वीरेन्द्र गहवई, बिलासपुर। छत्तीसगढ़ में कांग्रेस सरकार के गठन को लगभग साढ़े चार साल पूरे हो चुके हैं, अब नए विधानसभा चुनाव की सुगबुगाहट होने लगी है. राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारी में जुट गए हैं. लेकिन साढ़े चार साल पहले जनता ने जिन्हें अपना प्रतिनिधि चुना था, उन्होंने इस अवधि में क्या किया, इसका जायजा लेने लल्लूराम डॉट कॉम मस्तूरी विधानसभा पहुंचकर लोगों की राय ली.

विधानसभा का इतिहास

विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 32 मस्तुरी अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है. क्षेत्र में मस्तुरी, सीपत, मल्हार, पचपेड़ी जैसे बड़े ग्रामीण इलाके जुड़े है, तो बिलासपुर के देवरीखुर्द, लालखदान, महमंद, ढेंका जैसे शहरी इलाके शामिल हैं, जहां बड़ी संख्या में शहरी वोटर हैं. मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र में एनटीपीसी सीपत से प्रभवित पूरा एरिया शामिल है, जिसकी वजह से प्रभावितों का मुद्दा गहराता है. मस्तुरी विधानसभा क्षेत्र में गिट्टी खदानों के अलावा कई उद्योग भी हैं. क्षेत्र के मल्हार में प्रसिद्ध डिडनेश्वरी देवी का मंदिर है, जहां लाखों हिंदुओं की आस्था जुड़ी है.

2018 विधानसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के उम्मीदवार डॉ कृष्णमूर्ति बांधी चुनाव जीतकर विधायक बने. उन्हें कुल 67,950 वोट मिले. बहुजन समाज पार्टी के उम्मीदवार जयेंद्र सिंह पटले कुल 53,843 मतों के साथ दूसरे स्थान पर रहे. वह 14107 वोटों से हार गए, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी और तत्कालीन विधायक दिलीप लहरिया को 53620 वोट मिले. इसके पहले मस्तूरी विधानसभा क्षेत्र में 2003 और 2008 के चुनावों में वर्तमान विधायक भाजपा के डॉ कृष्णमूर्ति बांधी ने कांग्रेस प्रत्याशी को हराकर चुनाव जीता था, वहीं 2013 के चुनाव में उन्हें कांग्रेस के दिलीप लहरिया ने शिकस्त दी थी.

विधायक का बड़ा दावा

मस्तुरी विधायक डॉ. कृष्णमूर्ति बांधी कहते हैं कि मेरी सरकार नहीं है, लेकिन अपनी क्षमता से हर ग्राम पंचायतों को किसी न किसी तरह से कुछ न कुछ पैसा देने का काम किया. सरपंचों पहुत परेशान हैं, उनकी परेशानी है कि किसी भी योजना से उनके पास पैसे नहीं पहुंच पा रहे हैं. एनटीपीसी से पैसा दिलवाया है. अपने मद से जो पैसा है, डीएमएफ फंड से 5 करोड़ की राशि को क्षेत्र के विकास में लगाया है. प्रशासन से बातचीत कर डेम के लिए स्वीकृति मांगी है. विपक्ष में रहते हुए जितना मस्तूरी में पैसा लगा है, उतना पैसा किसी अन्य क्षेत्र में नहीं हुआ है.

विपक्ष का आरोप

कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक दिलीप लहरिया कहते हैं कि कृष्णमूर्ति बांधी 2003 से विधायक रहे हैं, और सत्ता के विधायक रहे हैं. मंत्रिमंडल में उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री का दायित्व संभाला था. लगभग 15 साल विधायक रहते हुए उन्होंने मंत्री रहते हुए भी कोई सुविधाएं क्षेत्र को नहीं दी हैं. देवरीखुर्द को ही देख लें, अनियमित बस्ती हुई है. पानी की व्यवस्था नहीं, नाली-बिजली कुछ नहीं है. निराश्रितों को पट्टा वितरण की बात हुई थी जोगी जी के समय में, लेकिन वो आज तक नहीं करवाया.

काम किए तभी तो तीन बार विधायक बने

लोगों का कहना है कि क्षेत्र में विकास हुआ है. सड़क, पानी और स्वास्थ्य की सुविधा मिली है. उनके तीन बार जीतने की बड़ी वजह ही उनका काम है. वहीं एक वर्ग का मानना है कि बिजली और सफाई की समस्या है. मस्तूरी में बिजली के खंभे नहीं लगे हैं. लोगों का कहना है कि वे पक्ष-विपक्ष नहीं देखते हैं, जो भी शिकायत लेकर आता है, उसे दूर करते हैं. अस्पताल को लेकर लोगों की शिकायत है.

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