हेमंत शर्मा। मध्यप्रदेश में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं. 2018 से 2023 के इस कार्यकाल का साढ़े चार साल बीत चुका है. साल खत्म होते-होते जनता फिर अपनी सरकार चुनेगी. यानी एक बार फिर जनप्रतिनिधियों की आवाम की उम्मीदों पर खरा उतरने की बारी है. एमपी की 230 विधानसभा सीटों में मौजूदा हालात क्या हैं, क्षेत्र की क्या स्थिति है, कौन सा विधायक कितने पानी में है ? इन सभी का जवाब अब विधायक जी का रिपोर्ट कार्ड (vidhayak ji ka Report Card) देगा. लल्लूराम डॉट कॉम आपको सूबे के सभी विधायकों की परफॉमेंस और उनके क्षेत्रों की जमीनी हकीकतों के बारे में बताने जा रहा है. विधायक जी का Report Card में आज बात सांवेर विधानसभा (Sanwer Vidhan Sabha) की.

सांवेर विधानसभा का इतिहास

सांवेर विधानसभा (Sanwer Vidhan Sabha) इंदौर की 8 विधानसभा में से एक प्रमुख विधानसभा है, जहां पर कांग्रेस ने 1962 में पहला चुनाव लड़कर जीत हासिल की थी. 1962 से 2018 तक बीजेपी ने 8 बार जीत हासिल की और 5 बार कांग्रेस ने जीत का परचम लहराया है. यहां से विधायक तुलसीराम सिलावट (Tulsiram Silavat) जो कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी और सबसे खास माने जाते हैं. तुलसीराम सिलावट ने अपने कैरियर का पहला चुनाव 1985 में सांवेर विधानसभा से लड़ा था, तब उन्होंने 3544 वोट से जीत हासिल की थी.

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कांग्रेस से बीजेपी में पहुंचे सिलावट, बने मंत्री

2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस से तुलसीराम सिलावट (Tulsiram Silavat) ने बीजेपी के राजेश सोनकर को 2945 वोटों से हराकर अपनी जीत का परचम लहराया था. 2018 में 15 महीने की कांग्रेस सरकार रहने के बाद तख्तापलट हुआ और तुलसीराम सिलावट कांग्रेस से बीजेपी में शामिल हो गए. बीजेपी में शामिल होने के बाद उपचुनाव में कांग्रेस नेता प्रेमचंद गुड्डू जो कि दिग्विजय सिंह के काफी खास माने जाते हैं, उन को 54 हजार वोट से हराकर जीत का परचम लहराया था. जिसके बाद तुलसीराम सिलावट को बीजेपी ने कैबिनेट मंत्री बनाया.

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मंत्री तुलसीराम सिलावट के कामों से जनता काफी नाराज

सांवेर विधानसभा क्षेत्र की जनता तुलसीराम सिलावट के कामों से काफी नाराज हैं. क्षेत्र की जनता का कहना है कि तुलसीराम सिलावट ने मंदिर में बैठकर गांव को विकसित करने की कसम खाई थी, तो कभी हनुमान जी की प्रतिमा पर हाथ रखकर उपचुनाव में कसम खाई थी कि उनके क्षेत्र के रुके हुए काम मैं पूरे कराऊंगा. लेकिन विधानसभा चुनाव होने के बाद तुलसीराम सिलावट क्षेत्र में उन्हें नजर नहीं आते हैं.

रेलवे ब्रिज बनाने की मांग उधूरी, बिल्डर को पहुंचाया फायदा

सांवेर विधानसभा के अंतर्गत आने वाले मांगलिया गांव में लंबे समय से ग्रामीण रेलवे ब्रिज की मांग करते आ रहे हैं. रेलवे ब्रिज स्वीकृत तो हुआ लेकिन उसे तुलसीराम सिलावट ने एक निजी कॉलोनी में शिफ्ट करवा दिया. ग्रामीणों का आरोप है कि बिल्डरों को फायदा पहुंचाने के लिए तुलसीराम सिलावट ने रेलवे ब्रिज को शिफ्ट करवाया है. वहां पर पहले से ही अंडर ब्रिज बना हुआ है. लेकिन अब ओवरब्रिज बनाने के लिए वहां का प्रस्ताव भेज दिया था. पेट्रोल डिपो होने के कारण रेलवे क्रॉसिंग पर लंबा जाम लगता है. जिसमें घंटों तक ग्रामीणों को और उज्जैन से ओंकारेश्वर जाने वाले यात्रियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है. ग्रामीणों ने कई बार रेलवे क्रॉसिंग को लेकर धरना प्रदर्शन भी किया. जिसमें तुलसीराम सिलावट ने कई बार आश्वासन दिया लेकिन ब्रिज का काम अब तक पूरा नहीं हुआ.

