रायपुर। नियमितिकरण और नियमितिकरण नहीं होने की स्थिति में पंचायत नियमावली के अनुसार ग्रेड पे लागू करने की मांग को लेकर मनरेगा कर्मचारी 4 अप्रैल से हड़ताल पर हैं. इस बीच सरकार के रोजगार सहायकों का मानदेय को बढ़ाकर कलेक्टर दर 9540 रुपए करने की घोषणा भी मनरेगा कर्मचारियों को हड़ताल से उठने के लिए प्रेरित नहीं कर पाई है. अब छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के पदाधिकारियों ने आंदोलन जारी रखने की वजह बताई है.
छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के प्रांताध्यक्ष चन्द्रशेखर अग्निवंशी, कार्यकारी अध्यक्ष राधेश्याम कुर्रे व प्रवक्ता मीडिया प्रभारी सूरज सिंह ठाकुर ने अपनी मांगों को दोहराते हुए कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से अपील है कि हमारी गैर वित्तीय मांग पर सार्थक पहल करें. आपके घोषणा पत्र में किसी भी संविदा कर्मचारियों की छटनी नहीं किए जाने का वादा किया गया है, लेकिन विगत वर्षों में मनरेगा कार्य करने वाले 3000 से अधिक कर्मचारियों की छंटनी या सेवा से बर्खास्तगी कर दी गई है.
विगत 3 वर्षो में 200 से अधिक मनरेगा के कर्मी शहीद हुए है, किंतु उनके परिवार के सामाजिक सुरक्षा का कोई उपाय नहीं किया गया है, परिवार वालों को आज भी न्याय का इन्तजार है. 10 घंटे से अधिक काम करने के बावजूद मानसिक प्रताड़ना का शिकार होना पड़ रहा है, जिसके कारण कर्मचारी हीनभावना का शिकार हो रहे है.
महासंघ के पदाधिकारियों ने कहा कि हम लोग पिछले वित्तीय वर्ष में 6 माह बिना वेतन के काम करते हुए लक्ष्य पूरा किये, लेकिन प्रशासन स्तर पर हमारे लिए कोई संवेदना नहीं है. आज पर्यंत 28 जिलों में संविदा सेवा विस्तार नहीं किया गया है, जिसके कारण कर्मचारियों में रोष व्याप्त है. हमने 2 वर्षों के कोरोना काल में राज्य का सम्मान एवं मान बढ़ाया सबसे ज्यादा कार्य किया, लेकिन शासन को हमारे से कोई सहानुभूति नहीं है. हमारी मांग पर विगत 3 वर्षों से सांत्वना दी जा रही हैं, इन कारणों से हड़ताल की स्थिति निर्मित हुई है.
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