सफल और असफल लोगों के बीच जो मुख्य अंतर होता है उनमें से एक होता है. सही निर्णय लिया जाये और सही समय पर लेने का आपका निर्णय ही आपकी सफलता का मार्ग प्रशस्त करता है. क्या आप को निर्णय लेने में कठिनाई होती है? मेरे विचार में यह एक मानसिक दुर्बलता है. कईं लोगों की धारणा है कि आप एक निर्णय को लेने में जितना अधिक समय लेते हैं निर्णय उतना ही बेहतर होता है. जीवन के हर कदम पर हमे एक निर्णय का चुनाव करना पड़ता है. हर पल कोई ना कोई निर्णय लेना ही होता है यहाँ तक की आज हमें क्या खाना है, क्या पहनना है, क्या करना है, किससे मिलाना है, कहाँ और क्यों जाना है? इस तरह के सवालों का सामना रोज होता है. इन सवालों का उत्तर ही निर्णय है. ये सवाल तो रोजमर्रा की जिंदगी के है. परन्तु कुछ निर्णय पुरे जीवन को प्रभावित करते हैं.

जैसे कि दाखिला किस कालेज में लेना है, क्या पढ़ना है, शादी किससे करनी है, कौन से गाड़ी लेनी है कहाँ घर बनाना है इत्यादि. हमारा पूजा जीवन ही निर्णयों का एक गुच्छा होता है और यही हमारा जीवन तय करते हैं. इन सवालों को बहुत दिनों तक सोचने के बाद लेते है. फिर भी निर्णय गलत हो सकता है. वास्तव में जब आप निर्णय लेते हैं तब यह जानना संभव ही नहीं कि आप का निर्णय सही है या गलत. परिणाम के फलस्वरूप ही आप यह जान पाएंगे. किन्तु निर्णय लेने में कठिन हो तो कैसे जाने की आपका निर्णय क्षमता खराब है. इसे जानने के लिए अपनी कुंडली दिखाए. क्योकि कुंडली के ग्रह योग आपकी निर्णय क्षमता के बारे में स्पष्ट बयाँ करते हैं.

अगर किसी के लग्न, तीसरे या एकादश स्थान में रहू, चंद्रमा या शुक्र जैसे ग्रह हो तो निर्णय क्षमता प्रभावित होती है. एकादश स्थान में रहू या चन्द्र हो अथवा एकादशेश रहू या शनि से आक्रांत हो तो रूटीन के ही निर्णय प्रभावित होते हैं. ईएस प्रकार यदि तीसरे स्थान का स्वामी छठवे, आठवे या बारहवे स्थान में हो जाये तब अनिर्णय की स्थिति बनी रहती है किन्तु लग्न में रहू या चन्द्र हो तो कन्फ्यूजन के कारण निर्णय लेने में मुश्किल आता है. इसके अलावा शुक्र हो तो वास्तविक स्थिति और सोच में विरोधाभास के कारण निर्णय क्षमता प्रभावित होती है. इसलिए अपनी कुंडली के ग्रहों को दिखाकर जाने की आपके जीवन में निर्णय क्षमता कैसी है और इसका कारण क्या है. ग्रहों की शांति, मंत्र जाप से निर्णय क्षमता को बदला जा सकता है.

काल पुरुष की कुंडली में तीसरे स्थान का स्वामी ग्रह है बुध इसलिए गणेश जी की पूजा करना गणपति अथर्व का पाठ करना और हरी मुंग का दान करना चाहिए. लग्न का स्वामी होता है मंगल. सही उर्जा और समय पर निर्णय लेने के लिए मंगल का व्रत और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए और एकादश स्थान से जीवन के निर्णय से न्याय पाने के लिए शनिवार को दीपदान क्र सूक्ष्म जीवो को आहार देना चाहिए इससे आपके जीवन में निर्णय क्षमता का विकास होगा और आपके लिए गये निर्णय सही और लाभकारी रहेंगे.

किंतु सबसे ज्यादा भ्रमित करता है चंद्रमा. चंद्रमा लग्न, तीसरे अथवा एकादश स्थान में हों विशेषकर नीच, ग्रसित हो अथवा अस्त हो तो ऐसे में निर्णय क्षमता प्रभावित होती है. ऐसा व्यक्ति जीवन के सामान्य निर्णय लेने में भी भ्रम में रहता है अतः ऐसे में चंद्रमा की प्रियता के लिए शिव पूजा करना, शिवमंत्र का जाप करना तथा चंद्रमा की शांति हेतु स्वेत वस्तु का दान करना चाहिए.