रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) पंडित दीनदयाल ऑडिटोरियम (Pandit Deendayal Auditorium) पहुंचे. जहां फार्मासिस्ट कॉन्फ्रेंस (Pharmacist Conference) में शामिल हुए. वर्ल्ड फार्मासिस्ट डे के उपलक्ष्य में छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कार्यक्रम आयोजन किया गया. इस दौरान स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव (Minister TS Singhdeo), राज्यसभा सांसद छाया वर्मा भी कॉन्फ्रेंस में शामिल हुईं. जहां मंत्री सिंहदेव ने सीएम बघेल के किए विकास कार्यों की तारीफ की.

इस दौरान स्वास्थ मंत्री टीएस सिंह ने कहा कि छत्तीसगढ़ में बड़ी मात्रा में फार्मेसी की डिग्री वाले साथी हैं. शासन का भी प्रयास रहा कि जानकारों के जरिए ही दवाइयां लोगों तक पहुंचे. छत्तीसगढ़ में फार्मासिस्टों के जरिए ही दवाइयां नागरिकों तक पहुंच रही हैं.

मुख्यमंत्री के सामने बहुत सी मांगें आती हैं. उन्होंने यथासंभव मांगों को पूरा भी किया है. मुख्यमंत्री ने अपनी ज़िम्मेदारी को निभाया है. कई और फार्मासिस्टों की मांगों को पूरा करने को लेकर CM से आग्रह किया है. सभी कमियों को जल्द से जल्द दूर कर दी जाएंगी.

इस दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि जहां से महाराज (टीएस‌ सिंहदेव) ने बात समाप्त कि मैं वहीं से शुरू करता हूं. कोरोना काल में मानवता की सेवा के लिए सभी को सल्यूट करता हूं. छत्तीसगढ़ में कोरोना से लड़ने के लिए एकजुटता आप सब ने दिखाई है.

ऐसा कोई वर्ग नहीं जिसने अपने सहभागिता नहीं जताया. पहली लहर से हमने जंग जीत ली, लेकिन दूसरी लहर में महाराष्ट्र के बाद छत्तीसगढ़ दूसरे नंबर पर था. सभी की कोशिशों की बदौलत छत्तीसगढ़ में जितनी तेजी से कोरोना फैला उतनी ही तेजी से कम भी हुआ.

महाराज को स्वास्थ्य मंत्री होने की वजह से पता रहा होगा, लेकिन हमें नहीं पता था कि शरीर में कितना ऑक्सीजन होना चाहिए. दूसरी लहर में पता चला कि ऑक्सीजन की भी जरूरत है. फिर रेमडेसिविर की जरूरत पूरी की, तो छत्तीसगढ़ में रेमडेसिविर की कमी नहीं पड़ी. हमारे बजट में आज हेल्थ का बजट ही सबसे महंगा हो गया है. महंगी दवाईयां पहुंच के बाहर हो गई हैं. ऐसे समय में जेनरिक दवाईंया आर्थिक व्यवस्था को बचा सकती हैं.

कोरोना काल में हमें पता चला कि ऑक्सीजन बेड क्या होता है. स्वास्थ्य व्यवस्ता कैसे होती है. शहरों में भारी दवाब था. पता चला रेमडिशिविर होना चाहिए, जिसको जरूरत नहीं थी वो भी खरीद रहे थे. उस समय की दवाइयों का साइडइफेक्ट भी थे, जिनको बताने का काम भी फार्मासिस्ट का ही था.

सीएम बघेल ने कहा कि आज इस शरीर मे कितनी बीमारियां है किसी को पता नहीं है. हिमालय के बाद अगर वह औषधि अगर कहीं है तो वह छत्तीसगढ़ में है. जो वन औषधि से जुड़े कारोबार करना चाहते हैं, उन्हें सरकार पूरी मदद करेगी. आपका उत्पाद बिना टेंडर के आयुष विभाग में सीधे बेच सकते हैं.

मुख्यमंत्री का फ़िल्मी अंदाज

सीएम ने फार्मासिस्टों से कहा कि ‘कका अभी ज़िंदा है… सीएम के इस संबोधन पर तालियों से हॉल गूंज उठा. सीएम ने कहा कि वनौषधि उद्योग के लिए जो सुविधा राज्य सरकार की तरफ से चाहिए, वो दी जाएगी. मैं विश्वभर के दवा निर्माताओं से कहना चाहता हूं, वो छत्तीसगढ़ आएं, उन्हें जो सुविधा चाहिए, मैं दूंगा.

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