कर्ण मिश्रा,शिवपुरी। मध्यप्रदेश में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं. 2018 से 2023 के इस कार्यकाल का साढ़े चार साल बीत चुका है. साल खत्म होते-होते जनता फिर अपनी सरकार चुनेगी यानी एक बार फिर जनप्रतिनिधियों की आवाम की उम्मीदों पर खरा उतरने की बारी है. एमपी की 230 विधानसभा सीटों में मौजूदा हालात क्या हैं, क्षेत्र की क्या स्थिति है, कौन सा विधायक कितने पानी में है ? इन सभी का जवाब अब विधायक जी का रिपोर्ट कार्ड (vidhayak ji ka Report Card) देगा. लल्लूराम डॉट कॉम आपको सूबे के सभी विधायकों की परफॉमेंस और उनके क्षेत्रों की जमीनी हकीकतों के बारे में बताने जा रहा है. विधायक जी का Report Card में आज बात शिवपुरी जिले की पिछोर विधानसभा सीट की.

पिछोर विधानसभा

शिवपुरी जिले की पिछोर विधानसभा सीट कांग्रेस के अभेद किले के रूप में जानी जाती है. वर्तमान में इस विधानसभा से कांग्रेस विधायक केपी सिंह है. जिन्हें क्षेत्र की जनता 1993 से लगातार विधायक चुन रही है. 6 बार से लगातार पूर्व मंत्री केपी सिंह यहाँ जीत दर्ज कर रहे है. 2018 के चुनाव में केपी सिंह उर्फ कक्काजू को 91463 तो वही BJP उम्मीदवार प्रीतम लोधी को 88788 वोट हासिल हुए थे. केपी सिंह ने 2675 वोट के मामूली अंतर से BJP के प्रीतम लोधी को चुनाव हराया था.

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जातिगत समीकरण

जातिगत समीकरण की बात की जाए, तो लोधी 50 हजार, आदिवासी 40 हजार, यादव 32 हजार, जाटव 30 हजार, ब्राह्मण 18 हजार, बघेल 15 हजार, ठाकुर 8 हजार हजार, कुशवाह 8 हजार और केवट 7 हजार शामिल है.

विधानसभा की खासियत

पिछोर ऐसी विधानसभा है, जो शिवपुरी जिले की ग्रामीण क्षेत्र से आती है. लोधी, आदिवासी और यादव बाहुल्य इस सीट पर कांग्रेस के साथ ही BJP और BSP का बड़ा वोट शेयर है. इस विधानसभा क्षेत्र में लोगों का मूल पेशा कृषि के साथ ही पशुपालन और स्थानीय व्यापार है. इस बार 2023 के चुनाव से पहले यहां विधायक केपी सिंह ने जनता के समर्थन से बड़ी मांग उठाई है. केपी सिंह ने 100 किलोमीटर से ज़्यादा जिला मुख्यालय शिवपुरी होने के चलते पिछोर और खनियाधाना को मिलाकर जिला बनाने की आवाज उठाई है. हालांकि सीएम शिवराज पिछोर को जिला बनाने की घोषणा कर चुके हैं.

पिछोर विधानसभा के मतदाता

पिछोर विधानसभा में कुल 2 लाख 57 हजार 019 मतदाता है. जिसमें पुरुष 1 लाख 36 हजार 706, महिला 1 लाख 20 हजार 308 और थर्ड जेंडर 5 हैं.

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पिछोर विधानसभा कब अस्तित्व में आई ?

यह निर्वाचन क्षेत्र 1951 में तत्कालीन मध्य भारत राज्य के 79 विधानसभा क्षेत्रों में से एक विधानसभा क्षेत्र के रूप में अस्तित्व में आया था. मध्यप्रदेश के गठन के बाद भी यह पिछोर विधानसभा के रूप में ही जानी जाती है.

पिछोर विधानसभा में कोन विधायक किस पार्टी से जीते

  • 1957 में हिन्दू महासभा के लक्ष्मी नारायण गुप्ता जीते
  • 1962 में कॉंग्रेस के अवधेश धाकड़ जीते
  • 1967 में स्वतंत्र पार्टी के लक्ष्मी नारायण गुप्ता जीते
  • 1972 में कांग्रेस के भानु प्रताप सिंह जीते
  • 1977 में जनतापार्टी के कमल सिंह जीते
  • 1980 में कांग्रेस के भैया साहब जीते
  • 1985 में कॉंग्रेस के भैया साहब जीते
  • 1990 में BJP के लक्ष्मी नारायण गुप्ता जीते
  • 1993 में कांग्रेस के के पी सिंह उर्फ कक्काजू जीते
  • 1998 में कांग्रेस के के पी सिंह उर्फ कक्काजू जीते
  • 2003 में कांग्रेस के के पी सिंह उर्फ कक्काजू जीते
  • 2008 में कांग्रेस के के पी सिंह उर्फ कक्काजू जीते
  • 2013 में कांग्रेस के के पी सिंह उर्फ कक्काजू जीते
  • 2018 में कांग्रेस के के पी सिंह उर्फ कक्काजू जीते

विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों की स्थिति

1957 से लेकर अभी तक 10 बार कांग्रेस, 2 बार BJP, 01 बार स्वतंत्र पार्टी और 01 बार हिन्दू महासभा को जीत हासिल हुई है.

