कुमार इंदर,जबलपुर। मध्यप्रदेश में कुछ ही महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं. 2018 से 2023 के इस कार्यकाल का साढ़े चार साल बीत चुका है. साल खत्म होते-होते जनता फिर अपनी सरकार चुनेगी. यानी एक बार फिर जनप्रतिनिधियों की आवाम की उम्मीदों पर खरा उतरने की बारी है. एमपी की 230 विधानसभा सीटों में मौजूदा हालात क्या हैं, क्षेत्र की क्या स्थिति है, कौन सा विधायक कितने पानी में है ? इन सभी का जवाब अब विधायक जी का रिपोर्ट कार्ड (vidhayak ji ka Report Card) देगा. लल्लूराम डॉट कॉम आपको सूबे के सभी विधायकों की परफॉमेंस और उनके क्षेत्रों की जमीनी हकीकतों के बारे में बताने जा रहा है. विधायक जी का Report Card में आज बात जबलपुर के कैंटोनमेंट विधानसभा विधानसभा सीट की.
जबलपुर जिले की 8 विधानसभाओं में से 1 कैंटोनमेंट विधानसभा सीट बाकी की विधानसभा से कुछ हटकर है. इसकी वजह है कि कैंटोंमेंट विधानसभा क्षेत्र का ज्यादातर इलाका आर्मी एरिया से घिरा हुआ है. भारतीय सेना के लिए गोला, बारूद, असलाह, तोपे और गाड़ियां बनाने वाली चार चार आयुध निर्माणी फैक्ट्रियां और थलसेना का मध्यभारत एरिया मुख्यालय होने की वजह से जबलपुर के कैंटोनमेंट सीट की अहमियत और ज्यादा बढ़ जाती है. जबलपुर के छावनी क्षेत्र और उसके आसपास के इलाके को जोड़कर ये विधानसभा बनाईं गई है. लेकिन इस विधानसभा की यही खासियत इस विधानसभा में रहने वाले करीब एक तिहाई से ज्यादा वोटरों के लिए परेशानी का भी सबब है.
इस विधानसभा में आर्मी क्षेत्र के अंतर्गत पीढ़ियों से रहने वाले लोगों पर हमेशा अतिक्रमण की तलवार लटकती रहती है. यही नहीं छावनी के कुछ क्षेत्र में तो रहने वाले निवासी पक्का निर्माण भी नहीं करा सकते. कैंट क्षेत्र में रहने वाले लोगों को नगर निगम की सुविधा भी नहीं मिल पाती, जो हमेशा से ही एक चुनावी मुद्दा भी रहा है. इस बार विधानसभा चुनाव के पहले इस कैंटोंमेंट विधानसभा के छावनी क्षेत्र में रहने वाले ज्यादातर एरिया को सिविल एरिया में शामिल करने की जद्दोजहद की जा रही है. इसी के चलते क्षेत्र के भाजपा विधायक अशोक रोहाणी ने मुख्यमंत्री से लेकर रक्षा मंत्रालय तक को लेटर लिख कैंट क्षेत्र के इलाकों को सिविल यानी नगर निगम में शामिल करने की मांग की है.
कैंट में 30 साल से भाजपा के एक ही परिवार का कब्जा
जबलपुर की कैंट विधानसभा में पिछले 30 साल से भाजपा का कब्जा बरकरार है. पिछले 6 चुनाव से कांग्रेस कैंट के इस किले को ढहाने में नाकामयाब रही है. पिछले 30 साल से एक ही परिवार का कब्जा बरकरार है. पिछले दो चुनाव में भाजपा के अशोक रोहाणी लगातार विधायक बनते आ रहे हैं. उससे पहले उनके पिता यानी कि ईश्वरदास रोहाणी लगातार चार बार विधायक रहे हैं. इस बार फिर से कैंट विधानसभा से अशोक रोहाणी को ही टिकट मिलना तय माना जा रहा है.
भाजपा-कांग्रेस के बीच मुख्य मुकाबला, बीजेपी की स्थिति मजबूत
कैंटोंमेंट विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला हमेशा से भाजपा और कांग्रेस के बीच ही रहा है. कैंट विधानसभा क्षेत्र में कभी भी तीसरी पार्टी का उदय नहीं हो पाया ना ही किसी अन्य पार्टी जोर मार पाई. कैंट विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत एक बार फिर से भाजपा का ही जोर नजर आ रहा है. लोगों का कहना है कि इस बार भी यहां से भाजपा के वर्तमान विधायक यानी कि अशोक रोहाणी ही जीतेंगे.
