लखनऊ। लोकसभा चुनाव का बिगुल बचने वाला है. लोकसभा में सर्वाधिक सांसद भेजने वाले उत्तर प्रदेश में राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारी में जुटी हैं, ऐसे में इंडिया टुडे और सी वोटर के जरिए किए सर्वे ने राजनीतिक दलों को अपनी-अपनी रणनीतियों पर सोचने के लिए मजबूर कर दिया है. इसे भी पढ़ें : स्कूल शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल की सदन में बड़ी घोषणा, ‘आत्मानंद स्कूल अब कलेक्टर नहीं, शिक्षा विभाग चलाएगा’

उत्तर प्रदेश एक ऐसा राज्य है, जहां से देश में चुनाव की दशा और दिशा तय होती है. उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटों पर अपने-अपने उम्मीदवार की तलाश में जुटी बीजेपी, समाजवादी पार्टी, कांग्रेस, बहुजन समाज पार्टी के लिए ‘मूड ऑफ द नेशन’ सर्वे से बताने को काफी है कि उनकी जनता के बीच कितनी पैठ है.

इंडिया टुडे और सी वोटर का सर्वे, एक ओर जहां समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस के लिए गहरे झटके से कम नहीं है, वहीं दूसरी ओर मोदी-योगी की जोड़ी जनता को रिझाने में कामयाब नजर आती है. सर्वे के नतीजों के मुताबिक, बीजेपी को यूपी में 80 में से 70 सीटों पर जीत मिल सकती हैं, जबकि बाकी दलों को 10 सीटों में से भी दो सीटें अपना दल के खाते में जा सकती हैं, जो एनडीए में बीजेपी की सहयोगी है. अब बचे रह गए आठ सीटों के लिए अन्य दलों को संघर्ष करना होगा.

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सर्वे के मुताबिक, यूपी की 80 सीटों में से 72 सीट भाजपा और आप के पाले में जाने के बाद शेष आठ सीटें बचती हैं. इनमें से 7 पर समाजवादी पार्टी काबिज हो सकती है. वह एक सीट पर कांग्रेस जीत सकती है. सर्वे के नतीजे सिर्फ अखिलेश और राहुल के लिए ही नहीं बल्कि मायावती के लिए भी बुरा संदेश साबित हो सकती है. सर्वे के मुताबिक, बसपा को यूपी में एक भी सीट नहीं मिलने वाली है.

सपा, बीएसपी और कांग्रेस की बदहाली के बाद जयंत चौधरी की आरएलडी और ओपी राजभर की सुहलदेव भारतीय समाज पार्टी जैसी छोटी पार्टियों के लिए भी सर्वे में कुछ खास नहीं है. सर्वे के मुताबिक, बीजेपी को यूपी में 52.1 फीसदी, समाजवादी पार्टी को 30.1 फीसदी, कांग्रेस को 5.5 फीसदी और बीएसपी को 8.4 फीसदी वोट मिलने वाले हैं. बीजेपी का वोटिंग पर्सेंटेज 2019 के मुकाबले बढ़ा है. वहीं अन्य दलों का वोटिंग पर्सेंटेज 3.9 फीसदी रहने वाला है.

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