दिल्ली. लोकसभा चुनावों से पहले केंद्र सरकार नए साल के मौके पर किसानों को कई तोहफे देने की तैयारी कर रही है. सूत्रों की मानें तो केंद्र सरकार समय पर कृषि कर्ज की किस्त चुकाने वाले किसानों को ब्याज अदायगी से छूट दे सकती है. किसानों को दी जाने वाली इस ब्याज छूट से सरकारी खजाने पर 15 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा.
इसके अलावा खाद्यान्न फसलों के लिए होने वाले बीमा के लिए किसानों को प्रीमियम भरने से भी मुक्ति मिल सकती है. बागवानी फसलों के बीमा प्रीमियम को भी कम किया जा सकता है. केंद्रीय विधि मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने बड़ा कृषि पैकेज देने की सरकार की योजना के बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘सरकार किसानों के कल्याण के प्रति प्रतिबद्ध है. आने वाले समय में जो भी निर्णय लिया जाएगा उसकी घोषणा की जाएगी.’’
मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में हाल में हुए विधानसभा चुनावों में सत्ता गंवाने के बाद भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार कृषि क्षेत्र की बदहाली पर ध्यान केंद्रित कर रही है. सूत्रों ने बताया कि पिछले कुछ दिनों के भीतर इस बारे में उच्चस्तरीय बैठकों के कई दौर चले हैं. इन बैठकों में बंपर फसल उत्पादन के बाद किसानों को उचित कीमत नहीं मिल पाने की समस्या से पार पाने की योजना पर चर्चा की गई.
किसानों को तत्काल राहत देने के बारे में एक प्रस्ताव यह है कि सही समय पर कृषि ऋण की किस्त चुकाने वाले किसानों पर चार प्रतिशत ब्याज का भार पूरी तरह से समाप्त कर दिया जाए. अभी किसानों को तीन लाख रुपए तक का ऋण सात प्रतिशत की ब्याज दर से दिया जाता है. समय पर ब्याज भरने वाले किसानों को सरकार की तरफ से पहले ही तीन प्रतिशत की अतिरिक्त छूट दी जा रही है. अब बाकी बची चार प्रतिशत ब्याज दर से भी उन्हें निजात दिलाने की तैयारी की जा रही है.
सरकार ने चालू वित्त वर्ष में किसानों को 11 लाख करोड़ रुपए का कृषि कर्ज देने का बजट लक्ष्य तय किया है. पिछले वित्त वर्ष में सरकार ने 10 लाख करोड़ रुपए का लक्ष्य पार कर किसानों को 11.69 लाख करोड़ रुपए का ऋण दिया था. केंद्र सरकार इस समय सामान्य रूप से किसानों को ब्याज की दो प्रतिशत सहायता तथा समय पर भुगतान करने पर ब्याज की पांच प्रतिशत की सहायता योजना पर सालाना करीब 15 हजार करोड़ रुपए का खर्च वहन करती है.
सूत्रों ने कहा कि यदि समय पर कर्ज चुकाने वाले किसानों को ब्याज से पूरी तरह छूट देते हुए सरकार उसकी भरपाई करती है तो यह बोझ बढ़कर 30 हजार करोड़ रुपए पर पहुंच जाएगा. इसके अलावा सरकार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में भी राहत देने की योजना बना रही है. इसके तहत खाद्यान्न फसलों के बीमा पर पूरी तरह से प्रीमियम छोड़ना तथा बागवानी फसलों की बीमा पर प्रीमियम में राहत देने पर विचार चल रहा है.