कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्यप्रदेश में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं. 2018 से 2023 के इस कार्यकाल का साढ़े चार साल बीत चुका है. साल खत्म होते-होते जनता फिर अपनी सरकार चुनेगी. यानी एक बार फिर जनप्रतिनिधियों की आवाम की उम्मीदों पर खरा उतरने की बारी है. एमपी की 230 विधानसभा सीटों में मौजूदा हालात क्या हैं, क्षेत्र की क्या स्थिति है, कौन सा विधायक कितने पानी में है ? इन सभी का जवाब अब विधायक जी का रिपोर्ट कार्ड (vidhayak ji ka Report Card) देगा. लल्लूराम डॉट कॉम आपको सूबे के सभी विधायकों की परफॉमेंस और उनके क्षेत्रों की जमीनी हकीकतों के बारे में बताने जा रहा है. विधायक जी का Report Card में आज बात भिंड विधानसभा सीट की.

भिंड जिले की भिंड विधानसभा को मध्यभारत के समय से ही भिंड विधानसभा के रूप में पहचान मिली है। वर्तमान में इस विधानसभा पर BSP से विधायक चुने गए संजीव सिंह कुशवाह अब BJP में शामिल हो चुके है। इस क्षेत्र की जनता ने 2018 के विधानसभा चुनाव में संजीव कुशवाह को विधायक चुना है। 2018 विधानसभा चुनाव में BSP से चुनाव लड़े संजीव को 69,107 वोट वहीं CONG से बागी होकर BJP से चुनाव लड़े चौधरी राकेश सिंह को 33211 वोट मिले थे। संजीव कुशवाह ने 35,896 के एक बड़े मार्जिन से राकेश को हराया था। संजीव अब BJP में शामिल हो चुके है वहीं राकेश सिंह की घर वापसी होते हुए काँग्रेस में शामिल हो चुके है। लिहाजा इस बार यह विधानसभा जिले की अहम सीटों में शामिल है। भिंड विधानसभा क्षेत्र में हमेशा से त्रिकोणीय मुकाबला होता आया है। यहां बीजेपी और कांग्रेस के साथ-साथ बहुजन समाज पार्टी भी कड़ी टक्कर देती आई है।

जातिगत समीकरण :- क्षत्रिय- 65 हजार, ब्राह्मण – 35 हजार, SCST- 28 हजार, जैन – 25 हजार, बघेल – 15 हजार, यादव – 13 हजार, मुस्लिम – 12 हज़ार, कुशवाह – 05 हजार और वैश्य- 05 हजार है।

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विधानसभा की खासियत

यह भिंड जिले की ऐसी विधानसभा है, जिसका एक बड़ा हिस्सा शहरी है तो दूसरा बड़ा हिस्सा ग्रामीण है। क्षत्रिय, ब्राह्मण, SC औऱ जैन बाहुल्य इस सीट पर BJP CONG के साथ ही BSP का बड़ा वोट शेयर है। भिंड उत्तरप्रदेश से सटा हुआ है, इसलिए यहां की सियासी फिजा में यूपी राजनीति की झलक दिखाई देती है। यहां बहुजन समाज पार्टी का काफी प्रभाव मतदाताओं पर देखने को मिलता है। भिंड विधानसभा सीट पर 2003 के बाद से कोई भी दल दो बार लगातार चुनाव नहीं जीता है। 2003 में बीजेपी के नरेंद्र कुशवाह, 2008 में कांग्रेस से राकेश चौधरी, 2013 में बीजेपी के नरेंद्र कुशवाह, 2018 में बीएसपी के संजीव कुशवाह ने जीत हासिल की थी। इस विधानसभा क्षेत्र में लोगों का मूल पेशा कृषि के साथ ही पशुपालन और स्थानीय व्यापार है।

पर्यटन एवं धार्मिक क्षेत्र

भिंड विधानसभा में पर्यटन की दृष्टि से दो महत्वपूर्ण जगह है। पहला भिंड का किला वहीं दूसरा गौरी सरोवर। यह दोनों जगह काफी आकर्षण का केंद्र रहती है। धार्मिक क्षेत्रों में भिंड विधानसभा में वनखंडेश्वर महादेव का प्राचीन मंदिर है, साथ ही एक सैकड़ा के करीब प्राचीन छोटे छोटे मन्दिर भी है।

फैक्ट फाइलः- कुल मतदाता -2 लाख 64 हजार 008। पुरुष -1 लाख 43 हजार 641 और महिला – 1 लाख 20 हजार 365। थर्ड जेंडर – 02। सर्विस वोटर- 3260। जेंडर रेशों – 838 है।

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अस्तित्व में कब आई?

