राजनांदगांव. सांसद अभिषेक सिंह द्वारा लोकसभा में फसल अवशेष प्रबंधन के बारे में पूछे गए सवाल के संबंध में आज पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने लिखित जवाब प्रस्तुत किया. सांसद अभिषेक सिंह ने 23 मार्च को लोकसभा में तारांकित प्रश्न संख्या 414 के माध्यम से पूछा था कि फसल अवशेष प्रबंधन के पर्यावरण हितैषी तरीकों के उपयोग के लिए किसानों को प्रेरित करने तथा उन्हें प्रशिक्षित करने हेतु सरकार ने क्या उपाय किए हैं और इसका ब्यौरा क्या है ?
अभिषेक सिंह ने इसके अलावा फसल अवशेषों को जलाने के पारंपरिक तरीके से पर्यावरण को पहुँचने वाले नुकसान को रोकने बनाई गई नीति के साथ ही किसानों, विशेषकर छोटे किसानों के इस संबंध में विचारों को जानने एवं उनके हितों के संरक्षण के लिए कमेटी के संबंध में भी जानकारी मांगी थी. इसके अतिरिक्त उन्होंने किसानों को फसल अवशेष जलाने से रोकने हेतु क्षतिपूर्ति देने के संबंध में नेशनल ट्रिब्यूनल के निर्देशों के बारे में भी जानकारी चाही थी.
डॉ. हर्ष वर्धन ने लिखित उत्तर के माध्यम से जानकारी देते हुए कहा कि सरकार द्वारा पंजाब,हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली में वर्ष 2018-2020 की अवधि के लिए 1151.80 करोड़ रुपए के परिव्यय से फसल अवशेष के खेत में ही प्रबंधन हेतु कृषि मशीनी प्रणाली के संवर्धन हेतु केन्द्रीय क्षेत्र की एक नई परियोजना को मंजूरी प्रदान की गई है. इस योजना के तहत बनाई गई कार्य योजना में पर्यावरण हितैषी फसल अवशेष प्रबंधन विधियों के संबंध में किसानों को प्रेरित तथा प्रशिक्षित करने हेतु सूचना, शिक्षा और सम्प्रेषण (आई.ई.ई.सी.) कार्य नीति के लिए विभिन्न स्तरों कार्यकलापों की विस्तृत सूची तैयार की गई है.
नवम्बर 2017 में दिल्ली-एन.सी.आर. में वायु प्रदूषण के प्रबंधन के लिए प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय कार्यबल (एच.एल.टी.एफ.) का गठन किया गया है. इस बल द्वारा एन.सी.आर. राज्यों में पराली जलाने पर रोक लगाने के संबंध में एक उप समिति भी गठित की गई है. इस उप समिति द्वारा पटियाला और लुधियाना में किसानों से विस्तृत चर्चा की गई है. केन्द्रीय मंत्री डॉ. हर्ष वर्धन ने बताया कि राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एन.जी.टी.) द्वारा फसल अवशेष को जलाने पर रोक लगाने के लिए किसानों को मुआवजा देने हेतु कोई निर्देश नहीं दिए गए हैं. किन्तु राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण के निर्णय के अनुसार राज्य सरकारों द्वारा कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण (डीएसी एवं एफडब्ल्यू) विभाग को एक परियोजना प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया है तथा पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और राजस्थान राज्यों को पुआल (पैरा) एकत्र करने वाले यंत्र (स्ट्रा बॉलर), बीज बोने के लिए हैप्पी सीडर आदि उपकरणों के प्रयोग को बढ़ावा देने हेतु विगत वर्ष 2016-17 तथा 2017-18 के दौरान 206.36 करोड़ रुपए की राशि जारी की गई.
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा राज्य सरकारों के साथ कई बैठकें आयोजित की गई है और पराली जलाने पर रोक लगाने हेतु सभी आवश्यक कदम उठाने का आग्रह किया गया है. वर्ष 2016-17 के दौरान पंजाब में सक्रिय अग्नि घटनाओं (एएफई) के आंकड़ों की तुलना करने पर यह स्पष्ट होता है कि 27 सितम्बर 2016 से 15 नवम्बर 2016 तक एएफई की 78772 घटनाएं हुई थी,जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि के दौरान एएफई की घटनाएं कम होकर 42337 रह गई है. इससे साबित होता है कि एएफई की घटनाओं में महत्वपूर्ण कमी हुई है. जलवायु परिवर्तन संबंधी राष्ट्रीय संचालन समिति ने जलवायु परिवर्तन के लिए राष्ट्रीय अनुकूल निधि (एनएएफसीसी) के तहत पोषण हेतु पंजाब,हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान राज्यों के लिए“फसल अवशेष प्रबंधन के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में जलवायु अनुकूल निर्माण”नाम से एक क्षेत्रीय परियोजना के चरण एक को मंजूरी प्रदान की गई है. उल्लेखनीय है कि सांसद अभिषेक सिंह पर्यावरण संरक्षण को लेकर काफी गंभीर है एवं समय –समय पर किसानों सहित आमजन को इस दिशा में प्रेरित करने हेतु कार्यशाला आदि माध्यमों से कदम उठाते रहे हैं.