(सुधीर दंडोतिया की कलम से)
बड़े साहब के एक्सटेंशन से टेंशन
मध्य प्रदेश में प्रशासनिक महकमे के सबसे बड़े मुखिया के एक्सटेंशन से कई अधिकारी टेंशन में है। मध्य प्रदेश में मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैस का कार्यकाल 6 महीने के लिए बढ़ा दिया गया है। इकबाल सिंह बैस मुख्यमंत्री के विश्वस्त अधिकारियों में शुमार है। उनको तेजतर्रार शैली के लिए जाना जाता है। वहीं प्रशासनिक गलियारों में कई आईएएस अधिकारी उनकी रवानगी का इंतजार कर रहे थे। ये वो अधिकारी है जो लंबे समय से इकबाल सिंह बैस के कार्यकाल में लूप लाईन में पड़े हुए है, लेकिन सबसे ज्यादा टेंशन तो सीएस के दावेदारों को था। इन अधिकारियों को उम्मीद थी कि शायद इस बार सिंह साहब को एक्सटेंशन न मिले, लेकिन केंद्र सरकार के आदेश के बाद इन अधिकारियों की टेंशन बढ़ गई है। मंत्रालय के पांचवे माले में तो कुछ अधिकारी एक्सटेंशन के आदेश के बाद इतने टेंशन में दिखे कि आदेश आते ही शाम को टेंशन दूर करने के इंतजाम में जुट गए। वहीं चुनावी साल में एक्सटेंशन मिलने के बाद कई मंत्री भी तनाव में है।
महफिलो वाली मैडम
भोपाल में लोकायुक्त छापे के बाद सुर्खियों में आयी बर्खास्त महिला इंजीनियर को लेकर उनके विभाग के ही बड़े अधिकारियों की मेहरबानी सामने आयी है। मैडम पर मेहरबान रहने वाले एक साहब को तो सरकार ने निलंबित कर दिया। खबर है कि महिला इंजीनियर की कोठी पर हर दूसरे दिन महफिले गुलजार रहती थी। कई एकड़ में फैली कोठी बाहर से भले ही बेरंग दिखती हो पर पर अंदर से कोठी की रंगीनियत हर मौसम में गुलजार रही। रहवासियों की माने तो मैडम के यहां अफसर दिन में नहीं रात को बड़ी गाड़ियों में जरूर आते थे। देर रात में यंहा अधिकारियों का जमवाड़ा लगा रहता था ! अब महफिलों वाली मैडम पर कार्रवाई के बाद महफिल में आने वाले सुबह की भोर के साथ निकल जाने वाले साहिबान परेशान है, हो भी क्यों न सरकार इनके महफिल बाहर लेनदेन के कनेक्शन जो तलाश रही है !
आईएएस मोहतरमा का बर्थडे कलेक्शन !
स्वास्थ्य विभाग से जुड़े अरेरा हिल्स के दफ्तर की आईएएस मोहतरमा को खुश करने के लिए विभाग की ही एक मैडम ने बर्थडे पर सरप्राइज प्लान बनाया। मैडम की जेब भी ढीली न हो और काम हो जाये इस फार्मूले पर काम किया गया। मोहतरमा के विभाग भोपाल ऑफिस के सभी कर्मचारियों से पार्टी के नाम पर 200-200 रुपये कलेक्शन हुआ। जो सक्षम थे उन्होंने खुश होकर दे दिए, जो नहीं थे वो भुनभुना गये। मोहतरमा पिछले कुछ अर्से से विभाग के कमर्चारियों के प्रति बेहद सख्त थी। लिहाजा उनके अरेरा हिल्स वाले दफ्तर में आने पर सुबह से शाम तक केबिन में डटी रहने वाली मैडम ने प्लान बनाया था। आईएएस मोहतरमा का बर्थडे कलेक्शन करवा दिया। मोहतरमा की करीबी माने जाने वाली मैडम के आदेश की कोई नाफरमानी कैसे करता। कर्मचारी दबी जुबां में कहते रहे मैडम के नजराने के बदले परिवार के साथ छोटे होटल में भोजन कर लेते। मोहतरमा के पास मेडिकल एजुकेशन की भी कुछ जिम्मेदारियां हैं। इसी विभाग में पदस्थ एक चर्चित आईएएस अधिकारी की पत्नी जो यहां अधिकारी के पद पर पदस्थ है उनका भी कलेक्शन मैडम ने ही किया था। मैडम ने ऐसा कर आईएएस घरानों में मजबूत पकड़ बना ली है। बहरहाल मोहतरमाओं की सरप्राइज पार्टी की चर्चा मंत्रालय के गलियारों से लेकर विभाग के प्रमुख सचिव तक है। विभाग के दूसरे कर्मचारी बोल रहे हैं। कलेक्शन सक्षम बड़े अधिकारियों के लिए छोटे कर्मचारियों से क्यों..