यह विधानसभा मध्यभारत के समय की है। तत्कालीन मध्य भारत को 6 जिलों में विभाजित करने का निर्णय लिया गया और भिंड उनमें से एक था। नवंबर 1956 में नए मध्यप्रदेश के गठन पर राज्यों के पुनर्गठन के परिणामस्वरूप, भिंड जिला नए मध्य प्रदेश का एक हिस्सा बन गया।

भिंड विधानसभा में कौन विधायक किस पार्टी से जीते :- साल 1962 में कांग्रेस के राम कृष्ण दीक्षित, 1967 में सोशलिस्ट पार्टी के हरि ज्ञान बोहरे,1972 में कॉंग्रेस के नवीन चन्द्र भूटा, 1977 में जेएनपी के ओम कुमारी कुशवाह, 1980 में बीजेपी के दिलीप सिंह चौधरी,1985 में कांग्रेस के उदयभान सिंह, 1990 में कांग्रेस के राकेश सिंह, 1993 में बीजेपी के रामलखन सिंह,1998 में कांग्रेस के राकेश सिंह, 2003 में बीजेपी के नरेंद्र सिंह कुशवाह, 2008 में कांग्रेस राकेश सिंह, 2013 में बीजेपी नरेंद्र सिंह कुशवाह और 2018 में बीएसपी के संजीव सिंह कुशवाह जीते है।

विधानसभा चुनाव में राजनीतिक दलों की स्थिति:- अब तक 06 बार CONG, 05 बार BJP, 01 बार BSP और 01 बार सोशलिस्ट पार्टी की जीत हासिल हुई है।

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कुछ विशेष परेशानियां

भिंड विधानसभा में रेत माफिया एक बड़ी परेशानी है, जिसके चलते कई हादसों के साथ सड़कों पर बुरा असर पड़ता है। चंबल पुल बंद रहने से भी काफी परेशानी रहती है, खासकर आवागमन प्रभावित होने के कारण खाद्य सामग्री की कीमत बढ़ती है।शिक्षा व्यवस्था पर भी लगातार सवाल उठते रहे है। कई वार्डो में सड़क तो बनी लेकिन नालियों का निर्माण अधूरा पड़ा हुआ है। भिंड का ड्रेनेज सिस्टम पूरी तरह फेल है, जिसका प्रमाण जल भराव की बड़ी समस्या उजागर कर देती है। जिला अस्पताल में स्पेस्लिस्ट डॉक्टरों की कमी के साथ ही मेडिसन डॉक्टर तक नहीं है। रोजगार भी एक बडी चुनौती है, स्थानीय लोगों को रोजगार के लिए जिले से पलायन करना पड़ता है।

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लोगों को रोजगार दिलाना प्राथमिकता

विधायक संजीव सिंह कुशवाह का कहना है कि क्षेत्र की जनता ने 2018 में चुना था। ऐसे में जनता की सेवा करने का जो वक्त मिला है। उन्होंने ज्यादातर वादे पूरे किए है। करोड़ों के विकास कार्य कराए हैं। जो वादे किए है वह पूरे भी हुए। हाल ही में जैन समाज को 46 साल बाद उनका हक दिलाया। भिंड में मेडिकल कॉलेज और नगर पालिका भी जल्द नगर निगम बनेगा।नोटिफिकेशन जारी हो चुका है। 300 बेड वाले जिला अस्पताल में 100 बेड हॉस्पिटल का मैटरनिटी विंग बन रहा है। भविष्य में विधानसभा में एक इंडस्ट्रियल इस्टेट बनाकर लोगों को रोजगार दिलाना है।

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BSP सिटिंग विधायक को खो चुकी

2018 में संजीव के खिलाफ BJP के टिकिट पर चुनाव लड़े चौधरी राकेश सिंह मीडिया से दूरी बनाए हुए है। वहीं कांग्रेस के डॉ राधेश्याम शर्मा का कहना है कि आज भिंड विधामसभा में विकास का पहिया रुक चुका है। हर जगह विकास के नाम पर भ्रष्टाचार चल रहा है, इस बार कांग्रेस पूरी तरह से तैयार है और जनता के विश्वास पर खरे उतरते हुए वादों को भी पूरा करेंगे। भिंड विधानसभा में मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच में है लेकिन यहां पर बीएसपी सियासी समीकरण को बिगाड़ सकती है। BSP अपने सिटिंग विधायक संजीव को खो चुकी है। ऐसे में BSP भी यहां अपना मजबूत उम्मीदवार उतारने की तैयारी में है।

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जनता में काफी नाराजगी

जनता से किये वादों और उनको पूरा करने की स्थिति पर गौर किया जाए तो जनता के अनुसार विधायक का दावा काफी कमजोर है। जनता में काफी नाराजगी भी है। क्षेत्र के काफी लोग ऐसे भी मिले जिन्होंने विधायक के काम के दावे पर प्रश्नचिन्ह लगाते हुए पक्षपात का आरोप लगाया है। ऐसे में देखना होगा कि 2023 के विधानसभा चुनाव में जनता क्या एक बार फिर संजीव को टिकट मिलने पर मौका देगी या इस बार कुछ अलग करने के मूड में है।

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