(सुधीर दंडोतिया की कलम से)
घोषणा से पहले ही डाटा हुआ तैयार
अब अविवाहित युवतियां भी लाड़ली बहना योजना में शामिल होंगी. इसकी घोषणा भले ही 22 सितंबर को की गई हो, लेकिन तैयारी महीने भर पहले से ही शुरू हो गई थी प्रदेशभर की अविवाहित युवतियों की जानकारी अमले ने जुटाना शुरू कर दी थी. किस इलाके से कितनी महिलाओं को लाड़ली बहना योजना का लाभ मिला है. इस बहाने तैयारी शुरू की गई थी. अब माना जा रहा है कि मध्य प्रदेश में लाड़ली बहनों का ग्राफ एक करोड़ 37 लाख से बढ़कर डेढ़ करोड़ का आंकड़ा पार कर सकता है.
सर्वेयर भी बन गए मतदाता
मध्य प्रदेश में पिछले 6 महीने से सर्वे का दौर जारी है. सर्व राजनीतिक दलों के साथ प्रशासनिक स्तर पर खूब हुए. सर्वे टीमों में खास तौर पर दूसरे प्रदेशों के युवाओं को रखा गया, लेकिन सर्वे करते-करते कई सर्वेयर अब मध्य प्रदेश के मतदाता बन गए हैं. निर्वाचन आयोग ने नाम जोड़ने- हटाने की प्रक्रिया शुरू की तो सर्वेयर ने भी किराएदारी के एग्रीमेंट पर आवेदन किया और कई सर्वेयर मध्य प्रदेश के मतदाता बन गए. अब सर्वेयर का मत किस और जाएगा यह तो वही जाने।
टिकट के चक्कर में निपट गए नेताजी
एक महीना पहले तक मालवा के एक नेता का जो कमलनाथ के करीबी भी है उनका पीसीसी के तीसरे फ्लोर पर दरबार लग जाता था। बड़ी संख्या में दावेदार ये सोचकर नेताजी के पास पहुंचते थे की नेताजी कमलनाथ के करीबी है यहां कुछ जुगाड़ लग जाएगी तो नैया पार हो जाएगी। लेकिन हुआ उल्ट, नेताजी अपनी झांकी जमाने के चक्कर में खुद निपट गए और जन आक्रोश यात्रा का निमाड़ में चेहरा बनते-बनते रह गए। खबर है की कमलनाथ के पास किसी ने ये खबर पहुंचा दी की साहब आपके करीबी पीसीसी में बैठकर टिकट का आश्वासन दे रहे है और यही लिखी गई नेताजी के निपटने की स्क्रिप्ट।
चुनाव ट्रेनिंग से परेशान हुए अधिकारी
एमपी में चुनाव करीब है किसी वक्त भी आचार संहिता लग सकती है. उधर इलेक्शन कमीशन की तैयारियां भी जोरों पर है.अधिकारी इलेक्शन में जिन सरकारी कर्मचारियों की ड्यूटी लगना है उनकी ट्रेनिंग दे रहे है. लेकिन कई कर्मचारी कई बार बुलाने के बावजूद प्रशिक्षण से नदारद है, जिससे अधिकारी परेशान है. उन्हें एक ट्रेनिंग को कई बार करवाना पड़ रही है. अब परेशान अधिकारी करे तो करे क्या ?
चर्चा जोरों पर है
बीजेपी का घोषणा पत्र और कांग्रेस का वचन पत्र जारी होने में अभी समय है. दोनों ही दल प्रदेश का अलग और 230 विधानसभाओं का अलग-अलग घोषणा पत्र जारी करेंगे. लेकिन घोषणा पत्र आने से पहले ही सौगातो का अंबार सा लग गया है. प्रदेश के हर गली-मोहल्ले में यह चर्चा जोरों पर है कि यह तो चुनाव की पहले की तस्वीर है. आचार संहिता लगते ही पता नहीं क्या-क्या घोषणाएं और वादे लेकर राजनीतिक दल आएंगे.
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