अमृतांशी जोशी, भोपाल। मध्यप्रदेश में पार्टी के प्रति वफादार रहने और साथ देने के लिए कसमों, शपथ और संकल्पों का दौर काफी पुराना रहा है। कार्यकर्ताओं की बगावत से बचने के लिए पार्टियां एक्टिव हो गई है। एमपी के पूर्व सीएम और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह (Digvijaya Singh) चुनावी साल में कांग्रेस (Congress) संगठन को मजबूत करने के लिए पूरे प्रदेश का दौरा कर रहे हैं। इस दौरान वे नेताओं के बीच सीधे समन्वय बनाने की कोशिश में जुटे है। साथ ही नेताओं को पार्टी के खिलाफ ना जाने का संकल्प भी दिला रहे है। इस पर भारतीय जनता पार्टी ने तंज कसा है। बीजेपी ने इसे कांग्रेसियों की अनोखी कसम बताया है।
दरअसल, दिग्विजय सिंह कांग्रेस संगठन को मजबूत करने के लिए हारी हुई सीटों का दौरा कर रहे हैं। इसी कड़ी में पूर्व सीएम शनिवार को नीमच (Neemuch) पहुंचे। जहां वे सबसे पहले जावद विधानसभा क्षेत्र के मंडल सेक्टर अध्यक्षों की बैठक ली। दिग्विजय ने मंच से कहा कि जावद विधानसभा क्षेत्र के दो बड़े स्थानीय नेताओं के आपसी मतभेद की वजह से पार्टी को हार का सामना करना पड़ता है।
पूर्व सीएम ने जावद विधानसभा क्षेत्र के दोनों नेताओं सत्यनारायण पाटीदार और राजकुमार अहीर को संकल्प दिलाया। दोनों नेताओं को मंच पर आकर घोषणा करने के लिए कहा कि पार्टी का प्रत्याशी कोई भी हो वे पार्टी के खिलाफ काम नहीं करेंगे। इसके बाद दोनों नेताओं ने विश्वास दिलाते हुए मंच से संकल्प लिया कि प्रत्याशी कोई भी हो निर्दलीय चुनाव नहीं लड़ेंगे और पार्टी के पक्ष में काम करेंगे।
भाजपा ने बताया कांग्रेसियों की अनोखी कसम
बीजेपी प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा (Narendra Saluja) ने संकल्प को कांग्रेसियों की अनोखी कसम बताया है। नरेंद्र सलूजा ने लिखा- कांग्रेस जोड़ो यात्रा पर निकले दिग्विजय सिंह जी के समक्ष कांग्रेसियो की अनोखी क़सम “निर्दलीय चुनाव नहीं लड़ूँगा, कांग्रेस का काम करूँगा, अगर ग़लत किया तो काला मुँह करकर गधे पर बैठाकर घुमाना…” संगठन कमजोर, बूथ कमजोर के बाद अब गधा मज़बूत।
बीजेपी प्रवक्ता ने बोला तीखा हमला
प्रदेश प्रवक्ता हितेश बाजपेयी ने कांग्रेस की शपथ पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ता बिदक रहा है कि इनको हमने 40 साल झेला और उनके बच्चों को भी हम झेलेंगे तो हम कहां जाएंगे। कांग्रेस में कमलनाथ-दिग्विजय सिंह दोनों की आदत बहुत खराब है। क्योंकि कमलनाथ दिग्विजय सिंह फिर भी कार्यकर्ता चलते हैं, लेकिन उनके बच्चों के साथ चलने को तैयार नहीं है। इसलिए उनको शपथ दिलानी पड़ रही है बच्चे नाकाबिल हो चुके हैं। इसलिए शपथ की नौबत आ रही है। जब सियासत में विरासत को थोपते हो तो फिर इन शपथों की जगह आती है।
कांग्रेस ने किया पलटवार
कांग्रेस प्रवक्ता स्वदेश शर्मा ने कहा कि अब जनता को शपथ लेनी चाहिए कि वो संविधान को बचाएगी और कांग्रेस सरकार लाएगी। कमलनाथ के नेतृत्व में दिग्विजय सिंह, अजय सिंह राहुल, सुरेश पचौरी सब एकजुट होकर काम कर रहे हैं। हां कुछ सिंधिया समर्थक जरूर हैं जो ऐसी बातें दोहराते हैं, लेकिन अब ऐसा कुछ दोबारा रिपीट नहीं होगा। 2018 में दिग्विजय सिंह ने समन्वय समिति के जरिए जो काम किया था वो कांग्रेस की जीत के रूप में दिख गया था। एक बार फिर दिग्विजय सिंह मैदानी रूप में सक्रिय हो चुके हैं जिसका असर 2023 में जीत के रूप में दिखेगा।
प्रदेश में पुराना रहा कसमों, शपथ और संकल्पों का दौर
बता दें कि इससे पहले सरयू नदी में बीजेपी विधायक हरिशंकर खटीक ने कार्यकर्ताओं को छल-कपट नहीं करने और चुनाव में धोखा नहीं देने की शपथ दिलाई थी। कांग्रेस ने निकाय चुनाव में में बागियों से निपटने के लिए शपथ पत्र का फॉर्मूला अपनाया था। बाद में कांग्रेस बैकफुट पर आयी थी। 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने दावेदारों से शपथ पत्र भरवाए थे जिसमे लिखा था आने वाले चुनाव में उनके इलाके से किसी को भी उम्मीदवार बनाएगी तो वो उसका खिलाफत नहीं करेंगे। वहीं छिंदवाड़ा में कमलनाथ और नकुल नाथ को मुख्यमंत्री और सांसद बनाने कार्यकर्ताओं को शपथ दिलवाई गई थी।
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