सुधीर दंडोतिया, भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तुष्टिकरण की राजनीति पर कड़ा प्रहार किया है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग दल का भला करना चाहते हैं। देश का भला करने तुष्टिकरण नहीं, बल्कि संतुष्टिकरण सच्चा रास्ता हैं। हमारे संस्कार अलग, हमारे संकल्प बड़े हैं। हमारी प्राथमिकता दल से पहले देश की है। हमारा रास्ता संतुष्टीकरण का हैं।
दरअसल, पीएम मोदी मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में मेरा बूथ सबसे मजबूत अभियान में शामिल हुए। जहां उन्होंने 10 लाख भाजपा कार्यकर्ताओं से संवाद किया। इस दौरान उत्तराखंड के चमोली की रहने वाली बीजेपी कार्यकर्ता हिमानी वैष्णव ने पूछा- पहले सामाजिक न्याय के नाम पर तुष्टीकरण को बढ़ावा दिया गया, लेकिन हमने संतुष्टीकरण पर बल दिया। उनको भी पूछा जिनको किसी ने नहीं पूछा, इस अंतर को हम सामान्यजन को कैसे बताएं?
पीएम मोदी ने इस सवाल का जबाव देते हुए कहा कि कुछ लोग केवल अपने दल के लिए जीते हैं, दल का भला करना चाहते हैं क्योंकि उन्हें भ्रष्टाचार का, कमीशन का मलाई खाने का, कट मनी का हिस्सा मिलता है। उन्होंने जो रास्ता चुना है, उसमें मेहनत नहीं करना पड़ती। यह रास्ता है तुष्टीकरण, वोटबैंक का। गरीब को गरीब बनाए रखने में ही उनकी रोजीरोटी चलती है। यह देश के लिए महाविनाशक होता है, यह देश में विकास को रोकता है, समाज में दीवार खड़ी करता है। एक तरफ इस तरह के लोग अपने स्वार्थ के लिए छोटे-छोटे कुनबे दूसरों के खिलाफ खड़े कर देते हैं, दूसरी तरफ हम भाजपा के लोगों के संस्कार और संकल्प बड़े हैं, हमारी प्राथमिकता देश के लिए है। हम मानते हैं कि देश का भला होगा, तो सबका भला होगा। इसलिए हमने तय किया है कि हमें तुष्टीकरण और वोटबैंक के रास्ते पर नहीं चलना है। हम मानते हैं कि देश का भला करने का रास्ता तुष्टीकरण नहीं है। सच्चा रास्ता संतुष्टीकरण है।
संतुष्टीकरण का रास्ता मेहनत वाला- पीएम मोदी
संतुष्टीकरण का रास्ता मेहनत वाला होता है, उसमें पसीना बहाना पड़ता है। अगर बिजली मिलेगी तो सबको मिलेगी, नल से जल का अभियान हर घर तक चलेगा, इसमें किसी के साथ भेदभाव नहीं होगा। जाति, बिरादरी, काका, भतीजावाद नहीं होगा। इसलिए हम संतुष्टीकरण के रास्ते पर बढ़ रहे हैं। हम देख रहे हैं कि तुष्टीकरण की राजनीति ने लोगों के बीच में खाई पैदा कर दी। हमने देखा कि यूपी में हमारे पासी, कोरी, खटीक भाई बहन राजनीति के शिकार हुए और विकास से वंचित रह गए।
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कई राज्यों की जातियां गिनाकर बताया भेदभाव
बिहार में दलित, महादलित और उसमें भी नई राजनीति! इस कारण एक दूसरे को लोग संशय से देखने लगे। दक्षिण भारत में भी राजनेताओं ने कई समाजों को बर्बाद करके रखा है। केरल में अदीयन, काट्टूनायकन, कोचुवेलन, जेनुकुरुवन जैसी जातियों को विकास के क्रम में पीछे छोड़ दिया गया। कर्नाटक में मलाईपूरी, कोटवालिया, बरोडिया जैसे समाज की उपेक्षा हुई। अनुसूचित जाति वर्ग की भी उपेक्षा हुई। तेलंगाना में कुलिया, चेंचू, मन्नाडोरा, तमिल नाडु में काडर, मुडुगर जैसे समाज को पीछे छोड़ दिया। केरल में अयनवर, तमिल नाडु में माविलन, ठोटी जैसी जातियों का क्या हाल करके रखा है! तेलंगाना में बारीकी, बाबूरी, अखामला, मश्चिमातंगी जाति को बर्बाद कर दिया गया। वोटबैंक की राजनीति में घूमन्तू जातियों की परवाह नहीं की गई। गड़रिया, लोहार जैसी जातियों को भी सरकार की योजना के लाभ से वंचित किया गया। पिछले 9 वर्षों में हमने छोटे-छोटे परिवारों की सुध ली, जिनकी पहले किसी ने सुध नहीं ली थी।
बजट में पीएम विश्वकर्मा योजना
पीएम स्वनिधि योजना के तहत रेहड़ी-पटरी वालों के लिए पहली बार बैंक के दरवाजे खोल दिये। इस बार के बजट में पीएम विश्वकर्मा योजना लाए हैं। हमारे विश्वकर्मा साथी जो हाथ और औजार से काम करते हैं, लोहार, सोनार, सुथार, मिस्त्री जैसे साथियों को मदद मिलने वाली है। सामाजिक न्याय के नाम पर वोट मांगने वालों ने सबसे अधिक अन्याय किया है। भाजपा सरकार ने हमारे बंजारा समाज के लिए वेल्फेयर बोर्ड गठित किया, ओबीसी कमीशन को संवैधानिक दर्जा दिया। भाजपा सरकार ही है जिसने पहली बार गरीब परिवार को आरक्षण का लाभ दिया। तुष्टीकरण और संतुष्टीकरण में इतना ही फर्क होता है। हमारा लक्ष्य है 100 प्रतिशत सेचुरेशन है।
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