अजय शर्मा। मध्यप्रदेश में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं. 2018 से 2023 के इस कार्यकाल का साढ़े चार साल बीत चुका है। साल खत्म होते-होते जनता फिर अपनी सरकार चुनेगी। यानी एक बार फिर जनप्रतिनिधियों की आवाम की उम्मीदों पर खरा उतरने की बारी है। एमपी की 230 विधानसभा सीटों में मौजूदा हालात क्या हैं, क्षेत्र की क्या स्थिति है, कौन सा विधायक कितने पानी में है ? इन सभी का जवाब अब विधायक जी का रिपोर्ट कार्ड (vidhayak ji ka Report Card) देगा। लल्लूराम डॉट कॉम आपको सूबे के सभी विधायकों की परफॉमेंस और उनके क्षेत्रों की जमीनी हकीकतों के बारे में बताने जा रहा हैविधायक जी का Report Card में आज बात ब्यावरा विधानसभा की…

ब्यावरा विधानसभा क्षेत्र अपने सियासी उलटफेर और जातिगत समीकरणों के लिए पहचाना जाता है राजस्थान की सीमा से लगे होने के चलते इस विधानसभा क्षेत्र के सियासी समीकरण विकास से कम, जातिगत आधार पर ज्यादा तय होते हैं। यही कारण है कि क्षेत्र में विकास का जबरदस्त अभाव है। यहां जातिगत समीकरणों का बोलबाला है। राजघरानों से गहरा ताल्लुक रखने वाले सिंधिया और होलकर के वर्चस्व वाले इस क्षेत्र का अपना इतिहास रहा है, लेकिन 24 के चुनाव में इस क्षेत्र का सियासी गणित क्या बैठेगा.. आइए जानते हैं विधायक जी के रिपोर्ट कार्ड में…

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ब्यावरा का इतिहास

ब्यावरा मध्य प्रदेश राज्य के राजगढ़ जिले में स्थित है। ब्यावरा मूलतः भील राजाओं द्ववारा शासित रहा है। यहां अंतिम भील राजा धोला भील रहे। राष्ट्रीय राजमार्ग 46 और राष्ट्रीय राजमार्ग 52 ब्यावरा को सड़क द्वारा कई स्थानों से जोड़ते हैं। भारतीय रेल के पश्चिम मध्य रेलवे का ब्यावरा रेलवे स्टेशन यहाँ स्थित है। वहीं भोपाल यहां से सबसे निकटतम हवाई अड्डा है।

ब्यावरा विधानसभा का इतिहास

ब्यावरा विधानसभा सीट के सियासी इतिहास पर नजर डाली जाए तो 1951 से लेकर अब तक हुए चुनावों में कांग्रेस और बीजेपी बारी-बारी से यह सीट जीतती रही है। निर्दलीय प्रत्याशी भी यहां जीत दर्ज करते रहे हैं। ब्यावरा विधानसभा सीट पर अब तक 14 आम चुनाव हुए हैं, जिनमें पांच बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की तो चार बार बीजेपी के प्रत्याशी ने बाजी मारी। चार बार निर्दलीय प्रत्याशी जीते। एक बार जनता दल ने जीत का स्वाद चखा था।

ब्यावरा विधानसभा में कुल मतदाता

ब्यावरा विधानसभा सीट में कुल 2 लाख 25 हजार 296 मतदाता हैं, जिनमें 1 लाख 15 हजार 984 पुरुष मतदाता, तो वहीं 1 लाख 9 हजार 311 महिला मतदाता हैं।