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तलाई खोदने के विरोध में ग्रामीणों पर दर्ज हुआ था केस

ग्राम पिपलिया में मंत्री तुलसी सिलावट के आदेश पर तलाई खोदने का काम शुरू हुआ था. जिसका विरोध ग्रामीणों ने किया था. तलाई खुदने से उनके खेत पर जाने का रास्ता बंद होने लगा. जिसके बाद तहसीलदार और अपर कलेक्टर ने गांव से खेत तक जाने के रास्ते को तलाई खोदने की मिट्टी से बनाकर तैयार करने का वादा किया था, लेकिन तलाई से निकली मिट्टी को ठेकेदार ने बेचकर मुनाफा कमा लिया. अब किसान अपने खेत पर जाने से भी वंचित होने लगे हैं. तलाई खुदने से खेत पर जाने का रास्ता भी बीच में से टूट गया है. जहां से ट्रैक्टर ट्राली निकालना भी संभव नहीं है. ग्रामीणों ने जब तलाई खुदने का विरोध किया था, तो ग्रामीणों पर सरकारी कार्य में बाधा का मुकदमा भी दर्ज हुआ. जिसके बाद अब ग्रामीणों में तुलसी सिलावट को लेकर खासा विरोध देखने को मिल रहा है.

वोट मांगने आएंगे विधायक तो जूते की माला से करेगे स्वागतग्रामीण

सांवेर विधानसभा के खकरोट में विधानसभा चुनाव 2018 के दौरान मंत्री तुलसी सिलावट पहुंचे थे. मंदिर में बैठकर जल उठाकर कसम खाई थी कि ग्रामीणों को अपने खेत पर जाने के लिए खान नदी को पार कर जाना पड़ता है. उस पर एक ब्रिज बना कर देंगे और गांव की सड़क को ठीक करवाएंगे, लेकिन 2018 के चुनाव के बाद सरकार का तख्तापलट हुआ. विधायक तुलसी सिलावट कांग्रेस से बीजेपी में पहुंच गए. उपचुनाव के दौरान विधायक तुलसी सिलावट फिर एक बार इसी गांव में पहुंचे और ग्रामीणों को हनुमान जी की प्रतिमा पर हाथ रखकर कसम खाई और वादा दोहराया. इस खान नदी में एक किसान की डूबने से पूर्व में मौत हो गई है. ग्रामीणों का गुस्सा मंत्री तुलसी सिलावट पर जमकर फूटा और ग्रामीणों ने यहां तक कह डाला कि अब अगर मंत्री चुनाव में वोट मांगने गांव में आते हैं, तो उनका जूते का माला पहनाकर स्वागत किया जाएगा. इसके साथ ही क्षेत्र में सड़क निर्माण होना था, जो काम पीडब्ल्यूडी ने शुरू तो किया लेकिन अब वह काम प्रधानमंत्री सड़क योजना में आकर रुक गया और ठेकेदार ने सिर्फ गिट्टी डालकर काम को अधूरा छोड़ दिया.

मंत्री तुलसी सिलावट

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व्यापारी वर्ग भी नाराज

सांवेर विधानसभा के मुख्य बाजार में व्यापारियों का मानना है कि तुलसी सिलावट से मुलाकात तो होती है, लेकिन जब काम की बात की जाती है, तो तुलसी सिलावट उसे करने की बात करते हैं. उसके बाद वह काम पूरे नहीं होते. इसी क्षेत्र में नर्मदा जल पहुंचाने का वादा किया गया था, लेकिन अब तक क्षेत्र में नर्मदा का पानी नहीं पहुंच रहा है. कई परेशानियों का सामना व्यापारी वर्ग को भी करना पड़ता है. व्यापारी भी तुलसीराम सिलावट की कामों से खुश नजर नहीं आए.

