कांकेर। जिला पंचायत में आयोजित जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति की बैठक विवादों में घिरती नजर आ रही है. सोमवार को सांसद विक्रम उसेंडी की अध्यक्षता में जिला विकास समन्वय एवं निगरानी समिति दिशा बैठक की गई. लेकिन इस बैठक में जिलें के तीनों विधायकों को नहीं बुलाया गया. जिसके बाद नाराज विधायकों ने अफसरों पर हिटलरशाही का आऱोप लगाया है.
बस्तर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष तथा अंतागढ़ विधायक भोजराज नाग, कांकेर विधायक शंकर ध्रुवा और विधायक मनोज मंडावी को इस बैठक की सूचना नहीं दी गई. जबकि इसके पूर्व होने वाली बैठकों में विधायकों को बुलाया जाता रहा है.
विधायकों ने आरोप लगाया कि बैठक में निगरानी समिति की बैठक में भ्रष्टाचार के मुद्दे उठाये जाने की वजह से उन्हें नहीं बुलाया गया है. उन्होंने कहा कि अफसरशाही इस कदर हावी है कि जनता के चुने हुए जनप्रतिनिधियों को विकास कार्यों की निगरानी के लिए आयोजित बैठक की सूचना नहीं दी गई है.
भोजराज नाग ने कहा कि प्रशासन अपनी गड़बड़ी को छुपाना चाहता है और इसलिए ही विधायकों को बैठक की सूचना नहीं दी गई है. प्रशासिक लापरवाही के कारण क्षेत्र की जनता को सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पाता है. बैठक में हम अफसरों से जवाब तलब करते, इसलिए हमें कोई सूचना नहीं दी गई है.
कांकेर विधायक तथा कांग्रेसी नेता शंकर ध्रुवा ने भी सरकार पर जमकर निशाना साधा, उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार में अफसरशाही हावी है. निगरानी समिति के सदस्यों को समीक्षा बैठक में नहीं बुलाया गया है. जिलें में हो रहे विकास कार्यों में विभागों की खामियों को उठाये ये जिला प्रशासन नहीं चाहती है, राज्य में अफसरशाही हावी है इसलिए विधायकों की उपेक्षा की जा रही है.
उन्होंने जिला प्रशासन के रवैये पर नाराजगी जताते हुए कहा कि विपक्ष का विधायक होने के कारण अफसर उन्हें शासकीय कार्यक्रमों में नहीं बुलाते है. विधायक शंकर ध्रुवा ने मुख्यमंत्री डॉ.रमन सिंह को पत्र लिखकर कार्रवाई की मांग करने की बात कही है. इस दौरान कांग्रेस और भाजपा के दोनों विधायक एक साथ दिखें.