अजय शर्मा, भोपाल। मध्यप्रदेश विधानसभा में बजट से पहले मंगलवार को आर्थिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट (Economic survey report) पेश की गई। सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) ने कहा कि आज मध्यप्रदेश का आर्थिक सर्वेक्षण आया है। आर्थिक सर्वेक्षण में जो तथ्य आए हैं वह ये सिद्ध करते हैं कि मध्यप्रदेश का वित्तीय प्रबंधन अच्छा है, आर्थिक स्थिति मजबूत है। एक तरफ जहां हमने वित्तीय अनुशासन और सुशासन के साथ सर्व समावेशी विकास किया है तो वहीं दूसरी तरफ राज्य के बजट का आकार लगातार बढ़ा है। हमारा कर संग्रहण भी लगातार बढ़ रहा है। 2022-23 में मध्यप्रदेश की आर्थिक विकास दर में 16.43 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। यह सिद्ध करता है कि मध्यप्रदेश आर्थिक दृष्टि से आगे बढ़ रहा है। कोविड के बाद यह बाउंस बैक है।

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मध्यप्रदेश में घटा सरकार का कर्जा लेने का प्रतिशत

मुख्यमंत्री ने कहा कि 2002 में प्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद 71594 करोड़ से बढ़कर 1322000 करोड़ हो गया है। पर कैपिटा इनकम 2002 में 11718 रुपए थी। 2022-23 में बढ़कर 140500 रुपए पर कैपिटा इनकम हुई है। सीएम ने कहा कि सरकार पर लगातार कर्ज लेने का आरोप लगाया जाता है, लेकिन आंकड़ों के हिसाब से पहले 39.5% कर्ज लिया जाता था। 2021- 2022 में कर्ज प्रतिशत घटकर 22.6 हो गया है। लगातार ऋण का प्रतिशत घटा है। रॉयल्टी सेक्टर में भी विस्तार हुआ है। 13.4% किसानों को MSME को 30.22% ऋण दिया गया है। स्ट्रीट वेंडर को ऋण देने में प्रदेश आगे है। 521 करोड़ से ज्यादा का ऋण स्ट्रीट वेंडर्स को दिया जा चुका है।

सीएम ने कहा कि मध्‍यप्रदेश सर प्‍लस स्‍टेट बना। मध्यप्रदेश में जहां साल 2003 तक ऊर्जा क्षमता सिर्फ 5,173 मेगावॉट थी जो वर्ष 2022 में बढ़कर 28,000 मेगावॉट हो चुकी है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में मध्य प्रदेश समृद्ध होते जा रहा है। मध्यप्रदेश हेल्थ बजट ₹662 करोड़ से बढ़कर ₹10,400 करोड़ से अधिक हुआ। पैरा मेडिकल स्टाफ की संख्या में साल 2003 के मुकाबले अब तक 43,500 से ज्यादा की बढ़ोतरी। गेहूं के निर्यात में मध्यप्रदेश देश में नम्‍बर-1 है। देश में कुल गेहूं के निर्यात में मध्‍यप्रदेश की 46% भागीदारी है, बीते वर्षों में गेहूं उत्पादन 169 लाख मीट्रिक टन से बढ़कर 600 मीट्रिक टन के पार पहुंच गया है। सिंचाई क्षमता में बढ़ोतरी से मध्यप्रदेश की कृषि विकास दर में रिकॉर्ड तोड़ वृद्धि हुई है। वर्ष 2003 में उपलब्ध सिंचाई क्षमता 7 लाख 68 हजार हेक्टेयर से बढ़कर वर्ष 2022 में 45 लाख हेक्टेयर हुई। उद्योगिक विकास दर 2022-23 में 24 प्रतिशत हुई है। राजस्व संग्रहण 2022-23 में 7.94 प्रतिशत है।

वहीं आर्थिक सर्वेक्षण को लेकर पूर्व वित्त मंत्री तरुण भनोत ने कहा कि आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट झूठ का पुलिंदा है। सरकार बेरोजगारी, महंगाई से परेशान आम जनता के जख्मों पर नमक डालते हुए कह रही है कि मध्यप्रदेश में आम व्यक्ति की आय प्रति व्यक्ति बढ़कर 140000 हो गई है। लोग बिजली का बिल भर नहीं पा रहे हैं। बच्चों के स्कूल की फीस भर नहीं पा रहे हैं। स्वास्थ्य सेवाएं मध्यप्रदेश में सबसे महंगी, गैस सिलेंडर सबसे महंगा, बेरोजगारी देश में सबसे अधिक, मध्यप्रदेश में झूठ का अंत अब निकट आ गया है। मध्य प्रदेश की जनता इंतजार कर रही है चुनाव में इनका इलाज करेगी।

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आर्थिक सर्वे के प्रमुख बिंदु