सांवेर विधानसभा सीट की राजनीतिक समीकरण

सांवेर विधानसभा सीट भी दलबदलू सीट है. भले ही तुलसी सिलावट बीजेपी के चुनाव चिन्ह पर बंपर वोटों से चुनाव जीते है, लेकिन सांवेर के मूल बीजेपी के लोग तुलसी सिलावट को मन से स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं. नेताओं के बीच बातचीत से साफ नजर आता है अंदरूनी तौर पर बीजेपी के स्थानीय कार्यकर्ता खासे नाराज हैं. स्थानी कार्यकर्ताओं का कहना है जो लोग कांग्रेस से दल बदल कर बीजेपी में आ चुके हैं, उनके सभी काम किए जा रहे हैं, लेकिन स्थानीय कार्यकर्ता जिसने सालों से पार्टी के लिए अपनी चप्पल घीसी है. उसे शांत रहने को कहा जाता है. उसके एक भी काम होते नजर नहीं आते. ऐसे में 2023 के चुनाव में तुलसीराम सिलावट से आम जनता तो नाराज है ही. वहीं अब सिलावट को पार्टी में ही भितरघात का सामना करना पड़ सकता है.

जातिगत समीकरण

सांवेर विधानसभा में अनुसूचित जाति रिजर्व सीट है. इसलिए यहां बीएसपी भी चुनाव लड़ती है, लेकिन बीएसपी ने अब तक कुछ खास नहीं किया है. सांवेर में सभी वर्ग के मतदाता है, जो पार्टी के चेहरे को मजबूत देते हैं ना की जाति को. यहां कुल मतदाताओं की संख्या 4 जनवरी 2023 तक 2 लाख 87 हजार 121 है. जिसमें पुरुष मतदाता 1 लाख 39 हजार 565 और महिला मतदाता 1 लाख 39 हजार 255 है.

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विधानसभा 2023 में बढ़ सकती हैं सिलावट की मुश्किलें

मंत्री तुलसी सिलावट ने अब क्षेत्र के लोगों को साधने का काम शुरू कर दिया है. मंत्री तुलसी सिलावट का कहना है कि सांवेर विधानसभा में अस्पताल बनाकर तैयार करवा दिया है. इसके साथ ही क्षेत्र में बड़े तालाब सहित कई विकास कार्य किए गए हैं.

विधायक के मुताबिक पिछले चुनाव में जो वादे किए गए थे उनमें से सभी वादे पूरे करने का दावा तुलसी सिलावट कर रहे हैं. पिछले 5 वर्षों में अब तक के सबसे अधिक विकास कार्यों का रिकार्ड बना है.

  • नर्मदा जल पहुंचाने का वादा किया. 179 गांव में नर्मदा जल पहुंचाने का वादा किया था हर घर नर्मदा जल पहुंच चुका है. कुछ काम बाकी है, जिसे जल्द पूरा किया जाएगा.
  • सांवेर के बच्चों के लिए कॉलेज शिक्षा का वादा किया था, जो कि पूरा कर दिया गया है. अब सांवेर में इंदौर जैसी शिक्षा दी जाती है. सांवेर में अफताबे महाविद्यालय खोल दिया है. जिससे सांवेर के बेटा बेटियों को अब इंदौर पढ़ने जाने की आवश्यकता नहीं है. करोड़ों रुपए की लागत से महाविद्यालय बनाकर तैयार कर दिया गया है.
  • सांवेर विधानसभा में सड़कों का सबसे बड़ा जाल बिछाया है. जिसमें प्रधानमंत्री सड़क योजना के साथ गांव को खेत से जोड़ने वाली सड़कों का भी विस्तार किया गया है.
  • 50 बेड का अस्पताल खोला गया. सांवेर विधानसभा में पहले छोटा अस्पताल हुआ करता था. अब उसे बढ़ाकर 50 बेड का अस्पताल सर्व सुविधा युक्त कर दिया गया है. इसके साथ ही कनाडिया में 20 बिस्तर का अस्पताल बनाया गया है. लगभग 13 करोड़ से ज्यादा का खर्च कर अस्पतालों को विस्तार दिया है.
  • सिंचाई के लिए ग्रामीणों को पानी की व्यवस्था डैम के माध्यम से की गई है. सांवेर विधानसभा में डैम बनाने का वादा किया था. डैम का काम जारी है. जल्द ही डैम बनकर तैयार होगा. जिसका फायदा ग्रामीण किसानों को मिलेगा. खेत में सिंचाई के लिए पानी पूरे समय उपलब्ध रहेगा.

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