रायपुर। छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के आह्वान पर 4 अप्रैल से किए गए अनिश्चितकालीन हड़ताल के दौरान 21 कर्मचारियों की सेवा समाप्त कर दी गई थी. लंबित मांगों पर विचार किए जाने के साथ 21 कर्मचारियों की बहाली के आश्वासन पर महासंघ ने 66 दिनों की हड़ताल के बाद अपना आंदोलन स्थगित कर दिया था. लेकिन अब तक 21 कर्मचारियों की बहाल नहीं किए जाने पर अब मनरेगा अधिकारी-कर्मचारी त्यागपत्र देने की बात कह रहे हैं.

छत्तीसगढ़ मनरेगा कर्मचारी महासंघ के प्रांतीय प्रवक्ता और प्रांतीय मीडिया प्रभारी सूरज सिंह ठाकुर ने बयान जारी किया है. उन्होंने कहा कि कैबिनेट मंत्री कावासी लखमा के मंच पर मांगों पर विचार के साथ 21 साथियों की तत्काल बहाली के आश्वासन पर महासंघ ने 66 दिन की हड़ताल तत्काल समाप्त कर दी गई थी. सभी 12710 अधिकारी-कर्मचारी काम पर लौट गए, लेकिन 30 दिन बाद भी 21 कर्मचारियों की बहाली नहीं किए जाने से सभी अधिकारी-कर्मचारी क्षुब्ध और दुखी हैं.

प्रांतीय प्रवक्ता ने कहा कि 21साथियों की सेवा बहाली नहीं होने से सभी 12710 साथी भरे मन से अपने दायित्व का निर्वहन कर रहे हैं. उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से 21 साथियों की बहाली पर त्वरित कार्रवाई करने की मांग की है. इसके साथ ही 10 दिन के भीतर बहाली नहीं होने की स्थिति में सभी साथी त्यागपत्र देकर अपने कर्तव्य को छोड़ने के लिए विवश होंगे. जीवन यापन के लिए अन्य कोई कार्य अपनी खेती, किसानी, मजदूरी करने के लिए मजबूर होंगे, लेकिन कोई आंदोलन या विरोध नहीं करेंगे.