वीरेन्द्र गहवई, बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के लिए अब कमोबेश छह महीने ही शेष हैं. ऐसे समय में वर्ष 2018 में जनता ने जिन लोगों को अपना प्रतिनिधि बनाकर विधानसभा में भेजा था, उनके साढ़े चार साल के कामकाज का लेखा-जोखा लेने का समय आ गया है. लल्लूराम डॉट कॉम विधायकों के कामकाज का जायजा लेने के लिए प्रदेश के हर विधानसभा में जनता के बीच पहुंच रहा है. ताजा कड़ी में हम कोटा विधानसभा पहुंचे हैं, जहां के मतदाताओं की विधायक के साथ-साथ विपक्ष की सक्रियता को लेकर राय हासिल की.

विधानसभा का इतिहास

बिलासपुर जिले का विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 25 कोटा विधानसभा सामान्य सीट है. विधानसभा में कुल मतदाताओं की संख्या 2,10,791 है, जिनमें 1,05,125 पुरुष, 1,05,666 महिला मतदाता शामिल हैं. कोटा विधानसभा क्षेत्र में कोटा के अलावा पेंड्रा, गौरेला नगर पंचायत क्षेत्र, तो रतनपुर नगर पालिका भी शामिल है, वहीं बेलगहना, करगीकला, करगीखुर्द, खैरा-चपोरा जैसे बड़े ग्रामीण इलाके जुड़े हुए हैं. कोटा विधानसभा सीट से काशीराम तिवारी पहले विधायक बने थे, जबकि मथुरा प्रसाद दुबे 4 बार, राजेंद्र शुक्ल 5 बार चुने गए. 2006 में डॉ. रेणु जोगी पहली महिला विधायक बनीं.

जनता कांग्रेस ने भेदा कांग्रेस का गढ़

कोटा विधानसभा क्षेत्र आदिवासी बहुल इलाका है. विधानसभा सीट के लिए भाजपा-कांग्रेस के बीच सीधी टक्कर रही है, लेकिन वर्ष 2018 के चुनाव में त्रिकोणीय संघर्ष देखने को मिला. कांग्रेस से अलग होकर बनी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ पार्टी की उम्मीदवार रेणु जोगी ने यहां से चुनाव में जीत हासिल कर लगातार चौथी बार क्षेत्र से विधायक बनी.

जनता कांग्रेस की उम्मीदवार डॉ. रेणु जोगी को 48,800 वोट मिले थे, जबकि भाजपा प्रत्याशी काशीराम साहू को 45,774 वोट मिले. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी विभोर सिंह को 30,803 वोट मिले थे. इस तरह से जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ की प्रत्याशी रेणु जोगी ने भाजपा के काशीराम साहू को 3026 मतों से शिकस्त दी.

अरपा की टूट रही सांस

बिलासपुर के पास ही बहने वाली अरपा नदी का खत्म होना यहां की प्रमुख समस्याओं में से एक रहा है. स्थानीय नागरिकों ने कई बार अरपा नदी को बचाने के लिए सत्याग्रह, आंदोलन तक किए हैं. इसके अलावा क्षेत्र में गांव की खराब सड़कें, बिजली, पानी, चिकित्सा, शिक्षा की सुविधा जैसी मूलभूत समस्या है.