भोपाल। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन तलाक और यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि मुसलमान बेटियों पर तीन तलाक का फंदा लटकाकर लोग उन पर अत्याचार करने की खुली छूट चाहते हैं। मुस्लिम बेटियों के साथ बहुत बड़ा अन्याय कर रहे हैं। वोट बैंक के लिए ये तीन तलाक के पक्ष में बोल रहे हैं। विदेशों में तीन तलाक बंद कर दिया गया है। भारतीय मुस्लिमों को समझना होगा कि फायदा लेने के लिए कौन उनको भड़का रहा है। वहीं सिविल कोड को लेकर कहा कि कॉमन सिविल कोड के बारे में जागरूक करना होगा।

दरअसल, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में मेरा बूथ सबसे मजबूत अभियान का कार्यक्रम किया गया। जिसमें प्रधानमंत्री मोदी ने देशभर के बीजेपी कार्यकर्ताओं से संवाद किया। इस दौरान उत्तरप्रदेश की रहने वाली बीजेपी कार्यकर्ता रानी चौरसिया से सवाल पूछा कि हमने पहले देखा कि तीन तलाक का विरोध कर रहे थे और अब सिविल कोड का विरोध कर रहे है। जिससे मुस्लिम भाई बहनों को भ्रम हो रहा है, हम इन्हें कैसे समझाए।

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प्रधानमंत्री मोदी ने इसका जवाब देते हुए कहा कि जो भी तीन तलाक के पक्ष में बात करते हैं, वकालत करते हैं, ये वोटबैंक के भूखे लोग मुस्लिम बेटियों के साथ बहुत बड़ा अन्याय कर रहे हैं। तीन तलाक से नुकसान का दायरा बड़ा है। बहुत अरमानों से पिता अपनी बेटी को ससुराल भेजता है। 8 से 10 साल बाद बेटी वापस आती है, तो उसका भाई, पिता सब बेटी की चिंता में दुखी हो जाता हैं।

पीएम ने कहा कि तीन तलाक का इस्लाम से संबंध होता तो दुनिया के मुस्लिम बहुल्य देश इसे खत्म नहीं करते। मिस्र में 90 प्रतिशत से ज्यादा सुन्नी मुस्लिम हैं। आज से 80-90 साल पहले वहां तीन तलाक की प्रथा समाप्त हो चुकी है। अगर तीन तलाक इस्लाम का जरूरी अंग है, तो पाकिस्तान, इंडोनेशिया, कतर, जॉर्डन, सीरिया, बांग्लादेश में क्यों नहीं है। मुस्लिम बेटियों पर तीन तलाक का फंदा लटकाकर कुछ लोग उन पर हमेशा अत्याचार करने की खुली छूट चाहते हैं। इसीलिए मेरी मुस्लिम बहनें, बेटियां भाजपा और मोदी के साथ खड़ी हैं।

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प्रधानमंत्री ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को लेकर कहा कि आज हम देख रहे हैं कि यूनिफॉर्म सिविल कोड के नाम पर भड़काने का काम हो रहा है। एक घर में परिवार के सदस्य के लिए एक कानून हो, परिवार के दूसरे सदस्य के लिए दूसरा कानून हो, तो क्या वो घर चल पाएगा? फिर ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा। भारत के संविधान में भी नागरिकों के समान अधिकार की बात कही गई है। सुप्रीम कोर्ट कह रही है कि कॉमन सिविल कोड लाओ।

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