सुनील जोशी, अलीराजपुर। मध्य प्रदेश के अलीराजपुर जिले के कट्ठीवाड़ा में ‘नूरजहां’ आम के गिने-चुने पेड़ बचे हैं। ऐसे अब अधिकारी आम की इस खास प्रजाति को आने वाली पीढ़ियों के वास्ते बचाने के लिए इसके पेड़ों की तादाद बढ़ाने के वैज्ञानिक प्रयास कर रहे हैं। साथ ही टिशु कल्चर पद्धति प्रयोग की भी वैज्ञानिक तैयारी कर रहे हैं।

दरअसल, वर्तमान में मात्र नूरजहां के 6 पेड़ हैं और मात्र एक पेड़ पर ही नूरजहां आम लगे हैं। जिनकी संख्या 15 से 20 है, जो कि नूरजहां के शौकीनों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है। आम बगीचे के मालिक शिवराज सिंह जाधव का कहना है कि सही वेदर और क्लाइमेट की वजह से आम की ग्रोथ समय पर और सही से नहीं हो पाई। जिससे आम कि संख्या और साइज कम है। इसको लेकर कृषि विभाग के अधिकारियों ने भी मुझसे टिशु कल्चर को लेकर बात की। जिससे कि आने वाली पीढ़ी को विलुप्त होते नूरजहां आम दिखा सके।

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अफगान मूल की मानी जाने वाली नूरजहां आम की किस्म अपने बड़े आकार के लिए जानी जाती है। जिसका वजन 3.5 किलोग्राम से 4.5 किलोग्राम के बीच होता है। साथ ही बाजार में कीमत 1000 रुपये से लेकर 1200 रुपये प्रति आम होता है। लेकिन वर्तमान में उत्पादन कम होने से नूरजहां के शौकीनों को आम खाने को नहीं मिलेगा। वही बगीचे के मालिक शिवराज सिंह ने आम की कीमत का आकलन 2500 से 3000 रुपये प्रति आम रखा है। इस आम को देखने और खरीदने के लिए कट्ठीवाड़ा के बगीचे में पर्यटकों का जमावड़ा लगा रहता है।

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