कैंट कांग्रेस और किला
पिछले 30 सालों से कैंट विधानसभा क्षेत्र में बनवास काट रही कांग्रेस अपनी आपसी कला के ही चलते हार रही है. कैंट विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस की गुटबाजी ही उसके हारने की मुख्य वजह है. इस बार के चुनाव में भी कांग्रेस इस स्थिति में नहीं है कि वह पहले से यहां पर किसी चेहरे पर दांव लगा सके.
इस बार बाहरी प्रत्याशी का चल रहा है नाम
कैंटोंमेंट क्षेत्र में इस बार बाहरी प्रत्याशी नाम चल रहा है. कैंट विधानसभा क्षेत्र में चर्चा है कि कांग्रेस जिला कमेटी के अध्यक्ष एवं महापौर जगत बहादुर सिंह अन्नू की पत्नी यामिनी सिंह या फिर खुद महापौर को यहां से कांग्रेस विधायक का चुनाव लड़ा सकती है.
विधानसभा अध्यक्ष यही सत्य विधायक
मध्यप्रदेश विधानसभा के अध्यक्ष जाने की ईश्वरदास रोहाणी भी कैंट विधानसभा क्षेत्र से विधायक थे. ईश्वरदास रोहाणी कैंट विधानसभा क्षेत्र से लगातार चार बार विधायक बने. उनके निधन के बाद आनन-फानन में उनके बेटे अन्य अशोक रोहाणी को उनकी जगह टिकट दी गई, जो लगातार दो बार से विधायक हैं.
पुरानी पेंशन की मांग बिगाड़ सकता विधानसभा का गणित
कैंटोनमेंट क्षेत्र में अच्छी खासी संख्या में पेंशनर और सरकारी कर्मचारी निवास करते हैं, लिहाजा पुरानी पेंशन की घोषणा ने जिस तरह से अन्य राज्यों में कांग्रेस को सत्ता दिलाई है वह मांग इस बार विधानसभा चुनाव में बीजेपी को अच्छा खासा नुकसान पहुंचा सकती है।
फैक्ट्रियों को निगमीकरण करने का खामियाजा भी भुगतना पड़ सकता है
कैंटोनमेंट विधानसभा क्षेत्र में 5 आयुध निर्माणी फैक्ट्रियां आती है. जिनके निगमीकरण करने के चक्कर में सरकारी कर्मचारियों में खासा रोष है. यही वजह है कि इस बार विधानसभा चुनाव हो या फिर लोकसभा चुनाव उसमें भाजपा को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.
कैंट क्षेत्र के बंगले बगीचे का मुद्दा भी कर सकता है नुकसान
कैंटोनमेंट विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले छावनी क्षेत्र के अंतर्गत बंगले बगीचे और बस्तियों को यदि खाली कराया जाता है, तो इसका भी अच्छा खासा खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ सकता है. देश की 62 छावनी में से जबलपुर की कैंट छावनी के कुछ एरिया को सिविल एरिया करने की तैयारी चल रही है, तो वहीं कुछ एरिया खाली कराकर उसके कमर्शियल इस्तेमाल पर भी रणनीति चल रही है.
सबसे ज्यादा एजुकेशन संस्थान इसी विधानसभा क्षेत्र में
जबलपुर की कैंटोनमेंट विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा एजुकेशन संस्थान है. यही नहीं रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय भी जबलपुर कैंट विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत ही आता है. जिले का सबसे पुराना और फेमस साइंस कॉलेज इसी एरिया में है. वही महाकौशल कॉलेज भी कैंट इलाके में ही पड़ता है. सरकारी के अलावा शहर के सारे फेमस मिशनरी स्कूल की बात कर ली जाए तो भी सारे मिशनरीज स्कूल और कॉलेज भी इसी कैंट विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं.
एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन भी कैंट विधानसभा में आते हैं
जबलपुर का डुमना एयरपोर्ट जबलपुर का मेन रेलवे स्टेशन भी कैंट विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत ही आते हैं, जो इस विधानसभा क्षेत्र की इंपोर्टेंस को और भी ज्यादा बढ़ाने का काम करते हैं.
