प्रदीप गुप्ता, कवर्धा। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार को लगभग साढ़े चार साल हो चुके हैं, अब आगामी विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट होने लगी है. नेताओं के बयान भी इसी लिहाज से आने लगे हैं. लेकिन बीते साढ़े चार सालों में जिन वादों की वजह से लोगों ने अपना जनप्रतिनिधि चुना था, क्या उसमें वे खरे उतर पाएं हैं? इसी का हिसाब-किताब लेने के लिए लल्लूराम प्रदेश के तमाम विधानसभाओं में पहुंचकर लोगों की राय ले रहा है. अबकी बार हम कवर्धा विधानसभा में हैं, जहां से कांग्रेस सरकार के कद्दावर मंत्री मोहम्मद अकबर चुने गए हैं. आइए जानते हैं कि कवर्धा विधानसभा के लोगों की अपने जनप्रतिनिधि के बारे में कैसी प्रतिक्रिया है.

विधानसभा का इतिहास

कवर्धा विधानसभा छत्तीसगढ़ के पश्चिमी छोर का हिस्सा है. मैकल पर्वत श्रृंखला से घिरा कवर्धा खूबसूरत शहरों में से एक है. जंगल की हरियाली और मैकल पहाड़ी पर कई पुरातात्विक और ऐतिहासिक स्थल मौजूद हैं. प्रसिद्ध भोरमदेव मंदिर और पचराही का पूरा अवशेष कवर्धा को विश्व प्रसिद्ध बनाता है. संरक्षित बैगा जनजातियों का आदिम स्थान भी कवर्धा ही है. कवर्धा की अर्थव्यवस्था खेती पर ही निर्भर है. छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा गन्ना कारखाना भी यहीं है.

गोड़ राजवंशों का गौरवशाली इतिहास

कवर्धा राजनगरी भी है. छत्तीसगढ़ के समृद्ध रियासतों में एक रियासत कवर्धा ही रहा है. कवर्धा का मोती महल बेहद ही खूबसूरत है. गोड़ क्षत्रिय राजवंशों की इस रिसायत का अपना गौरवशाली राजनीतिक इतिहास भी है. 1957 से लेकर 2018 के 60 साल के इतिहास में कवर्धा राजघराने का प्रतनिधित्व लगातार रहा है. लेकिन 2008 के बाद कवर्धा की सियासत राज परिवार से मुक्त हो गया है. अब कवर्धा में मोहम्मद अकबर काबिज हैं.

अकबर ने हासिल की सबसे बड़ी जीत

मोहम्मद अकबर 1993 में बीरेन्द्र नगर विधानसभा सीट चुनाव लड़े थे, लेकिन पहला चुनाव हार गए थे. इसके बाद 1998 और 2003 बीरेन्द्र विधानसभा से लगातार चुनाव जीते. 2008 के परिसीमन में बीरेन्द्र नगर विधानसभा सीट पंडरिया में तब्दील हो गया, लेकिन विधायक अकबर ही रहे. 2013 में अकबर ने विधानसभा सीट बदली और कवर्धा आ गए, लेकिन मामूली अंतर से भाजपा प्रत्याशी अशोक साहू से हार गए. 2018 में अकबर ने जोरदार वापसी की. छत्तीसगढ़ के राजनीतिक इतिहास में सबसे बड़ी जीत दर्ज करते हुए भाजपा प्रत्याशी अशोक साहू को 59 हजार 284 मतों से हराया.

पुरुष-महिला मतदाता एक समान

कवर्धा विधानसभा में मतदाताओं की संख्या समान है. विधानसभा में कुल 3,13,438 मतदाता हैं, जिनमें से 1,56,873 पुरुष और 1,56,562 महिला मतदाता हैं. महज गिनती के दो मतदाता थर्ड जेंडर से हैं. जातीय समीकरणों की बात की जाए तो लगभग 70 हजार साहू समाज के, लगभग 30 हजार कुर्मी समाज के, लगभग 50 हजार आदिवासी, लगभग 32 हजार मरार समाज, लगभग 22 हजार सतनामी समाज, लगभग 15 हजार यादव समाज, लगभग 15 हजार मुस्लिम समाज और अन्य समाज के लगभग 70 हजार मतदाता हैं.

विधायक का दावा

कवर्धा में विकास को लेकर मंत्री मो. अकबर का दावा है कि उनके कार्यकाल में रायपुर-जबलपुर राष्ट्रीय मार्ग पर सकरी नदी पर ब्रिज का निर्माण हुआ. कवर्धा को मेडिकल कॉलेज की सौगात मिली. कई स्थानों पर नवीन धान खरीदी केंद्र और सहकारी बैंक खोले गए. घटोला बांध की स्वीकृति कराने के साथय़ सिंचाई सुविधाओं का विस्तार किया गया. नवीन शाला भवन, अंग्रेजी माध्यम के स्कूल के अलावा संरक्षित जनजाति के लिए बैगा प्रोजेक्ट की शुरुआत की. वन प्रबंधन समितियों के माध्यम से वनवासियों को लाभ पहुंचाने का काम किया गया.

विपक्ष का आरोप

भाजपा नेता विजय शर्मा का दावा है कि कांग्रेस सरकार में कवर्धा में विकास ठप रहा है. बीते साढ़े चार में साल में सिर्फ भ्रष्टाचार हुआ है.
पीएम आवास और नल जल योजना का लाभ नहीं मिला. बैगा जनजाति क्षेत्र में हाल बुरा है. अधोसरंचना के सारे काम रमन सरकार के समय के हैं.

कवर्धा के प्रमुख मुद्दे

शहर में दो साल पहले शुरू हुआ झंडा विवाद एक बड़ा चुनावी मुद्दा बन चुका है. इसके अलावा प्रधानमंत्री आवास और नल-जल मिशन का भी मुद्दा लोगों के बीच अपनी पैठ बनाए हुए हैं. इसके अलावा पार्टियों के लिहाज से बात कही जाए तो कार्यकर्ताओं की एकजुटता कांग्रेस और भाजपा के लिए बड़ा मुद्दा है. प्रदेश के अन्य विधानसभा की तरह कवर्धा में भी ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस मजबूत है, वहीं
शहरी इलाकों में भाजपा की पकड़ नजर आती है.