शिखिल ब्यौहार, भोपाल। मध्यप्रदेश के कर्मचारी एक बार फिर आंदोलन की राह पर है। ऐसा पहली बार होगा जब मोहन यादव सरकार के खिलाफ कर्मचारी विरोध में उतरेंगे। मामला महंगाई भत्ता से जुड़ा हुआ है। फरवरी के पहले सप्ताह में भोपाल में सरकारी कर्मचारी प्रदेश स्तरीय विरोध प्रदर्शन करेंगे।

मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच के प्रांत अध्यक्ष अशोक पांडे ने बताया कि प्रदेश के लाखों कर्मचारियों को गणतंत्र दिवस पर सरकार की घोषणा का इंतजार था। अफसरों से आश्वासन मिला कि अगली कैबिनेट बैठक में सरकार सौगात देगी। मंगलवार को हुई डॉक्टर मोहन यादव की कैबिनेट बैठक के लिए प्रस्ताव भी तैयार था। लेकिन, सरकार ने मामले पर निर्णय नहीं लिया। लिहाजा प्रदेश के 12 कर्मचारी संगठनों से साथ अब चरणबद्ध प्रदेश स्तरीय आंदोलन कर विरोध दर्ज कराया जाएगा।

हर माह 150 करोड़ रुपये का हक मार रही सरकार

कर्मचारी संगठनों ने बताया कि प्रदेश के साढ़े सात लाख शासकीय कर्मचारी सरकार की उदासीनता से निराश हैं। प्रदेश के कर्मचारियों को महंगाई भत्ता न मिलने के कारण प्रतिमान 150 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है। इससे पहले राज्य सरकार पहले ही कर्मचारियों को 1 जुलाई 2023 से महंगाई भत्ते का लाभ न देकर 700 करोड़ रुपए का नुकसान कर चुकी है। इतना ही नहीं बल्कि तीन सालों में 9200 करोड़ रुपए का हक सरकार ने मारा।

विश्वास में दिया था वोट, अब विश्वासघात

कर्मचारी संगठनों ने बताया कि बीजेपी ने बीते विधानसभा चुनाव में महंगाई भत्ता समेत अन्य दो दर्जन से अधिक मांगों को पूरा करने का वादा किया था। लिहाजा कर्मचारी संगठनों ने बीजेपी के पक्ष में जमकर मतदान भी किया। सरकार बनने के बाद सरकार से कई बार पत्राचार भी किया गया। लेकिन, किसी भी पत्र का जवाब नहीं आया।

चरणबद्ध तरीके से होगा आंदोलन

कर्मचारी संगठनों ने निर्णय लिया है कि फरवरी के पहले सप्ताह में आंदोलन की शुरुआत की जाएगी। चरणबद्ध तरीके से होने वाले आंदोलन में जन प्रतिनिधियों को ज्ञापन, जिला मुख्यालयों पर धरना, क्रमिक भूख हड़ताल की जाएगी। यदि इसके बाद भी सरकार ने मांग नहीं मानी तो अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी।

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