अमित पवार, बैतूल। मध्य प्रदेश में मानसून की एंट्री हो चुकी है, लेकिन कई जिले अब भी सूखे की मार झेल रहे हैं. जिसमें बैतूल भी शामिल है. पिछले आठ दिनों से रुकी बारिश की वजह से जिले में खरीफ फसलों पर संकट मंडरा रहा है. मानसून आने के बावजूद फसलें बचाने के लिए किसानों को सिंचाई के साधन इस्तेमाल करने पड़ रहे हैं. कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर बारिश में कुछ और देरी हुई तो खरीफ फसलों को बड़ा नुकसान होगा.

मानसून की एंट्री के बावजूद बैतूल जिले के किसान अच्छी बारिश की आस लगाए बैठे हैं. करीब 15 दिन पहले मृग नक्षत्र में हुई बारिश के बाद किसानों ने खरीफ फसलों की बोवनी कर दी थी. लेकिन इसके बाद पिछले आठ दिनों से बारिश पर ब्रेक लगा हुआ है. जिससे सोयाबीन के बीज अंकुरित नहीं हो पाए हैं. अगर समय रहते बारिश नहीं हुई तो किसानों को बड़ा नुकसान हो सकता है.

सबसे बड़ा खतरा सोयाबीन फसल पर मंडरा रहा हैं। सोयाबीन के बीजों में अंकुरण के लिए बारिश होना बेहद जरूरी है. फिलहाल, किसान सिंचाई के साधनों के भरोसे फसलों को जिंदा रखने का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन ये ज्यादा समय तक सम्भव नहीं हो पाएगा.

इधर, कृषि वैज्ञानिक विजय कुमार वर्मा का भी मत है कि मानसून में लंबा ड्राई स्पेल यानी ज्यादा समय तक बारिश का रुकना खरीफ फसलों को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है. रबी के सीजन में बेमौसम बारिश ने गेहूं की फसल को खासा नुकसान पहुंचाया था और अब समय पर बारिश नहीं होने से खरीफ की फसल संकट में है. ऐसे में किसान को दोतरफा नुकसान होने की आशंका बनी हुई है.

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