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कुछ विशेष परेशानियां

इस विधानसभा में सबसे बड़ी समस्या जिला मुख्यालय शिवपुरी से दूरी होना है. जिसके चलते स्थानिय लोगों को पुलिस प्रशासन सहित स्वास्थ्य से जुड़ी परेशानी के दौरान काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. वर्तमान विधायक के लंबे वक्त तक सरकार में विधायक और फिर मंत्री रहने के बावजूद क्षेत्र में रोजगार के लिए कोई बड़ा प्रोजेक्ट नहीं लाया गया. इसलिए बेरोजगारी एक बड़ी परेशानी है. स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए आज भी इस क्षेत्र के लोगों को शिवपुरी और ग्वालियर पर निर्भर रहना पड़ता है.

क्या कह रहे कांग्रेस विधायक ?

पिछोर विधानसभा से विधायक केपी सिंह का कहना है कि क्षेत्र की जनता उन्हें 1993 से लगातार विधायक चुन रही है. लिहाजा लंबे समय से वह जनता की सेवा कर रहे है. क्षेत्र के विकास के लिए वह लगातार काम कर रहे हैं. उनकी विधानसभा में आज सभी मूलभूत सुविधायें है. अगर एक बार फिर आगामी 2023 में जनता चुनती है, तो क्षेत्र के लोगों के लिए रोजगार के अवसर पैदा करना और पिछोर खनियादाना को जिला घोषित कराना मुख्य कामों में शामिल किया है.

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बीजेपी के जीतते ही जिला बनेगा पिछोर, पूरे होंगे सभी काम

2013, 2018 में BJP के टिकट पर चुनाव लड़ चुके प्रीतम लोधी को तीसरी बार फिर BJP ने 2023 के लिए अपना उम्मीदवार बनाया है. प्रीतम लोधी का कहना है कि आज पिछोर विधामसभा में विकास का पहिया रुक चुका है. हर जगह विकास के नाम पर भ्रष्टाचार चल रहा है. इस बार BJP पूरी तरह से तैयार है और जनता के विश्वास पर खरे उतरते हुए जीत भी दर्ज करेंगे. CM शिवराज घोषणा भी कर चुके है कि प्रीतम के जीतते ही पिछोर को जिला घोषित करने के साथ सभी पिछड़े कामों को जल्द से जल्द पूरा किया जाएगा.

किसका पलड़ा भारी

पिछोर विधानसभा में सीधा मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच में है. यहां कांग्रेस की तरफ से केपी सिंह तो वही भारतीय जनता पार्टी की तरफ से प्रीतम लोधी का तीसरी बार आमना सामना होगा. जनता से किये वादों और उनको पूरा करने की स्तिथि पर गौर किया जाए, तो जनता के अनुसार विधायक जी का दावा मजबूत नजर आया है. जनता के बीच उनके प्रति विश्वास भी देखने मिला है. जनता ने बताया है कि विपक्ष में होने के बावजूद क्षेत्र के काम को लेकर वह लगातार प्रयास करते है. जनता की समस्या को हल करने ज्यादा से ज्यादा वक्त क्षेत्र को देते है. छोटे बड़े ज्यादा मसलो को खुद विधायक दरबार लगाकर हल करा देते है. जिससे जनता को पुलिस कोर्ट कचहरी के चक्कर नहीं लगाना पड़ते हैं.

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हालांकि कुछ लोगों ऐसे भी मिले जिन्होंने विधायक के काम के दावे पर विश्वास तो जताया है, लेकिन सवाल भी खड़ा किया है कि लंबे वक्त तक सरकार और फिर मंत्री रहने के बावजूद विधानसभा क्षेत्र में रोजगार के लिए कभी प्रयास विधायक ने नहीं किया. ऐसे में देखना होगा कि 2023 के विधानसभा चुनाव में जनता क्या एक बार फिर यानी सातवीं वार केपी सिंह को टिकट मिलने पर विधायक बनाएगी या इस बार पिछोर में कुछ नया देखने को मिलेगा.

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