शब्बीर अहमद, भोपाल। अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि का क़ानूनी केस लड़ने वाले सुप्रीम कोर्ट के वकील के.परासरण को भारत का अगला राष्ट्रपति बनाने की मांग शुरू हो गई है। एमपी बीजेपी विधि प्रकोष्ठ के प्रदेश सह संयोजक अशोक विश्वकर्मा ने भोपाल कलेक्टर के जरिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ज्ञापन भेजा है।
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बता दें कि करीब 500 साल के संघर्ष के बाद आखिरकार भगवान श्री राम की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी को हुई है। अयोध्या में विवादित ढांचा गिराने के बाद अदालत में राम जन्मभूमि मामले के पक्षकारों की ओर से कानूनी लड़ाई लड़ने वाले सुप्रीम कोर्ट के वकील के.परासरण को भारत का अगला राष्ट्रपति बनाने की मांग उठी है।
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बीजेपी लीगल सेल के प्रदेश सह संयोजक अशोक विश्वकर्मा का कहना है कि के. परासरण के राष्ट्रपति बनने पर प्रभु श्रीराम में मानने वाले लोग खुद को गौरवान्वित महसूस करेंगे। पीएम के नाम ज्ञापन में विश्वकर्मा ने लिखा है कि ‘मैं आज तक परासरण जी से न तो मिला हूं, न ही वो मुझे जानते हैं। लेकिन, यह मेरा आत्मीय भाव है कि द्रौपदी मुर्मू के बाद उन्हें देश का राष्ट्रपति बनाया जाए।
कौन हैं राम मंदिर का केस लड़ने वाले सुप्रीम कोर्ट के वकील के.परासरण
- तमिलनाडु के श्रीरंगम में 1927 को जन्मे परासरण ने 1958 में सुप्रीम कोर्ट में वकील के तौर पर प्रैक्टिस शुरू की। अपने छह दशक के करियर में उन्होंने कई अहम मामलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- हिंदू शास्त्रों के अच्छे जानकार परासरण वकीलों के खानदान से आते हैं। वे दो बार देश के अटॉर्नी जनरल रह चुके हैं।
- जब देश में इंदिरा गांधी द्वारा आपातकाल लगाया गया तब वह तमिलनाडु के एडवोकेट जनरल थे।
- 1980 में वह देश के सॉलिसिटर जनरल बने और 1983 से 1989 तक वह देश के अटॉर्नी जनरल रहे।
- उन्हें अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में पद्म भूषण तो मनमोहन सरकार में पद्म विभूषण से नवाजा गया।
- वे राष्ट्रपति द्वारा छह साल के लिए राज्यसभा के लिए भी चुने गए।
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