड़ों ठगा, वो अरबों का ठगेगा.
वैसे भी आपने अपनी सरकार को विष्णु का सुशासन कहा है. जहां सबके साथ न्याय सर्वोपरि है. अगर ऐसा है तो पीड़ितों के साथ न्याय हो. लेकिन न्याय होता पीड़ितों के साथ दिख नहीं रहा है. आपने महिलाओं को धमकी क्या दी ? सारा सिस्टम ही पीड़ितों के खिलाफ हो गया है. पुलिस ने मंत्रियों के काफिला रोकने और सरकारी काम-काज में बाधा पहुँचाने का जुर्म दर्ज कर लिया है. इससे तो यही दिख रहा है कि आपकी व्यवस्था ने पीड़ितों को और पीड़ा दे दी है. और जनता आपसे यह पूछ रही है कि बताइये भला आप किसके प्रतिनिधि हैं ? फिर भी इस उम्मीद के साथ कि आप संवेदनशीलता का परिचय देंगे. पीड़ितों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे.
डॉ. वैभव बेमेतरिहा, राजनीतिक संपादक
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