रतनपुर। रतनपुर में जिस जामा मस्जिद से जमातियों को जोड़ा जा रहा है, उस जामा मस्जिद में जमातियों का आना ही मना है. रतनपुर के मुस्लिम समुदाय के लोगों के मुताबिक मस्जिद की दीवार पर ही लिखा है कि वहाबियों, शियाओ और देवबंदियों का प्रवेश ही निषेध है.
रतनपुर के रहने सामाजिक कार्यकर्ता मोहम्मद उसलाम के मुताबिक जिन 13 लोगों को रतनपुर में गिरफ्तार किया गया है, उन्हें कर्फ्यू का उल्लंघन करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. लेकिन ये लोगों का जमात से कोई ताल्लुक नहीं है. ये लोग शबे बारात पर कर्फ्यू के बाद भी रतनपुर के जूनाशहर स्थित बाबा हजरत सैय्यद मूशा शहीद की दरगाह मे फातेहा पढने पहुंच गए थे. जिस पर पुलिस मौके पर पहुंची और करैहापारा पारा निवासी 13 युवाओं के साथ 16 लोगों के खिलाफ अपराध दर्ज किया है. इन सभी का और इनके परिवार का जमाती तबलीगी और वहाबियों से कोई लेना देना नहीं है.
कुरैशी का कहना है कि तब्लीगी जमात के लोग कट्टर होते हैं. वे खुदा के सिवा किसी को नहीं मानते इसलिए मस्जिद को छोड़कर मज़ारों में नहीं जाते. जबकि रतनपुर के मुस्लिम समाज के लोग उदार और सूफियाना परंपरा के हैं. उन्हें जमाती बताकर कुछ लोग रतनपुर के अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं. उस्मान का कहना है कि रतनपुर में मुस्लिम 800 साल से हैं और यहां की तहज़ीब हमेशा से भाई-चारे की रही है.
उस्मान ने बताया कि जिन लोगों पर पुलिस ने करवाई की है उसमें से एक शहडोल का मूल निवासी हैं और एक दंपति कटघोरा के मूलनिवासी हैं जो काफी अरसे से यहीं रहे हैं. कर्फ्यू के उल्लंघन के लिए जिन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की गई हैं वे सभी युवा करैहापारा रतनपुर के ही मूल निवासी हैं.
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गौरतलब है कि सोशल मीडिया पर ये अफवाह उड़ाई जा रही है कि रतनपुर में दिल्ली जामा मस्जिद के 16 जमाती छिपे थे. जिस पर पुलिस ने कार्रवाई की है. पुलिस ने इस तरह के अफवाहों से बचने की अपील की है.