(सुधीर दंडोतिया की कलम से)

कांग्रेसी करते रहे इंतजार, बीजेपी के मंत्री से गांधी परिवार का प्यार

दुर्भाग्य से राहुल गांधी और सोनिया गांधी के विमान की इमरजेंसी लैंडिंग क्या हुई एयरपोर्ट पर बड़े आदिवासी नेता को मुलाकात का मौका मिल गया। मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री शाम को भोपाल पहुंचे हुए थे। राहुल और सोनिया रूटीन फ्लाइट से दिल्ली रवाना होने हेतु इन्हीं के बीच में चंद भोपाल से जब वीआईपी लांच में केंद्र सरकार के कैबिनेट मंत्री कुलस्ते मिलने पहुंच गए। कुछ देर की गुफ्तगू के बाद वो मुस्कुरते हुए बाहर निकलने। मंत्री जी अपनी हंसी का राज खुद जाने, लेकिन इन सबके बीच में कभी गांधी परिवार के खास सिपहसलार रहे कई नेताओं को विजिटिंग कार्ड भेजने के बाद भी घंटे भर का इंतजार करना पड़ा।

दामाद जी ने तुड़वाई पूर्व मंत्री और ड्राइवर की जोड़ी

कलमनाथ सरकार में बड़ा विभाग संभालने वाले एक पूर्व मंत्री ने अपने ड्राइवर को अपने करीबी रिश्तेदार और स्टाफ के कहने पर हटा दिया। ये करीबी रिश्तेदार उनके पूरे कामकाज को भी देखता है, अब ड्राइवर को इस बात का दुख है की उसके ऊपर जो आरोप लगे हैं, वो निराधार हैं। लेकिन कोई सुनने के लिए तैयार नहीं है। उसके साथ जो षड्यंत्र हुआ है ये बताने के लिए ड्राइवर साहब पूर्व मंत्री के पास भी पहुंचे, लेकिन वो अपने करीबी रिश्तेदार के फैसले पर अडिग रहे। बिना सुने ही सालों सेवा करने वाले ड्राइवर को वापस लौटा दिया।

पॉवर गॉशिप: लो..दबदबे के आगे झुके आईपीएस, छोटे चैंबर में बड़े साहब…कागज की कश्ती और बारिश का पानी, डूबेगी ही…दोस्त हो या दुश्मन, रिश्ता भाई-भाई का और हिसाब…शाह के सामने मायूसी…मरहम लगाने वालो ने ही दर्द दिया…चर्चा जोरों पर…

टीआई की कार्यशैली बनी कद्दावर विधायक का चुनावी मुद्दा

मध्य प्रदेश में आने वाली महाभारत कालीन नगरी में इन दिनों चुनावी मुद्दा और कुछ नहीं बल्कि थाना प्रभारी की कार्यशैली है।तहसील से लेकर जिले तक लोगों के बीच एक ही चुनावी मुद्दा गूंजा हुआ है कि थाना प्रभारी ने तीन बार से विधायक रहे ‘राजा’ को जनता के बीच से उठाकर घर बैठा दिया है। विधायक सार्वजनिक कार्यक्रम में जाते हैं या ‘राजा’ वाली सक्रियता दिखाते हैं तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर दी जाती है। एक बार तो थाने में विधायकजी को कुर्सी से उठाकर लोगों के साथ खड़ा कर दिया गया था। विधायक भी अपने बयानों में इन बातों का जिक्र करते नजर आ रहे हैं। विधायक से उनके कार्यकाल के बारे में पूछा जाता है तो विधायक क्षेत्र में काम नहीं होने की बड़ी वजह बकायदा थाना प्रभारी की कार्यशैली को बता देते हैं। बयानों में विधायक यहां तक कह देते हैं कि यहां ‘राजा’ का नहीं थाना प्रभारी का राज है। बड़ी बात ये है कि इस खींचतान को लेकर पूरे जिले में बीजेपी-कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी है। राजा और थाना प्रभारी के बीच लड़ाई के चर्चे बारी-बारी से ‘महाराज’ तक पहुंचाए गए हैं। आपको बता दें ये ऐतिहासिक और पर्यटन नगरी फिल्मों की शूटिंग के लिए चर्चित हो चुकी है और इन दिनों यहां आगामी फिल्म स्त्री-2 की शूटिंग चल रही है।

फटकार के बाद आई तबादलों की बाढ़

पिछले कुछ अर्से में मध्य प्रदेश की चुनावी तैयारियों को लेकर इलेक्शन कमीशन सुबह-शाम बैठकर कर रहा है। तबादलों में देरी और तबादलों के आदेश पर अधिकारियों के साइन नहीं हो पाने के चलते इलेक्शन कमीशन नाराज हो गया। दिल्ली से भोपाल पहुंचे चुनाव आयोग के एक फोन ने अफसरों को उमस भरी गर्मी में पानी पीने को मजबूर कर दिया। मामला प्रदेश की चुनावी तैयारियों से जुड़ा हुआ था। लिहाजा महकमे के बड़े अफसर भी घबरा गए। 31 तारीख के पहले जारी होने वाले तबादला आदेश में देरी को लेकर जमकर स्थानीय स्तर पर फटकारों का दौर चला। फटकार इतनी असरदार रही एक शाम होते-होते देर रात तक ताबड़तोड़ तबादलों के आदेश जारी होते रहे। मतलब साफ हो चुका है कि चुनाव की तारीख भले दूर हो, लेकिन चुनाव आयोग अपने पूरे फॉर्म में है। स्थानीय स्तर वाले साहब को भी सख्त निर्देश है कि वह चुनावी तैयारियों में कोई नरमी ना बरतें।

पॉवर गॉशिप: मंत्री की दखलंदाजी से परेशान मंत्री-पूर्व मंत्री…सावन में चिकन…लूप लाइन के लिए सिफारिश…बाल कांग्रेस के बार कांग्रेसी…कांग्रेस नेता और नेत्री के बीच जमकर टकराव…चर्चा जोरों पर…

चर्चा जोरों पर है

प्रियंका गांधी पिछले 1 महीने में दो बार मध्यप्रदेश आ चुकी है। इस दौरान प्रियंका गांधी ने बड़ी जनसभा को संबोधित किया और इस मंच से बोलने के लिए एमपी कांग्रेस के तमाम बड़े नेताओं के बीच होड़ लगी रही, लेकिन एक नेता इतने खुद्दार है कि उन्होंने ना जबलपुर में कुछ बोला, ना ग्वालियर के मंच से कुछ बोला। बस बैठे रहे और सब कुछ देखते रहे। 10 साल मध्यप्रदेश की सत्ता पर काबिज रहने वाले ये नेता को ग्वालियर सभा में भाषण देने लिए नेताओं ने काफी गुजारिश की, लेकिन ये नेताजी जिद्दी किस्म के निकले, मंच पर बोलने के बजाये खुद ही अपना नाम अपने हाथों से लिस्ट से काट दिया। अब कांग्रेस के अंदर चर्चा जोरों पर है की राजा साहब को वो बात तो बुरी नहीं लग गई, जिसमें ये कहा जाता है उनके बोलने से कांग्रेस के वोट कटते जाते है।

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