  • प्रधानमंत्री द्वारा भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के संकल्प में मध्यप्रदेश द्वारा 550 बिलियन डॉलर का योगदान देने का लक्ष्य तय किया है। एवं प्रदेश इस ओर तेजी से बढ़ रहा है। स्थिर कीमतों पर, इस वर्ष 2022-23 (अ.अ.) पर आधारित प्रदेश का GSDP 7.06% से बढ़ा है। स्थिर कीमतों पर, प्रति व्यक्ति आय वर्ष 2011-12 में 38,497 रुपये से बढ़कर 2022-23 के अग्रिम अनुमान के अनुसार रु. 65,023 हो गई, जो इस अवधि के दौरान 70 प्रतिशत की वृद्धि दर्शाता है। प्रति व्यक्ति आय में विगत वर्ष की तुलना में इस वर्ष 5.67% की वृद्धि हुई है।
  • मध्य प्रदेश सरकार के बजट का आकार वर्ष 2001 में रु. 16,393 करोड़ से बढ़कर वर्ष 2023 में रु. 2,47,715 करोड़ हो चुका है। बजट में यह वृद्धि वर्ष 2001 की तुलना में लगभग 15 गुना है। प्रदेश का व्यय बजट विगत वर्ष में रु. 2,17,313 करोड़ (पू.अ.) 14% से बढ़कर रु. 2,47,715 (ब.अ.) करोड़ हुआ है। राज्य ने राजकोषीय अनुशासन का निरंतर पालन किया है। ऋण-जीएसडीपी का अनुपात जो कि वर्ष 2005 में 39.5 प्रतिशत था, वह घटकर 2020 में 22.6 प्रतिशत हो गया। राज्य शासन का पूंजीगत व्यय रु. 37,089 करोड़ (पू.अ.) 23.18% से बढ़कर रु. 45,685 (ब.अ.) करोड़ हुआ है।
  • वर्ष 2018-19 से 2021-22 के बीच, राज्य का अपना राजस्व 7.94 प्रतिशत सीएजीआर से बढ़ा, जबकि केंद्रीय करों में हिस्सेदारी केवल 0.59 प्रतिशत बढ़ी। 2022-23 (BE) में राज्य की अपनी राजस्व वृद्धि दर 13.32 प्रतिशत रही, जबकि केंद्रीय करों में हिस्सेदारी पिछले वर्ष की तुलना में 9.81 प्रतिशत बढ़ी। यह राजस्व प्राप्तियों में सुधार की शुरुआत को दर्शाता है, जिससे राजकोषीय समेकन (Fiscal Consolidation) का मार्ग प्रशस्त होता है।
  • सरकारी बैंकिंग व्यवसाय के क्षेत्र में डिजिटलीकरण की ओर बढ़ते हुए विगत दिसम्बर 2022 को मध्य प्रदेश राज्य सरकार के एकीकृत वित्तीय प्रबंधन सूचना प्रणाली (IFMIS) का भारतीय रिजर्व बैंक के कोर बैंकिंग सोल्यूशन ‘ई-कुबेर’ के साथ एकीकरण को क्रियान्वित किया गया। इस व्यवस्था के अंतर्गत भारतीय रिजर्व बैंक में मध्य प्रदेश राज्य के समस्त 54 कोषालयों के आहरण खाते खोले जा चुके हैं एवं सफलतापूर्वक परिचालित हो रहे हैं।
  • अर्थव्यवस्था के आकार में वृद्धि को दृष्टिगत रखते हुए राज्य में वर्ष 2005-06 से 2022-23 की अवधि में प्राथमिकता क्षेत्र को ऋण (Priority Sector Lending) का विस्तार 15.45 प्रतिशत CAGR की दर से हुआ है। इसका मान 9,437 करोड़ रुपए से बढ़कर रु. 2,15,427 करोड़ हो गया है। इसी क्रम में कृषि ऋण में 13.41 प्रतिशत की वृद्धि हुई और एम. एस.एम.ई. में 30.22 प्रतिशत की वृद्धि हुई
  • राज्य में कुल अग्रिम (Advances) का 59.41 प्रतिशत ऋण प्राथमिकता क्षेत्र को दिया गया जो 40 प्रतिशत के राष्ट्रीय औसत लक्ष्य से अधिक है। जबकि कृषि को कुल ऋण का 32.2 प्रतिशत प्राप्त हुआ जो 18 प्रतिशत के राष्ट्रीय औसत लक्ष्य से अधिक है।
  • वित्तीय समावेशन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री जन धन योजना के अंतर्गत प्रदेश में अब तक कुल 3.85 करोड़ बैंक खाते खोले गए हैं।
  • मध्यप्रदेश में स्व सहायता समूहों द्वारा अर्थव्यवस्था में अभूतपूर्व योगदान दिया जा रहा है, उल्लेखनीय है की इसमे महिलाओं की बड़ी संख्या कार्यरत है। मध्यप्रदेश में वर्ष 2012-13 में 19,151 स्व सहायता समूह बने थे जिसमें 2,34,312 परिवार सम्मिलित थे, जो कि दिसंबर 2022 (वर्ष 2022-23) के अंत तक बढ़कर 4,20,838 हो गए हैं जिसमें 47,02, 311 परिवार सम्मिलित हुए हैं । महिला स्व सहायता समूहों को दिसंबर 2022 तक आरएफ (Revolving Funds), सीआरएफ (Community Revolving Fund), सीसीएल (Cash Credit Limit), स्टार्टअप फंड के माध्यम से रु. 6178.26 करोड़ का कुल वित्तीय सहयोग प्रदान किया गया है।

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