हेमंत शर्मा, झाबुआ। मध्यप्रदेश में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं। 2018 से 2023 के इस कार्यकाल का साढ़े चार साल बीत चुका है। साल खत्म होते-होते जनता फिर अपनी सरकार चुनेगी। यानी एक बार फिर जनप्रतिनिधियों की आवाम की उम्मीदों पर खरा उतरने की बारी है। एमपी की 230 विधानसभा सीटों में मौजूदा हालात क्या हैं, क्षेत्र की क्या स्थिति है, कौन सा विधायक कितने पानी में है ? इन सभी का जवाब अब विधायक जी का रिपोर्ट कार्ड (Vidhayak Ji Ka Report Card) देगा। लल्लूराम डॉट कॉम आपको सूबे के सभी विधायकों की परफॉमेंस और उनके क्षेत्रों की जमीनी हकीकतों के बारे में बताने जा रहा है। विधायक जी का Report Card में आज बात झाबुआ नगर विधानसभा सीट की।
झाबुआ नगर विधानसभा सीट का इतिहास
झाबुआ नगर विधानसभा क्षेत्र मध्य भारत में मध्य प्रदेश राज्य के 230 विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में से एक है। यह रतलाम लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र का एक खंड है। झाबुआ जिले में 3 विधानसभा आते हैं। इसमें थांदला विधानसभा, पेटलावद विधानसभा और झाबुआ नगर विधानसभा शामिल है। जिले के इतिहास की बात की जाए तो झाबुआ की रियासत ब्रिटिश राज के दौरान भोपालवार एजेंसी के अधीन मध्य भारत में एक प्रमुख रियासत थी। यह भारत में कुशलगढ़ राज्य द्वारा राजपूताना एजेंसी से दक्षिण में जोबट राज्य पूर्व में अलीराजपुर, धार और पश्चिम में मुंबई के पाउच महल से गिरी हुई थी।
झाबुआ राज्य मालवा के पहाड़ी क्षेत्र में स्थित है। जिसे राठ के नाम से जाना जाता है। जो मालवा पठार के पश्चिमी सीमा का गठन करता है और बाद में इसे 1927 में मालवा एजेंसी का हिस्सा बना दिया। 1947 में भारत स्वतंत्रता के बाद झाबुआ के अंतिम शासक ने 15 जून 1948 को भारतीय संघ प्रवेश किया और झाबुआ नवनिर्मित मध्य भारत राज्य का हिस्सा बन गया, जिसमें 1956 में मध्यप्रदेश में मिलाया गया।
रोजगार बड़ी समस्या, गुजरात-राजस्थान पलायन करते हैं युवा
झाबुआ नगर विधानसभा में ग्रामीण विधायक से नाराज नजर आए। उनका कहना है लंबे समय से झाबुआ में कांग्रेस का राज रहा है, लेकिन कांग्रेस ने अब तक कोई विकास कार्य झाबुआ के लिए नहीं किया। यहां का युवा आज भी पलायन करने के लिए मजबूर है। युवाओं को नौकरी करने के लिए गुजरात या राजस्थान की तरफ पलायन करना पड़ता है। स्थानीय रोजगार की एक बड़ी समस्या है। इसके साथ ही मूलभूत सुविधाओं के नाम पर झाबुआ नगर में कुछ भी नहीं, व्यापारी विधायक से काफी खुश नजर आए।
आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में कांग्रेस का दबदबा
झाबुआ विधानसभा आदिवासी बावली क्षेत्र है। जहां पर बड़ी संख्या में आदिवासी लोग निवास करते हैं। इस विधानसभा में लंबे समय से कांग्रेस का दबदबा रहा है, लेकिन 2018 के विधानसभा चुनाव में यहां से बीजेपी के विधायक गुमान सिंह डामोर ने कांग्रेस के प्रत्याशी विक्रांत भूरिया को परास्त कर जीत का परचम लहराया था। बाद में गुमान सिंह डामोर ने रतलाम से सांसद का चुनाव जीता और झाबुआ विधानसभा सीट से इस्तीफा दे दिया।
उपचुनाव में हुआ था फेरबदल
साल 2019 में हुए उपचुनाव में फिर यहां पर एक नया फेरबदल देखने को मिला। जहां पर कांग्रेस से पूर्व में रहे विधायक कांतिलाल भूरिया ने बीजेपी प्रत्याशी भानु भूरिया को परास्त कर फिर से कांग्रेस को जीत दिलाई। लंबे समय से कांग्रेस का गढ़ रही सीट में 2018 के विधानसभा चुनाव में भी लगभग 10000 मतों के आसपास का जीत का आंकड़ा बीजेपी का रहा था और 2019 के उपचुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी कांतिलाल भूरिया ने 25000 वोटों से बीजेपी प्रत्याशी को हराकर जीत का परचम लहराया था।
मूलभूत सुविधा से जनता परेशान, व्यापारी खुश
इस विधानसभा में आज भी आदिवासी मूलभूत सुविधाओं के लिए परेशान है। क्षेत्र की जनता का कहना है विधायक उनके क्षेत्र में मेलजोल कम रखते हैं। उनके खास लोगों के साथ उनका ज्यादा बैठना उठना होता है। इसके साथ ही अगर व्यापारियों की बात की जाए, तो क्षेत्र के व्यापारी विधायक से खासे खुश नजर आए हैं। व्यापारियों का मानना है कि विधायक ने क्षेत्र में व्यापारियों के लिए अच्छा काम किया है। जिससे व्यापार करने में काफी आसानी हो रही है।
सरकार गिर जाने के बाद BJP गवर्नमेंट में नहीं मिला काम का मौका ?
झाबुआ नगर विधानसभा में मूलभूत सुविधाओं के नाम पर कुछ भी नहीं है। ऐसे में सीधे आरोप लगाए जा रहे हैं कि कांग्रेस की 15 महीने की सरकार में विकास की शुरुआत की थी, लेकिन सरकार गिर जाने के बाद अब कांग्रेस विधायक को बीजेपी की सरकार काम करने का मौका नहीं देती। जिसके कारण विधायक की क्षेत्र में छवि खराब होती है। पूरे विधानसभा क्षेत्र में कुछ लोगों का मानना है कि विधायक ने क्षेत्र में अच्छे काम किए हैं और कुछ लोग यहां पर नाराज भी नजर आए। जिसमें खासतौर ग्रामीण थे, जिनका गुस्सा विधायक पर फूट पड़ा।
कुल मतदाताओं की संख्या
झाबुआ नगर विधानसभा में कुल वोटर्स की संख्या 3 लाख 07 हजार 275 है। इसमें पुरुष मतदाता 1 लाख 52 हजार 887, महिला वोटर 1 लाख 54 हजार 375 और थर्ड जेंटर मतदाता की संख्या 13 है।
- कुल वोटर्स – 307275
- पुरुष मतदाता – 152887
- महिला मतदाता – 154375
- थर्ड जेंडर वोटर्स की संख्या – 13 है।
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