सबसे ज्यादा वोटर वाला एरिया ही सबसे ज्यादा पिछड़ा
कैंट विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत सबसे ज्यादा वोटर वाला इलाका रांझी ही सबसे ज्यादा पिछड़ा इलाका कहलाता है, रांझी इलाके में अवैध शराब, जुआ, सट्टा, गुंडागर्दी जैसे क्राइम के चलते भी रांझी का इलाका बदनाम है.
एक नजर कैंटोनमेंट विधानसभा पर
- देश की 62 छावनी में से एकजबलपुर की कैंट छावनी है.
- करीब 40 हज़ार सामान्य वोटर्स है.
- 60 हज़ार ओबीसी वोटर्स हैं.
- अनुसूचित जाति के 27 हज़ार वोटर है.
- अनुसूचित जनजाति के 15 हज़ार वोटर है.
- करीब 8-8 हज़ार मुस्लिम और क्रिश्चियन वोटर्स हैं.
- कैंट विधानसभा में कुल वोटर 1 लाख,79 हज़ार 98 है.
- पुरुष मतदाता 91 हज़ार 191
- महिला मतदाता 87 हज़ार 900
- अन्य मतदाता की संख्या 07
- 2011 की जनगणना के अनुसार छावनी इलाके में 72 हजार से ज्यादा आबादी निवास करती है
- करीब 5 हजार एकड़ में फैला है छावनी इलाका
- सिविल एरिया में आने से क्या होंगे फायदे
- नगर निगम में शामिल होने पर लोगों को जमीन का मालिकाना हक मिलेगा
- यहां रहने वाले लोग को वैधानिक तौर पर निर्माण कार्य की मंजूरी मिल सकेगी
- सिविल एरिया में आने के बाद लोग बैंक से लोन ले सकेंगे
- सबसे खास लोगों को सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ भी मिलेगा
- केंट विधानसभा में पिछले 30 साल से भाजपा का ही कब्जा
- अशोक रोहाणी हैं दो बार से भाजपा विधायक
- 4 बार के भाजपा विधायक थे ईश्वर दास रोहाणी
- केंट विधानसभा में 30 साल से एक ही परिवार का है कब्ज़ा
- 2018 के चुनाव में अशोक रोहाणी को मिले थे 71898 वोट
- 2018 के चुनाव में कांग्रेस के आलोक मिश्रा को मिले थे 45313 वोट
- 2013 में भाजपा के अशोक रोहाणी को मिले थे 83676 वोट
- 2013 में कांग्रेस के चमन श्रीवास्तव को मिले थे 29935 वोट
- 2008 में भाजपा के ईश्वरदास रोहाणी को मिले थे 57200 वोट
- 2008 में कांग्रेस के आलोक मिश्रा को मिले थे 32469 वोट
- 1967 में अस्तित्व में आई कैंट विधानसभा सभा सीट
- कभी कांग्रेस की परंपरागत सीट मानी जाती थी केंट विधानसभा सीट
- 1967 से 1993 तक कांग्रेस के पास थी ये सीट
- कैंट विधानसभा क्षेत्र में आती है 5 आयुध निर्माणी फैक्ट्री
- कैंट विधानसभा क्षेत्र में आर्मी के तीन भर्ती सेंटर
- कैंट विधानसभा क्षेत्र का काफ़ी बड़ा हिस्सा आर्मी इलाका है
- 1967: मनमोहनदास, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
- 1972: मनमोहनदास, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
- 1977: दिनेश चंद मिश्रा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
- 1980: दिनेश चंद मिश्रा, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
- 1985: चंद्र मोहन, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
- 1990: चंद्र मोहन, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
- 1993: ईश्वरदास रोहाणी, भारतीय जनता पार्टी
- 1998: ईश्वरदास रोहाणी, भारतीय जनता पार्टी
- 2003: ईश्वरदास रोहाणी, भारतीय जनता पार्टी
- 2008: ईश्वरदास रोहाणी, भारतीय जनता पार्टी
- 2013: अशोक रोहाणी, भारतीय जनता पार्टी
- 2018: अशोक रोहाणी, भारतीय जनता पार्टी
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