मध्यप्रदेश में मिशन 2023 की तैयारी शुरू हो गई है। वर्ष 2018 से 2023 के इस कार्यकाल का साढ़े चार साल बीत चुका है. साल खत्म होते-होते जनता फिर अपनी सरकार चुनेगी. एमपी की 230 विधानसभा सीटों में मौजूदा हालात क्या हैं, क्षेत्र की क्या स्थिति है, कौन सा विधायक कितने पानी में है ? इन सभी का जवाब अब विधायक जी का रिपोर्ट कार्ड (vidhayak ji ka Report Card) देगा. लल्लूराम डॉट कॉम आपको सूबे के सभी विधायकों की परफॉमेंस और उनके क्षेत्रों की जमीनी हकीकतों के बारे में बताने जा रहा है. विधायक जी का Report Card में आज शाजापुर जिले की शुजालपुर विधानसभा सीट (Shujalpur Assembly) की चर्चा करेंगे.
इस बार विधायक जी का report card में मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले की विधानसभा सीट शुजालपुर की चर्चा करेंगे। जिले का शुजालपुर सीट शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार का विधानसभा क्षेत्र है। शुजालपुर विधानसभा का 90 फीसदी हिस्सा ग्रामीण क्षेत्र है। यहां की जनता किसानी (कृषि) पर निर्भर है। इस सीट को कांग्रेस हर हाल में अपने झोली में लाना चाहेगी वहीं सत्ताधारी बीजेपी और शिक्षा मंत्री को सीट को बचाने की चुनौती है। दोनों ही पार्टी आगमी विधानसभा चुनाव में इस सीट पर कब्जा करने कमर कस ली है। विस चुनाव में कांग्रेस को गुटबाजी खत्म कर एकजुट होकर मैदान में उतरने से विजयी हासिल हो सकती है, वहीं वर्तमान विधायक को कथित तौर पर बाहरी प्रत्याशी बताकर उठने वाले विरोध के स्वर को दबाने में काफी मशक्कत करनी पड़ सकती है।
एमपी सरकार में शिक्षा मंत्री और वर्तमान विधायक इंदर सिंह परमार साल 2018 में कालापीपल से शुजालपुर विधनसभा शिफ्ट हुए थे। दो बार के विधायक जसवंत सिंह हाड़ा का टिकट काट इंदर परमार को प्रत्याशी बनाया गया और वे विजयी भी हुए। इस विधानसभा सीट पर राजपूत और परमार समाज के वोटर निर्णायक की भूमिका में है। इस समाज का मत जिस भी प्रत्याशी को मिलेगा उसकी जीत लगभग निश्चित मानी जाती है।
जातिगत समीकरण और मतदाताओं का प्रतिशत
शुजालपुर की जनसंख्या ढाई लाख है, जिसमें वोटर एक लाख 91 हजार 805 मतदाता है। राजपूत 22 हजार और परमार 20, मुस्लिम करीब 10 हजार है। 2018 में 5 हजार 623 वोटों से बीजेपी को जीत मिली थी। कांग्रेस से रामवीर सिकरवार ने 2018 विधानसभा का चुनाव लड़ा था। साल 2003 से सीट पर बीजेपी का कब्जा है। आखिर बार 1998 में कांग्रेस जीती थी।
इस सीट पर कांग्रेस को सबसे ज्यादा गुटबाजी का डर सता रहा है। इस बार रामवीर सिकरवार, योगेन्द्र बंटी बना, महेन्द्र जोशी टिकट के दावेदार है। बताया जाता है कि तीनों नेताओं में आपस में राजनीतिक पटरी नहीं बैठती है। साल 2008 और 2013 में महेन्द्र जोशी को पराजय का सामना करना पड़ा था। वहीं 2013 में बागी योगेन्द्र बंटी के कारण कांग्रेस को हार मिली थी। निर्दलीय उम्मीदवार योगेन्द्र को 32 हजार वोट मिले थे। 2013 में करीब 8 हजार से हार मिली थी। राजनीतिक पंडितों की मानें तो इस बार के विधानसभा चुनाव में भी दोनों पार्टी को खुला और भितरघात का सामना करना पड़ा सकता है।
इन मामलों को लेकर जनता नाराज
किसान फसल का मुआवजा नहीं मिलने से नाराज
बिजली दिन की जगह रात में मिलने से भी किसान परेशान
किसानों की मांग है कि गेहूं 3 हजार प्रति क्विंटल की दर से खरीदा जाए
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