बिलासपुर, वीरेन्द्र गहवई। 2018 में हुए छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में बदलाव का तूफान इस कदर तेज था कि सत्ताधारी भाजपा 49 सीटों से 14 सीटों पर सिमट कर रह गई है. वहीं दूसरी ओर 38 सीटों वाली कांग्रेस एक झटके में 71 के आंकड़े को पार कर गई. समय का चक्र घूमकर एक बार फिर वहीं पर आ रहा है. चुनाव से महज छह महीने पहले अब विधायकों का बहीखाता तैयार किया जाने लगा है. ऐसे में लल्लूराम डॉट कॉम प्रदेश के तमाम विधानसभाओं में पहुंचकर जायजा ले रही है.

विधानसभा का इतिहास

विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 28 तखतपुर सामान्य सीट है. विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 2,35,361 है, जिनमें से 1,19,500 मतदाता पुरुष और 1,15,860 महिला हैं. केवल 1 मतदाता तीसरी श्रेणी में आता है. तखतपुर विधानसभा क्षेत्र में नगर पालिका क्षेत्र तखतपुर और बिलासपुर नगर निगम में शामिल सकरी क्षेत्र शामिल हैं. जातिगत समीकरणों की बात करें तो तखतपुर विधानसभा क्षेत्र ओबीसी बाहुल्य क्षेत्र है, जहां पर कुर्मी व साहू वोटरों की संख्या सबसे ज्यादा है, फिर सतनामी-यादव समेत सामान्य वर्ग के लोगों की बारी आती है.

भाजपा के गढ़ में कांग्रेस की सेंध

तखतपुर विधानसभा में पिछले दो विधानसभा चुनाव से भाजपा-कांग्रेस व अन्य के टक्कर बीच रही है. 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की रश्मि सिंह ने छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के संतोष कौशिक को 2991 वोटों से हराया था. भाजपा की हर्षिता पांडेय तीसरे स्थान पर रहीं थीं. 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की रश्मि सिंह को 52,616 वोट मिले थे, वहीं छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के संतोष कौशिक को 49625 और भाजपा की हर्षिता पाण्डेय को 45622 वोट मिले थे. इसके पहले 2008 और 2013 में तखतपुर विधानसभा सीट भाजपा के कब्जे में रही थी. भाजपा के राजू क्षत्रिय ने विधानसभा से लगातार दो बार जीत हासिल की थी.

विधायक का दावा

भाजपा के पूर्व विधायक के कार्यकाल के दौरान काम नहीं होने की शिकायत आम थी. हम लोगों को दस साल से पिछड़े इलाके के लिए प्रयत्न कराकर काम स्वीकृत कराने की खुशी है. हम दोनों पति-पत्नी लोगों के बीच लगातार उपस्थित रहते हैं. इससे जनता के बीच नहीं होने की पूर्व विधायक समय की शिकायत दूर ही गई है.

विपक्ष का आरोप

परसाकांपा के किसान को लोग कैसे भूल सकते हैं, जिसे अपनी जमीन के नाम ट्रांसफर के लिए उसने आत्महत्या कर ली. किसानों को अपनी जमीन का नाम ट्रांसफर के लिए पैसा देना पड़ रहा है. यहां कोल माफिया को संरक्षण देने वाली विधायक हैं. कोल ब्लॉक के मामले में नेवरा की जनसुनवाई गनियारी बुलाकर की जाती, इससे स्थिति का अंदाजा लगाया जा सकता है. यह नहीं जून के महीने में कृषि मंत्री गोबर बहने की बात कहते हैं. इस तरह से बिहार के चारा घोटाले की तरह तखतपुर का गोबर घोटाला चर्चित है. विधायक जनता को ठग रही हैं. तखतपुर में भ्रष्टाचार की गाथा लिखी जा रही है. विधायक ने भ्रष्टाचार और माफिया राज का रिकार्ड बनाया है, और क्षेत्र की जनता त्राही-त्राही कर रही है.

मूलभूत सुविधाओं की कमी

तखतपुर विधानसभा क्षेत्र में गांव में सड़क, बिजली, पानी, चिकित्सा, शिक्षा सुविधा जैसी मूलभूत समस्या ही मुख्य मुद्दा है. तखतपुर विधानसभा क्षेत्र में लोग धान की खेती करते हैं. सिंचाई के साधन, धान खरीदी पर किसानों का जोर है.

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