अमृतांशी जोशी, भोपाल। मध्यप्रदेश में मदरसों में स्कूली शिक्षा से बच्चों को दूर रखा जा रहा है। यदि ऐसा है तो मदरसों में किसकी शिक्षा दी जा रही है। ये हम नहीं कर रहे हैं बल्कि स्कूली शिक्षा विभाग के आंकड़ा कह रहा है। विभागीय आंकड़े में चौंकाने वाले खुलासे हुए है। बच्चों के साथ कोई षड्यंत्र तो नहीं किया जा रहा है। स्कूली शिक्षा विभाग के मुताबिक मदरसों में पांचवीं-आंठवी बोर्ड परीक्षा में 15000 हजार से भी ज़्यादा बच्चे शामिल नहीं हुए है। बता दें कि सरकार की तरफ से प्रदेश के 1291 मदरसों को अनुदान दिया जाता है। अब सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर इस अनुदान का इस्तेमाल कहा हो रहा है?

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इस मामले में स्कूली शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार का बड़ा बयान आया है। कहा कि-बच्चे परीक्षा में क्यों नहीं बैठे, इसमें मदरसा संचालकों की सोची समझी रणनीति भी हो सकती है। ये मामला बहुत गंभीर है कि आखिर बच्चे क्यों परीक्षा में शामिल नहीं हुए है। इसका परीक्षण (डिटेल अनैलिसिस) कर रहे हैं और मदरसा संचालकों से संवाद कर रहे हैं। प्राइवेट स्कूल या सरकारी स्कूल के बच्चे परीक्षा में बैठने के लिए आतुर रहते हैं, लेकिन मदरसों में ये आंकड़ों का बहुत बड़ा अंतर है। इसके पीछे कारण क्या है ये पता लगाना भी जरूरी है।

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अवैध मदरसों को लेकर भी शिक्षा मंत्री का बड़ा बयान आया है। बोले कि- प्रदेश में फिलहाल एक हजार अवैध मदरसे है और ये नियम प्रक्रियाओं से भिन्न चल रहे हैं। जो सरकार के अनुदान के बिना मदरसे चल रहे हैं उनकी शिक्षा की ही नियत होनी चाहिए। अगर ऐसा नहीं है तो लगातार समितियों बनाकर इसकी जांच की जाएगी। गृह विभाग से मदरसों के जांच की सिफारिश की जाएगी।

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मदरसों के अवैध होने और बोर्ड परीक्षा को लेकर कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने कहा कि मदरसों को कोई अनुदान दिया ही नहीं जा रहा है। ना तो के केंद्र की तरफ से ना राज्य सरकार की तरफ से कोई अनुदान है। मदरसे ना कभी अवैध थे ना ही कभी अवैध होंगे। बिना वजह बंद हुए सेंटर को अवैध मदरसे का नाम दिया गया है। कुछ समय पहले एजुकेशन सेंटर ने मदरसों के लिए ग्रांट लिए थे, मिले नहीं बंद हो गए, जिनको ये नाम दिया गया। इनके सर्वे में कुछ नहीं आया, ये बिना वजह यूसीसी (ucc) और मदरसों की बात करते है। हार रहे है तो हताशा होगी ही वही दिख रहे है।

आरिफ मसूद के बयान से कांग्रेस की सोशल डिस्टेनसिंग

पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह उर्फ राहुल भैया ने आरिफ मसूद के बयान से दूरी बनाई है। कहा कि इस विषय पर कौन क्या बोल रहा है मैं उन पर कभी टिप्पणी नहीं करता हूं। हर कोई व्यक्ति अपनी बात रखने के लिए स्वतंत्र है। जो सिस्टम हर प्रांत अपना बनाता है वो ही पाठ्यक्रमों में होता है।

मदरसों का आंकड़ा

मदरसों में पढ़ने वाले बच्चे – करीब एक लाख है। 1755 मदरसे मान्यता प्राप्त है। 1046 मदरसे अवैध है। 1291 मान्यता प्राप्त मदरसों को अनुदान मिलता है। 5-8 में 1250 मदरसे शामिल हुए। 5-8 में 25 हजार बच्चे पंजीकृत, लेकिन सिर्फ 10 हजार बच्चे ही शामिल हुए है।

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