ब्यावरा का जातिगत समीकरण

ब्यावरा विधानसभा सीट के जातिगत समीकरणों की बात की जाए तो यहां दांगी और सोंधिया समाज का दबदबा माना जाता है। यहां दांगी समाज का वोट बैंक 30,000 से 35,000 के बीच में है तो सोंधिया समाज के मतदाता 25,000 से 30,000 के बीच हैं। लिहाजा पार्टियां इन्ही जातियों से आने वाले प्रत्याशियों पर दांव लगाती हैं, लेकिन दांगी और सोंधिया बाहुल्य इलाके में लोधी, गुर्जर, मीणा और यादव मतदाता निर्णायक साबित होते हैं, जिससे इस वोट बैंक पर भी हर पार्टी की नजर होती है।

  • दांगी- 22-25 हजार
  • सौंधिया-18 हजार
  • यादव-15-17 हजार
  • गुर्जर-10-12 हजार,
  • लोधी-12-13 हजार
  • मुस्लिम-7 हजार
  • वैश्य-11-13 हजार

ब्यावरा विधानसभा सीट पर दिग्विजय सिंह का दबदबा
विधानसभा सीट पर दिग्विजय सिंह का दबदबा माना जाता है। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह के करीबी गोवर्धन दांगी को मैदान में उतारकर जीत दर्ज की थी, उन्होंने नारायण सिंह पंवार को करीबी अंतर से चुनाव हराया था। गोवर्धन दांगी के निधन के बाद एक बार फिर पार्टी ने दिग्विजय सिंह के ही करीबी रामचंद्र दांगी को मैदान में उतारा और उन्हें जीत भी मिली। रामचंद्र दांगी ने 2020 उपचुनाव में नारायण सिंह पंवार को शिकस्त दी थी।

मुश्किल होती है यहां किसी को भी दूसरी बार जीतना

ब्यावरा के सियासी समीकरणों पर नजर डाले तो किसी भी प्रत्याशी को यहां दोबारा जीत दर्ज करना मुश्किल होता है। अब तक के सियासी इतिहास में डीएम जगताप और रामचंद्र दांगी ही ऐसे दो प्रत्याशी रहे, जो दो बार चुनाव जीते हैं। इसीलिए दोनों पार्टियां हर चुनाव में यहां प्रत्याशी बदल देते हैं।

जानिए कब-कब किसके बीच जीत हार का कितना रहा अंतर

  • 2018 गोवर्धनलाल दांगी को 75569 वोट मिले, नारायण सिंह को 74743, वोटों का अंतर- 826
  • 2013 नारायण सिंह- 75766, रामचंद्र दांगी- 72678 वोटों का अंतर- 3088
  • 2008 पुरूषोत्तम दांगी- 51950, बद्रीलाल यादव- 38506 वोटों का अंतर- 13444
  • 2003 बद्रीलाल यादव- 49028, रामचंद्र दांगी- 44109, वोटों का अंतर- 4919
  • 1998 बलराम गुर्जर- 28127, बद्रीलाल यादव- 21595, वोटों का अंतर- 6532
  • 1993 बद्रीलाल यादव- 26464, कुसुमकांत- 21554, वोटों का अंतर- 4910
  • 1990 दत्तात्रेयराव 21082, नारायण सिंह- 13862 वोटों का अंतर-7220
  • 1985 विजय सिंह (कांग्रेस), 19661- दत्तात्रेय माधवराव- 12040, वोटों का अंतर- 7621
  • 1980 दत्तात्रेय माधव राव- 17206, छगत सिंह (कांग्रेस)- 11471, वोटो का अंतर- 5735
  • 1977 दत्तात्रेय माधव राव- 21313 (कांग्रेस), रामकरण उग्र- 6399, वोटो का अंतर- 14914
  • 1972 रामकरण उग्र- 15796, हजारीलाल- 6436, वोटो का अंतर- 9360
  • 1967 जगन्नाथ- 3266, आर उग्र 3246, वोटो का अंतर- 20
  • 1962 रामकरण उग्र- 4994, लक्ष्मण सिंह- 3260, वोटो का अंतर-1734
  • 1957 लक्ष्मण सिंह- 5552, मदनलाल- 4397, वोटो का अंतर-1155

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