मनीष मारू, आगर मालवा। अंग्रेजों ने भारत पर सैकड़ों साल राज किया. इस दौरान उन्होंने कई चर्चों का निर्माण करवाया, लेकिन मध्यप्रदेश के आगर मालवा में एक ऐसा अद्धभुत अति प्राचीन शिव मंदिर है जिसका जीर्णोद्धार एक अंग्रेज दंपत्ति ने करवाया था. बाबा बैजनाथ के नाम से प्रसिद्ध इस मंदिर से कई चमत्कारिक घटनाएं जुड़ी हुई है. महाशिवरात्रि के दिन हजारों की संख्या में भक्त दर्शन के लिए पहुंच रहे हैं.

दरअसल, सन् 1879 में जब भारत में ब्रिटिश शासन था, उन्हीं दिनों अंग्रेजों ने अफगानिस्तान पर आक्रमण कर दिया. इस युद्ध का संचालन आगर मालवा की ब्रिटिश छावनी के लेफ्टिनेंट कर्नल मार्टिन को सौंपा गया था. कर्नल मार्टिन समय- समय पर युद्ध क्षेत्र से अपनी पत्नी को कुशलता के समाचार भेजते रहते थे.

युद्ध लम्बा चला और संदेश आना बंद हो गए, तब उसकी पत्नि लेडी मार्टिन को चिंता सताने लगी कि कहीं कुछ अनर्थ तो नहीं हो गया. लेडी मार्टिन एक दिन घोड़े पर बैठकर घूमने जा रही थी. मार्ग में किसी मंदिर से आती हुई शंख की आवाज ने उसे आकर्षित किया और वो मंदिर में पहुंच गई. बैजनाथ महादेव के इस मंदिर में शिवपूजन कर रहे पंडितों ने उनसे पूछा कि क्या बात है, तो उसने मन की बात कह दी. इस दौरान पंडितों ने भगवान भोलेनाथ की पूजा करने की बात कही. पंडितों की सलाह पर उसने वहां ग्यारह दिन तक ॐ नम: शिवाय मंत्र से लघुरूद्री अनुष्ठान किया. प्रतिदिन भगवान शिव से अपने पति की रक्षा के लिए प्रार्थना करने लगी.

वहीं लघु रूद्री की पूर्णाहुति के दिन भागता हुआ एक संदेशवाहक शिवमंदिर में आया और लेडी मार्टिन को एक लिफाफा दिया. उसने घबराते हुए लिफाफा खोला और पढने लगी. पत्र उसके पति ने लिखा था, पत्र में लिखा था कि हम युद्धरत थे और तुम तक संदेश भी भेजते रहे, लेकिन अचानक हमें चारों ओर से पठानी सेना ने घेर लिया था. ऐसी विकट परिस्थिति में हम घिर गए थे कि प्राण बचाकर भागना भी अत्यधिक कठिन था. इतने में सहसा मैंने देखा कि युद्ध भूमि में भारत के कोई एक योगी, जिनकी बड़ी लम्बी जटाएं हैं, हाथ में तीन नोंक वाला एक हथियार (त्रिशूल) है. वे बड़े तेजस्वी और बलवान पुरूष अपना त्रिशूल घुमा रहे हैं. उनका त्रिशूल इतनी तीव्र गति से घूम रहा था कि पठान सैनिक उन्हें देखकर ही भाग गए, उनकी कृपा से हम बच गए और हमारी हार की घड़ियां एकाएक जीत में बदल गई.

अंग्रेज दंपत्ति ने करवाया जीर्णोद्धार

युद्ध से लौटकर मार्टिन दंपति दोनों ही नियमित रूप से बैजनाथ महादेव मंदिर में आकर पूजा-अर्चना करने लगे. अपनी पत्नी की इच्छा पर कर्नल मार्टिन ने सन् 1883 में बैजनाथ महादेव मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया, जिसका शिलालेख आज भी आगर-मालवा के इस मंदिर में लगा है. पूरे भारत भर में अंग्रेजों द्वारा निर्मित यह एक मात्र हिन्दू मंदिर है. इसी तरह कई प्राचीन चमत्कारीक घटनाएं आज भी भक्तों को बरबस ही मंदिर की ओर खींच लेती है.

बता दें कि बैजनाथ महादेव मंदिर में मुख्य गर्भगृह पर वर्ष 1974 से अखंड रामायण का पाठ हो रहा है. अलग-अलग गांव की मंडलियां बारी-बारी रामायण का पाठ करती हैं, वहीं मन्दिर के गर्भगृह में 1974 से ही अखंड ज्योत भी जल रही है. राजाधिराज बैजनाथ महादेव मालवा समेत अन्य दूरदराज के क्षेत्र में शिवभक्तों की आस्था के केंद्र हैं.

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