नई दिल्ली. केंद्रीय कैबिनेट ने अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निरोधक) अधिनियम में संशोधन को मंजूरी दे दी है. जिसके बाद मोदी सरकार संशोधित बिल को मौजूदा संसद सत्र में ही पेश करेगी. सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल 20 मार्च के अपने फैसले में इस कानून के प्रावधानों में कई बदलाव करते हुए ऐसे मामले में आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी थी। इस मुद्दे पर जहां कई दलित संगठनों ने 9 अगस्त को भारत बंद का आह्वान किया था, कई सहयोगी दलों के साथ-साथ भाजपा के भी एससी-एसटी सांसद सरकार से खासे नाराज थे.
इस मसले पर एनडीए के सहयोगी दल लोक जनशक्ति पार्टी के मुखिया और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी पत्र लिखा था. पासवान ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मोदी सरकार की दलित विरोधी छवि बनने का दावा किया था. जिसके बाद अब मोदी सरकार ने बिल में संशोधन का फैसला किया है.
सुप्रीम कोर्ट ने इसी साल की शुरुआत में एससी-एसटी एक्ट के कुछ अहम प्रावधानों को ये कहते हुए निरस्त कर दिया था, कि उनका दुरुपयोग देखा गया है. कोर्ट के इस फैसले के बाद दलित संगठनों ने कई राज्यों में विरोध प्रदर्शन किया था, जिसके चलते कई जगह हिंसक घटनाएं भी सामने आई थीं.