पहचानते नहीं “मंत्री हूं”
मध्य प्रदेश बीजेपी में सिंधिया समर्थकों को अब भी अपनी पहचान बनाने के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है। भोपाल में हाल ही में हुई बीजेपी प्रदेश कार्य समिति कार्यालय में ग्वालियर संभाग से आने वाले मंत्री को भी पहचान के लिए जूझना पड़ा। दरअसल, बैठक के लिए मंत्री जी को अंदर हॉल में जाना था पर उन्हें दरवाजे पर ही तैनात बीजेपी के खांटी कार्यकर्ताओं ने रोक लिया। मंत्री जी बार-बार कार्यकर्ताओं को समझाते रहे की वो सरकार में मंत्री है पर कार्यकर्ता मानने को तैयार नहीं हुए। उसके बाद मौके पर मौजूद मीडिया कर्मियों ने मंत्री के बारे में कार्यकर्ताओ को बताया। जिसके बाद मंत्री जी बैठक में जा सके। मंत्री जी तो बैठक में शामिल हो गए। उसके बाद वहां मौजूद सिंधिया समर्थक दूसरे कार्यकर्ताओं के बीच चर्चा निकली की बीजेपी में पहचान बनाने के लिए और मेहनत की जरूरत है !
आउट ऑफ कवरेज एरिया
कांग्रेस में केबिन की लड़ाई जमकर रही है। हाल ही में कांग्रेस मीडिया विभाग प्रवक्ताओं के बैठने के स्थान में परिवर्तन कर दिया गया। प्रवक्ताओं को दफ्तर में बेसमेंट में जगह दी गई है इससे कई प्रवक्ता अपने केबिन से बेदखल हो गए है। प्रवक्ताओं और मीडिया विभाग के पदाधिकारियों का पुराने केबिनों से मोह भंग नहीं हो रहा, वहीं इन केबिनों में कांग्रेस के प्रवक्ताओं के फोन में नेटवर्क नहीं मिलने की कहानी सामने आ रही है। इस सच झूठ से जुड़े बहाने को लेकर ज्यादातर प्रवक्ता और मीडिया पदाधिकारी मीडिया विभाग के सबसे पॉवरफुल केबिनों में जमे रहते है। इसके पीछे कारण है कि इन प्रवक्ताओं को डर है कि अगर वो यहां नहीं बैठे तो कही नेटवर्क की तरह वो भी आउट ऑफ कवरेज एरिया न हो जाये।
चर्चा जोरो पर…
और अंत में चलते चलते चर्चा जोरो पर है कि 2000 के नोट कैसे ठिकाने लगाए जाएं। आरबीआई ने 2000 के नोट वापस लेने का फैसला किया है। ऐसे में बड़े अधिकारी चिंतित है, उनके पास जमा नोटों को कैसे ठिकाने लगाए। 2000 के नोट ठिकाने के लिए अब नौकरों और रिश्तादारों से संपर्क साधा जा रहा है। वैसे नोटबंदी के समय भी रकम ठिकाने लगाने के लिए रिश्तेदार ही काम आये थे, वैसे कहते भी है कि आड़े वक्त में रिश्ते ही काम आते है !
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